POLITICS; खत्म हुआ ढाई दशक का राज… नवीन बाबू ने राजभवन जाकर दिया इस्तीफा, अब कौन होगा ओडिशा का अगला CM
भुवनेश्वर, ओडिशा में पांच बार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसी के साथ ओडिशा में ढाई दशक से चला आ रहा नवीन पटनायक का एकछत्र राज खत्म हो गया है। जानकारी के मुताबिक, पूर्व निर्धारित समय के तहत नवीन पटनायक कल पूर्वाह्न 11.30 बजे नवीन निवास से राजभवन के लिए रवाना हुए।
राजभवन पहुंचने के बाद नवीन पटनायक ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा। उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में भाजपा ने लोकसभा में क्लीन स्वीप करते हुए विधानसभा की 78 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि बीजद सिर्फ 51 सीटों पर सिमट गई है।
मुख्यमंत्री को कांटाबांजी सीट पर जनादेश नहीं मिल पाया
कांग्रेस 14 सीटें जीतने में कामयाब रही। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पहली बार हार का स्वाद चखा है। हिंजिली और कांटाबांजी से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री को कांटाबांजी सीट पर जनादेश नहीं मिल पाया है। नवीन कांटाबांजी सीट से 16, हजार से अधिक मतों से हार गए, जबकि उन्होंने हिंजिली सीट केवल चार हजार मतों से जीती।
विधानसभा चुनाव में 51 सीटें जीतने वाली बीजद को लोकसभा चुनाव में झटका लगा। पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। इसके साथ ही पहली बार राज्य में स्पष्ट बहुमत हासिल करने वाले भाजपा खेमे में भी उत्साह है। भाजपा इस बार प्रधानमंत्री की पूर्व महत्वाकांक्षाओं के तहत सरकार बनाएगी। सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
हार के साथ ही बहुप्रतीक्षित रिकॉर्ड से भी वंचित रह गए नवीन पटनायक
मौजूदा विधानसभा चुनाव में बीजद की हार के साथ ही मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एक रिकॉर्ड से चूक गए हैं। मुख्यमंत्री के रूप में सबसे ज्यादा समय शासन करने और रिकार्ड बनाने की उम्मीद लगाए बैठे नवीन पटनायक को निराश होना पड़ा है।
इस रिकॉर्ड को लेकर उनकी पार्टी की तरफ से काफी प्रचार किया गया था। सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के नाम 24 साल और 165 दिन तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है। नवीन इस सूची में दूसरे स्थान पर हैं। नवीन पटनायक 24 साल 91 दिन तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे हैं।
वह अगस्त में चामलिंग का रिकॉर्ड तोड़ देते, लेकिन उनका और उनकी पार्टी का यह सपना पूरा नहीं हुआ है। इस चुनाव में बीजद का गढ़ ढह गया है। पार्टी को केवल 51 सीटें मिलीं। यहां तक कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी अपनी एक सीट हार चुके हैं। दो सीटों से चुनाव लड़ने वाले नवीन को एक सीट गंवानी पड़ी। नवीन बाबू कांटाबांजी सीट से 16 हजार से अधिक मतों से हार गए, जबकि उन्होंने हिंजिली सीट केवल चार हजार मतों से जीती। विधानसभा चुनाव में 51 सीटें जीतने वाली बीजद को लोकसभा चुनाव में झटका लगा। पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली।