GOVT; छत्तीसगढ़ का कामकाज-राज की बात

नारायण भोई
जनसंपर्क अमला गदगद
अविभाजित मध्य प्रदेश में भी छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता का स्तर रहा है यहां नामी पत्रकार भी रहे हैं और नामी अफसर भी। कुछ नामचीन पत्रकारों की उपस्थिति के बिना मुख्यमंत्री की पत्रकार वार्ता भी शुरू नहीं होती थी। तब जनसंपर्क विभाग में दमदार अफसर भी हुआ करते थे। छत्तीसगढ़ में अब समय के साथ पत्रकारिता की तस्वीर बदलती जा रही है। जनसंपर्क विभाग में वरिष्ठ आईएएस की जगह गैर आईएएस अफसरों की तैनाती हो रही है। कनिष्ठ अफसरों को जनसंपर्क विभाग का मुखिया बनाया जा रहा हैं, जिन्हें छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता की जानकारी भी नहीं है। ना ही वे जानना भी चाहते हैं जनसंपर्क अमला भी उन्हीं के नक्शे कदम पर आगे बढ़ रहा हैं। अच्छी बात यह है कि लंबे समय बाद पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के जनसंपर्क विभाग के अफसरों ने छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग की क्रियाकलापों एवं कार्यप्रणाली की सराहना की है। उम्मीद है इससे जनसंपर्क अमले का मनोबल बढ़ेगा।
चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
सड़क पर गाड़ियां चलती हैं खेतों पर नहीं। सिस्टम आखिर सिस्टम होता है। घटिया सप्लाई के मामले को लेकर जबरदस्त माहौल बनाया गया। गडबडियां भी उजागर हुई और आखिरकार अफसर बदल दिए गये। नए अफसर व्यापारी समुदाय से लाए गए ताकि उन्हें सप्लायरों के बारे में पूरी जानकारी हो लेकिन नए अफसर के आते हैं राजधानी के पडोसी जिले में फिर घटिया सप्लाई हो गई। अफसर करें तो करें क्या .. नए अफसर पर दोष भी नहीं मढ सकते। वे तो अभी आए हैं। राज की बात यह है कि सप्लाई के लिए भी सिस्टम होती है जब सप्लायरों से सीधे सेटिंग करोगे तो चना भाड नहीं फोड सकता। जो करना है सप्लायर को ही करना है। अफसर को भी सिस्टम पर चलना पड़ता है। खैर नए अफसर के लिए यह शुरुआत है।
खाद्य आयोग के नये अध्यक्ष का “कार्य” और “भार” ग्रहण
भाजपा के सरकार के आए उन्नीस महीने बाद खाद्य आयोग को भाजपाई अध्यक्ष मिल गया है। नए अध्यक्ष की बधाई बनती है।
खाद्य शब्द भले जुड़ा है लेकिन इसमें क्रीमी लेयर नहीं है। खाद्य मंत्री, अध्यक्ष, नान के बाद नंबर लगता है। सूखा आयोग है। सचिव भी है तो अतिरिक्त प्रभार वाले, गाहे बगाहें घूमने आ जाएंगे। खाद्य आयोग को शपथ ग्रहण के दिन ही एक संघ ने बड़े विज्ञापन के साथ बधाई भी दिया है। राशन माफिया को फर्क नहीं पड़ता है किस पार्टी की सरकार है? कार्य कुछ नहीं भार बड़ा!
गुरुजी की चालाकी भारी पडी…
गुरुजी तो गुरुजी होता है उस पर जितना भी नजर रखी जाय, वह अपना तोड निकाल लेता है। अभी तक शिक्षकों को ट्यूशन एवं कोचिंग के नाम पर पालकों को लूटने का आरोप लगाया जाता रहा है।स्कूल में पढ़ाई नहीं करते और बच्चों को ट्यूशन के लिए बातें करते हैं लेकिन राज की बात यह है कि शिक्षकों ने कमाई का नया जुगाड़ भी कर लिया। वे अब आनलाइन धंधा शुरू कर दिए हैं। ग्राहकों का चैन बनाकर ₹10000 की हर्बल लाइफ को डेढ़ हजार रुपए बेच रहे हैं। इससे स्कूल के बाहर भी ग्राहकी बढ रही हैं बल्कि कमीशन ही मिल रहा है। कभी-कभी विदेश भ्रमण का अवसर भी मिल जाता है। पर इस बार महासमुंद जिले के एक शिक्षक को यह धंधा भारी पड गया। शिकायत की जांच के लिए तीन सदस्य समिति बनाई गई और नोटिस के बाद शिक्षक को निलंबित कर दिया गया।
अरे नहीं बाबा नहीं…..
