राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

अमित शाह की घुट्टी

चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत के लिए राज्य के नेताओं को लगातार घुट्टी पिला रहे हैं और चुनावी मंत्र दे रहे हैं। अब अमित शाह की घुट्टी कितना असरकारक होती है, यह तो नतीजों से साफ़ होगा। अमित शाह जिस तरह चुनाव से पहले आ रहे हैं और यहां के नेताओं की बैठक ले रहे हैं उससे साफ़ है कि राज्य के नेता धारदार नहीं हैं और वे युद्ध की कमान अपने पास ही रखना चाहते हैं। भाजपा 2018 में 15 सीटों पर सिमटकर रह गई थी। भाजपा ने 2018 में हार के कारणों की समीक्षा ही नहीं की। 2018 के परिणाम को भूली बिसरी बातों की तरह लेकर भाजपा हाईकमान ने राज्य के नेताओं पर पांच प्रभारी बैठा दिए हैं। कहते हैं पांचों प्रभारियों में ही तालमेल स्थापित नहीं हो पा रहा है। बताते हैं पिछले दिनों एक प्रभारी ने राज्य के कुछ बड़े नेताओं की बैठक ली। बैठक में कुछ रणनीति बनाई गई। अगले दिन दूसरे प्रभारी आए और उन्होंने फिर उसी मुद्दे पर उन्हीं नेताओं की बैठक बुला ली। कुछ नेता तो अपने शहर पहुंच गए थे। प्रभारी के फरमान के कारण उलटे पाँव उन्हें बेमन आना पड़ा। प्रभारियों का ही लाइन-लेंथ ठीक नहीं हैं, तो लोकल नेता घुट्टी पीकर कैसे मजबूत होंगे ?

भूपेश बघेल का दांव

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल के आखिरी अनुपूरक बजट में कई दांव चले हैं। कर्मचारियों,संविदा, दैनिक वेतनभोगियों,अतिथि शिक्षकों, पटवारियों, आरक्षकों , पंचायत सचिवों सभी पर मुख्यमंत्री की कृपा बरसी। कर्मचारियों का डीए-एचआरए सब बढ़ा दिया गया है। डीए-एचआरए बढ़ाने को लेकर प्रदेश के कर्मचारी जुलाई में एक दिन की हड़ताल पर थे। अगस्त में हड़ताल का अल्टीमेटम दिया था। कर्मचारी-शिक्षक-पटवारी और सिपाही बड़े वोट बैंक हैं। कर्मचारियों की नाराजगी से कांग्रेस का वोट बैंक प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही थी। मुख्यमंत्री ने सरकारी कामकाज से जुड़े लोगों को खुश करने के लिए 2000 करोड़ रुपए का ऐलान किया है। छत्तीसगढ़िया संस्कृति की मजबूती और किसानों को गदगद करने के बाद भूपेश बघेल का कर्मचारी वाला दांव ने भाजपा के माथे पर बल ला दिया है। अब देखते हैं विधानसभा चुनाव में क्या गणित बनता है ।

ईडी के जाल में रानू साहू

कोल लेवी घोटाले में छत्तीसगढ़ कैडर के 2010 बैच की आईएएस रानू साहू गिरफ्तार हो गई। रायगढ़ की कलेक्टर रहते रानू साहू के निवास और उसके पैतृक गांव में ईडी ने छापा मारा था। ईडी ने रानू साहू को पूछताछ के लिए कई बार तलब भी किया। छापे के बाद कई महीने तक रानू साहू के खिलाफ एक्शन न होने पर अफवाह चल पड़ी थी कि ईडी ने उन्हें सरकारी गवाह बना लिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ईडी के छापे के बाद रानू को रायगढ़ कलेक्टरी से हटाकर एक विभाग और एक बोर्ड का मुखिया बना दिया। हाल ही में उन्हें तीसरा चार्ज भी दिया गया था। वैसे इस बीच ईडी ने रानू साहू की कुछ संपत्ति को अटैच कर लिया था, तब से लोग अंदाज लगा रहे थे कि देर-सबेर ईडी रानू साहू को अपने कब्जे में लेगी। 20 जुलाई को अकस्मात छापेमारी के बाद रानू पर गाज गिर गई। रानू के साथ उनके आईएएस पति भी लपेटे में आ गए हैं, लेकिन अभी ईडी के जाल में उलझने से बचे हैं। कहते हैं आने वाले दिनों में कुछ और अफसर ईडी के फंदे में आ सकते हैं। चर्चा है कि ईडी चावल घोटाले और डीएमएफ फंड की जांच को तेज करने वाली है।

