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POLITICS;सुशासन तिहार के बाद अफसर-कर्मियों की मांगों पर निर्णय करने की बारी सरकार की, वर्ना कर्मचारी आंदोलन की राह पर

आंदोलन की चेतावनी

रायपुर, छत्तीसगढ़ राज्य में सुशासन त्यौहार लगातार एक माह जारी रहा। जिसमें तेज धूप व बरसते पानी में प्रदेश के अधिकारी कर्मचारियों ने शासन के इस जनआकांक्षी योजना व कार्यक्रम को जी जान से सफल बनाया है। अब राज्य सरकार की बारी है कि वह कर्मचारियों अधिकारियों की बड़ी मांगों को पूरा करें। अन्यथा कर्मचारी आंदोलन की राह पर अग्रसर होंगे।

कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया है कि प्रदेश के शासकीय कर्मचारी एवं पेंशनर्स महंगाई की मार को झेल रहे हैं। वहीं केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता नहीं मिल रहा है। केंद्रीय कर्मचारी व विद्युत मंडल मंडल के कर्मचारी 55% तथा राज्य सरकार के कर्मचारी व पेंशनर 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता प्राप्त कर रहे हैं। इसी प्रकार कर्मचारियों के कार्य क्षमता में वृद्धि के लिए पांच दिवसीय सप्ताह की घोषणा की गई थी। जो केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी लागू है। किंतु अब राज्य सरकार उसे निरस्त कर 6 दिवसीय सप्ताह करने की तैयारी में है। पुलिस मुख्यालय में यह लागू भी हो गया है।

राज्य सरकार यदि भूपेश बघेल सरकार की नीतियों को बदलना चाहती है तो अनुकंपा नियुक्ति की नीति, एनपीएस की नीति, 1 अप्रैल 2022 से लागू पुरानी पेंशन योजना की जमा राशि की वापसी, शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण, पेंशनरों के 15 मई को जारी तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता वृद्धि के आदेश के बाद भी बैंकों में अभी भी बढ़े हुए महंगाई भत्ता से राहत पेंशन का भुगतान नहीं हो रहा है, इनको बदलकर कर्मचारियों को उसका लाभ प्रदान करें।

प्रदेश का अनियमित कर्मचारी ऑपरेशन सिंदूर को हृदय से स्वीकार कर रहा है, किंतु अनियमित कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण, अनुकंपा नियुक्ति कल्याण संघ की विधवा बहनों के मांग का सिंदूर उजड़ा उनके जीवन में दीप जलाने,कर्मचारी नियमितीकरण ऑपरेशन कब संपन्न होगा। यह प्रश्न वाचक चिन्ह है। श्री झा ने कहा है कि इन मांगों पर जो मूलभूत व बड़ी मांगे हैं। राज्य सरकार से अधिकारी कर्मचारी अपेक्षा करते है कि इन मांगों पर चर्चा के माध्यम से निराकरण होना चाहिए। ऐसा न होने पर जून माह में आंदोलन की स्थिति निर्मित होगी। 

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