शाम ढलते ही जिन अफसरों के साथ हम प्याला-हम निवाला हुआ करते थे , कलेक्टर अब उन्हीं अफसरों से दूरियां बनाने लगे है। दिनभर का काम-काज निपटाने के बाद कलेक्टर चेम्बर में खनिज एवं आबकारी अमले के अफसरों की चहलकदमी होती रही है। व्हीआईपी गतिविधियों की योजना बनती थी। कलेक्टर का नंबर बढाने की प्लानिंग होती थी। तब इन अफसरों का जलवा हुआ करता था। न केवल कलेक्टर उनकी कद्र करते थे बल्कि हर व्हीआईपी के प्रवास पर इनकी ड्यूटी लगाई जाती थी। ये अफसर व्हीआईपी के आगमन से लेकर खान-पान तक की व्यवस्था करते थे और देश-प्रदेश में कलेक्टर का नाम रोशन करते थे। इतना ही नहीं राज्य के पर्यटन स्थलों एवं सर्व सुविधायुक्त होटल में भी इन अफसरों की चलती थी। हर जगह इनकी इज्जत थी लेकिन 3200 करोड रुपए के आबकारी घोटाले एवं साढे पांच सौ करोड रुपए के कोयला घोटाले के बाद इनकी बाट लग गई। कलेक्टर ही नहीं छोटे अफसर भी खनिज एवं आबकारी अमले से दूरी बनाकर चल रहे हैं। जाहिर है इनसे नजदीकी बढाकर कौन अपनी भद पिटवाएगा। वैसे भी अभी डेढ दर्जन से ज्यादा आबकारी अधिकारी गिरफ्तारी के डर से भागते फिर रहे हैं।
बैंक को ही चपत लगा दिया
कहते हैं संगत का बडा असर होता है। ऐसा हो भी रहा है। छत्तीसगढ में चिटफंड कंपनियों से बुरी तरह से लूट चुके ग्रामीण अब सचेत होने लगे हैं। बैंकों के मनमाना ब्याज वसूलने, जमीन के कागजात जमा करने जैसी अवैध तरीके को भी जानने -समझने लगे है। हमेशा लूटते -पिटते रहने वाले ग्रामीण अब बैंकों को भी चूना लगाने से पीछे नहीं है। महासमुंद जिले एक ब्लॉक मुख्यालय के एक बैंक को ही उल्लू बना दिया। गोल्ड लोन के नाम पर नकली सोना थमाकर बैंक से 22 लख रुपए कर्ज ले लिए। इन ग्रामीणों की कारनामें पर पुलिस भी दाद दे रही है।
महिलाओं की शराब विरोधी मुहिम
छत्तीसगढ के राजनांदगांव के बाद महासमुंद जिले के पिथौरा अनुभाग के गांवों में अब शराब के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है। कई गांव में ग्रामीण महिलाएं लामबंद होने लगी हैं एवं शराब के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। कुछ दिन पहले उडीसा सीमा से लगे गिरना ग्राम की महिलाओं ने पिथौरा थाने का घेराव किया एवं गांव में अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की। महिलाओं का कहना था कि गांव में कुछ लोग महुआ शराब बना रहे हैं। इससे स्कूली बच्चे भी शराब के आदी होने लगे है। गांव का माहौल बिगड़ने लगा है। पिथौरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत सरकंडा के ग्रामवासी भी अब लामबंद हो रहे हैं। गांव की महिलाओं ने आज पिथौरा थाना पहुंचकर थानेदार को ज्ञापन सौंपा और गांव में अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की। शराब से अंचल के कई गांव में माहौल खराब हो रहा है। खासकर महिलाएं इस समस्या से दो-चार हो रही है।
चालाक अफसर बुरा फंसा
हमेशा मलाईदार जिलों में पदस्थ रहने वाला एक माइनिंग अफसर इस बार बुरी तरह से फंस गया। दरअसल उसका तबादला एक जिले से दूसरे जिले में किया गया। जब तक अफसर भारमुक्त होकर नए जिले में ज्वाइनिंग देने के लिए पहुंचे तब तक कोर्ट से स्थगन आदेश पहुंच गया। सो पद खाली हुआ नहीं और अफसर की होशियारी गुम हो गई। अब वे दो जिलों के बीच में झूल रहे है। सरकार के करीब रहने के बाद भी गुरु अपने इस चेले को सहारा नहीं दे पा रहे है। वह इधर-उधर ताकझांक कर जोर लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है आखिर कोर्ट के आदेश के खिलाफ कौन जाएगा?