HEALTH; एम्स रायपुर–जॉर्ज इंस्टीट्यूट इंडिया साझेदारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान को नई गति मिलेगी

रायपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) रायपुर और द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया ने आपसी सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने तथा प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए स्थानीय रूप से उपयुक्त समाधानों के विकास को गति प्रदान करेगा।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एआईआईएमएस रायपुर के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) और जॉर्ज इंस्टीट्यूट इंडिया के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर विवेकानंद झा की उपस्थिति में हुए। इस अवसर पर एआईआईएमएस रायपुर के डीन (अनुसंधान) प्रोफेसर अभिनरुचि गहलोतरा, एमओयू प्रभारी संकाय सदस्य डॉ. पुगाझेंथन थंगराजू, विभागाध्यक्ष (रेडियोडायग्नोसिस) प्रोफेसर नरेंद्र कुबेर बोधे, डॉ. दिबाकर साहू (पल्मोनरी मेडिसिन), डॉ. विनय राठौर और नेफ्रोलॉजी विभाग से सुश्री नीलम देवी मरावी मौजूद रहे। जॉर्ज इंस्टीट्यूट इंडिया की ओर से वरदराजन श्रीनिवासन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. विनय राठौर ने कहा कि एआईआईएमएस रायपुर और जॉर्ज इंस्टीट्यूट इंडिया के बीच क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (Chronic Kidney Disease – CKD) और कोविड-19 अनुसंधान के क्षेत्र में पहले से ही प्रभावी सहयोग जारी है। उन्होंने बताया कि यह नया समझौता सुपेबेड़ा सहित आसपास के क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ ऑफ अननोन एटियोलॉजी (CKDu) प्रभावित क्षेत्रों में किडनी स्वास्थ्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान को और अधिक व्यापक रूप देगा।
डीन (अनुसंधान) प्रोफेसर अभिनरुचि गहलोतरा ने कहा कि एआईआईएमएस रायपुर में अनुसंधान संस्कृति को मजबूत बनाने में ऐसी रणनीतिक साझेदारियाँ महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। वहीं, जॉर्ज इंस्टीट्यूट इंडिया के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर विवेकानंद झा ने उच्च-गुणवत्ता वाले साक्ष्य निर्माण की आवश्यकता रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे साक्ष्य नीति निर्माण, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार, क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य तथा रिमोट पेशेंट-केयर जैसे क्षेत्रों में अत्यंत प्रभावी सिद्ध होते हैं।