कांग्रेस नेता भूमिगत

कहते हैं छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ईडी के भय से भूमिगत हो गए हैं। 20 जुलाई को ईडी उनके घर पर धावा बोली तो भी वे नहीं मिले। वैसे ईडी जब-जब इस कांग्रेस नेता के घर और दूसरे ठिकानों पर छापा मारा, तब-तब उनको सूचना मिल गई और वे भूमिगत हो गए। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के ये दिग्गज नेता ईडी के भय के कारण पिछले कुछ दिनों से राजधानी छोड़कर पड़ोस के एक जिला मुख्यालय के एक सरकारी डाक बंगला में रात को रुकते थे। अब अफवाह फैली है कि ईडी की चपेट में आने से बचने के लिए ये नेता विदेश चले गए हैं। अब ये विधानसभा चुनाव से पहले नहीं आने वाले हैं। चर्चा है कि नेताजी के भूमिगत हो जाने से कांग्रेस दफ्तर के कई लेन-देन पर असर पड़ गया। कांग्रेस कार्यालय के चेक पर नेताजी का हस्ताक्षर चलता है।

जोगी की पार्टी अब एक विधायक वाला

2018 के विधानसभा चुनाव में पांच विधायकों और 7.6 फीसदी वोटों के साथ छत्तीसगढ़ में तीसरी ताकत के रूप में उभरी अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अब केवल एक विधायक वाला हो गया। श्रीमती रेणु जोगी ही अब इस पार्टी की विधायक रह गई हैं। जोगी कांग्रेस से चुने गए लोरमी के विधायक धर्मजीत सिंह निलंबित हैं। बलौदाबाजार के विधायक प्रमोद शर्मा ने शनिवार को विधायकी से इस्तीफा दे दिया।अजीत जोगी और देवव्रत सिंह के निधन के चलते पहले ही पार्टी के दो विधायक कम हो गए थे। कहा जा रहा है धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा भाजपा में प्रवेश करने वाले हैं। अजीत जोगी के बेटे अमित से दोनों की पटरी नहीं बैठ पाई। अजीत जोगी के निधन के बाद से ही अमित पार्टी के कर्ताधर्ता हैं। कहते हैं अब अगला चुनाव रेणु जोगी नहीं लड़ेंगी। चर्चा है कि कोटा क्षेत्र से अमित जोगी चुनाव लड़ेंगे। जाति के फेर में अमित मरवाही उपचुनाव नहीं लड़ पाए थे। बताते हैं जोगी की पार्टी का राज्य के एक खास वर्ग पर अब भी प्रभाव है।

वैशाली नगर सीट पर सरोज पांडे की नजर

कहते हैं वैशाली नगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा सांसद सरोज पांडे चुनाव लड़ना चाहती हैं। सरोज पांडे इस सीट से एक बार चुनाव जीत चुकी हैं। राज्यसभा सदस्य के तौर पर सरोज पांडे का कार्यकाल 2024 में समाप्त होने वाला है। विधायक विद्यारतन भसीन के निधन के बाद इस सीट के लिए भाजपा को नया चेहरा तलाशना ही पड़ेगा। कहते हैं भाजपा के कई सांसद विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। चर्चा है कि पाटन विधानसभा सीट से सांसद विजय बघेल भी ताल ठोंकने लगे हैं।

आईएफएस अफसर का हैदराबाद टूर

छत्तीसगढ़ के एक आईएफएस अफसर का हैदराबाद टूर इन दिनों चर्चा में है। कहते हैं ये अफसर हर हफ्ते हैदराबाद के टूर पर जाते हैं। खबर है कि ये शुक्रवार की शाम को निकलते हैं और सोमवार की सुबह आ जाते हैं। कहा जाता है ये पहले रायपुर से हैदराबाद जाते थे , लेकिन जब से उन्हें ऊंची कुर्सी मिली है, तब से वे रायपुर से दिल्ली और फिर दिल्ली से हैदराबाद की उड़ान भरते हैं। वैसे यह अफसर मूलतः हैदराबाद के रहने वाले हैं।

जमाना फेस टाइम का

राज्य के नेता,अफसर और बिजनेसमैन पहले व्हाट्सअप काल को सुरक्षित मानते थे। साधारण काल की जगह व्हाट्सअप काल ही किया करते थे। कहते हैं जब से ईडी ने व्हाट्सअप मैसेज और चैट के डिटेल निकाल कर दिग्गजों तक पहुंच गई , तब से नेता,अफसर और बिजनेसमैन व्हाट्सअप काल को सुरक्षित नहीं मान रहे हैं। व्हाट्सअप काल की जगह अब फेस टाइम से बात करने में भरोसा कर रहे हैं। फेस टाइम आडियो-वीडियो काल का एप है। कहा जा रहा है कि फेस टाइम में बात करने के लिए वीआईपी लोग ज्यादातर आई फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button