राज्यशासन

JANGLE SAFARI ; पांच दिनों में 17 चौसिंगा की मौत से हड़कंप,चिकित्सक गायब, बिसरा और खून के सैंपल भेजे गए बरेली,

रायपुर, एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित जंगल सफारी (नवा रायपुर) में पिछले पांच दिनों के भीतर एक-एक करके 17 चौसिंगा की मौत हो गई। इससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि चौसिंगा के अलावा कई अन्य जानवर भी मरे हैं। हालांकि जंगल सफारी के अधिकारी इससे साफ इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि 17 चौसिंगा की मौत वायरल से होने की आशंका है।

जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा। बाड़े में कुल 24 चौसिंगा थे। एक-एक करके सभी की तबीयत खराब होते देखकर जंगल सफारी के डाक्टर की छुट्टी रद कर दी गई थी, लेकिन वरिष्ठ अफसर ने इसे नजरअंदाज कर डाक्टर को अवकाश पर दिल्ली जाने की अनुमति दे दी। इसे लेकर भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं। चौसिंगा की मौत होने के पीछे वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई है। जंगल सफारी के डिप्टी डायरेक्टर हेमंत पहारे ने 25 से 29 नवंबर के बीच 17 चौसिंगा की मौत की पुष्टि की है।

उन्होंने बताया कि 25 को पांच, 26 को तीन और 27 नवंबर को पांच, 28 को दो, 29 को दो कुल 17 चौसिंगा की मौत हुई है। पीसीसीएफ को भेजे गए जांच प्रतिवेदन में बताया गया है कि नंदनवन जू, जंगल सफारी के जू क्षेत्र के चौसिंगा बाड़े में 25 नवंबर की सुबह 5.30 बजे चौसिंगा की निगरानी के दौरान पता चला कि इनका स्वास्थ्य खराब हो रहा है।

अवकाश रद, फिर भी अफसर से मंजूरी लेकर डाक्टर हो गए रवाना

संचालक सह वनमंडलाधिकारी जंगल सफारी की ओर से प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) सह मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक अटलनगर को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि 26 नंवबर को मेरे नंदनवन जू और जंगल सफारी में निरीक्षण के दौरान अधीनस्थ अमले से यह बात संज्ञान लाई गई कि अज्ञात बीमारी से हर्षीवोर में तीन चौसिंगा की मौत अचानक हुई।

इस बारे में जंगल सफारी के सहायक संचालक वाय के डहरिया, पशु चिकित्सक शल्यज्ञ अधिकारी डा.राकेश वर्मा को त्वरित इलाज और स्थल पर ही उपस्थित रहकर स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए निर्देशित किया गया। चूंकि मुझे शासकीय प्रकरण में उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में उपस्थित होना था और आवश्यक निर्देश उपरांत मैं यहां से प्रस्थान कर रहा था।

डा.राकेश वर्मा ने फोन पर मुझे 23 नंवबर को वाटसएप के माध्यम से अवकाश आवेदन भेजा था, जिस पर परिस्थितिजन्य संवेदनशील कारणों से निरस्त करते हुए अवकाश भ्रमण पर न जाने फोन पर ही निर्देशित किया। इस पर डा. वर्मा ने 25 नंवबर को सीधे प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) से अवकाश स्वीकृत करने का स्क्रीन शाट मुझे फोन पर भेजा।

यह जानते हुए भी कि नंदनवन जू,जंगल सफारी में वन्यप्राणियों के स्वास्थ्यगत अत्यंत विपरीत परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं। फिर भी वे अवकाश पर चले गए और अनेक बार संपर्क करने पर भी मोबाइल बंद पाया गया। नंदनवन जू, जंगल सफारी में वन्यप्राणियों की स्थिति निरंतर गंभीर बनी हुई है, परंतु डा.राकेश वर्मा उपस्थित नहीं हैं।

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