RAILWAY; कवच प्रणाली से लैस हुआ दपूमरे का पहला रेल इंजन, अब आमने-सामने टक्कर नहीं होगी

बिलासपुर/ रायपुर, रेल यातायात में संरक्षा और गति क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय रेलवे द्वारा विकसित स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम *कवच* का कार्य दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में प्रारंभ किया गया है । इस प्रणाली का उद्देश्य ट्रेनों के बीच टक्कर को रोकना तथा लोको पायलट को केबिन में ही वास्तविक समय (रियल टाइम) सिग्नल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना है । यह प्रणाली स्टेशन इंटरलॉकिंग और लोकोमोटिव के बीच संचार नेटवर्क के माध्यम से सिग्नल डेटा का आदान-प्रदान करती है, साथ ही पटरियों पर लगाए गए RFID टैग लोकोमोटिव की सटीक स्थिति निर्धारित करने में सहायक होते हैं ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 551 लोकोमोटिवों (रेल इंजनों) में क्रमिक रूप से कवच प्रणाली स्थापित की जाएगी । इस दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करते हुए, लोको नं. 37704 WAP-7 को आज 21 अगस्त 2025 को भिलाई स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में सफलतापूर्वक कवच प्रणाली से लैस किया गया । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत नागपुर – झारसुगुड़ा रेलखंड में *कवच* प्रणाली स्थापित करने का कार्य शुरू किया गया है, उसी के तहत इस रेल इंजन में कवच लगाया गया है । शेष लोकोमोटिवों में भी कवच प्रणाली का कार्य चरणबद्ध रूप से किया जाएगा ।
*कवच प्रणाली की विशेषताएँ एवं लाभ*
* यह भारतीय रेलवे की एक उन्नत स्वदेशी संरक्षा तकनीक है, जो ट्रेन संचालन को संरक्षित और कुशल बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है ।
* इस ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो ट्रेनों के बीच आमने-सामने की टक्कर से बचाव सुनिश्चित होगा ।
* यह प्रणाली सिग्नल एवं स्पीड से संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने में पूर्णतः सक्षम है ।
* पूरे सेक्शन में विश्वसनीय वायरलेस कम्युनिकेशन स्थापित किया जाता है, जिससे स्टेशन इंटरलॉकिंग सिस्टम, सिग्नल तथा समपार फाटकों की जानकारी सीधे लोको पायलट को मिलती है ।
* ट्रेन की गति सिग्नल की स्थिति-पोज़िशन के साथ स्वतः इंटरलॉक हो जाती है, जिससे संचालन में संरक्षा का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित होता है ।
* लोको पायलट को निरंतर सहयोग प्रदान कर यह प्रणाली उच्च गति वाले परिचालन को और अधिक संरक्षित बनाती है ।