तबादले के मायने……….
आमतौर पर तबादला सरकार का अहम कार्य है। इस कार्य मे प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के तबादले होने संबंधी मापदंड निर्धारित होते है। एक समय अधिकांश सरकार मई मध्य से जून मध्य तक तबादला कर उन्हें मूर्त रूप दे देती थी। जब देश मे केवल सरकारी स्कूल कालेज हुआ करते थे तब शैक्षणिक सत्र जुलाई से शुरू होता है उसके पहले सरकारी कर्मचारी परिवार सहित तबादला किये गए स्थान पर पहुँच जाए। ये मान्यता थी।
अब शैक्षणिक सत्र की शुरुवात जून मध्य से होती है।इसके अलावा सड़क मार्ग के सुविधाएं बढ़ जाने और शिक्षा के लिए विकल्प बन गए है तो तबादले कभी भी हो सकते है। प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के लिए सामान्यतः तबादले की अवधि निश्चित नही होती। आवश्यकता के आधार पर तबादले होते है।
तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के तबादले के लिए नीति बनती है। देश भर में कोरोना के चलते 2019 के बाद नीति नही बनी है। सामान्यतः सरकार अधिकतम 10% तबादले की नीति बनाती है। जो प्रशासनिक होते है। प्रशासनिक तबादले के अर्थ है कि तबादला हुए कर्मचारी के परिवार सहित समान ले जाने का खर्च सरकार अदा करती है। ये व्यय प्रशासनिक व्यय माना जाता है। प्रशासनिक तबादले के अलावा स्वयं के व्यय और परस्पर सहमति से भी तबादले होते है जिसमे व्यय संबंधित कर्मचारी को देना होता है।
सामान्यतः तृतीय श्रेणी के कर्मचारी का तबादला एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए 3 वर्ष और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का तबादला 5 वर्ष तक नहीं किये जाने की व्यवस्था है लेकिन अनेक कारणों से ये समय प्रतिबंधित नही होता है। तबादला अंतर जिला और जिले के भीतर होता है। जिले के भीतर प्रभारी मंत्री की अनुशंसा से होता है। इसका भी प्रतिशत तबादला नीति में उल्लिखित होता है।
सर्वाधिक परेशानी अनुसूचित जिलों में तबादले को लेकर होती है। सामान्य क्षेत्र के कर्मचारी आसानी से ऐसे क्षेत्र में नही जाते है और अनुसूचित क्षेत्र के कर्मचारी नए स्थान पर नही आ पाते है क्योंकि एवजीदार के आये बिना तबादला हुआ कर्मचारी नही आ सकता है। ऐसे में तबादला होने का अभिप्राय सार्थक नही हो पाता है।
तबादला नीति में मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ के अध्यक्ष, सचिव,महामंत्री सहित कोषाध्यक्ष को 2 पदावधि की छूट का प्रावधान रहता है। इसका लाभ तभी मिलता है जब संघ का प्रांताध्यक्ष 31 मार्च के पहले संघ के पदाधिकारियों की लिखित सूचना सामान्य प्रशासन मंत्रालय सहित संबंधित विभाग प्रमुख को दे देता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा 2022 -23 में तबादले के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया है साथ ही सभी विभागों से 2019 से 2022 तक किये गए तबादले की फेरहिस्त भी संकलित कर ली गयी है । इससे इस बात की संभावना है कि उपसमिति विभागवार समीक्षा कर आवश्यकता अनुसार नीति निर्धारित करे। राज्य में अनेक विभागों में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कारण हुए रिक्त स्थान को समानुपातिक रूप से समन्वित करने का कार्य भी आगामी तबादला नीति की प्रमुख चुनोती होगी।
ये मंत्री करेंगे ट्रांसफर पर बैन हटाने का फैसला
कल हुई कैबिनेट की बैठक में कर्मचारियों के स्थानांतरण पर दो सालों से लगा प्रतिबंध हटाने पर चर्चा हुई। इस पर लगभग सहमति बनी है। लेकिन सरकार इसका फैसला करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार कर लेना चाहती है। ऐेसे में एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई जानी है। इसकी अध्यक्षता गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू करेंगे। इसमें मोहम्मद अकबर, डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, डॉ. शिव कुमार डहरिया और अनिला भेंडिया को भी शामिल किया गया है।
नारायण भोई