CABINET; विधायक गजेंद्र यादव, गुरु खुशवंत साहेब और राजेश अग्रवाल ने मंत्री पद की शपथा ली

रायपुर, राजभवन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मंत्रिमंडल के नए सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल रमेन डेका ने अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल, आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब और दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव को मंत्री पद की शपथ दिलाई, अब राज्य मांत्रिमंडल में 13 मंत्री हो गए है। करीब 20 महीने बाद मंत्रिमांडल का विस्तार हुआ है। नए मंत्रियों को अभी विभागों का बंटवारा नही किया गया है.
विधायक खुशवंत साहेब की राजनीति
आरंग विधायक और साय मंत्रिमंडल के नए सदस्य गुरु खुशवंत साहेब आरंग विधानसभा के ग्राम भंडारपुरी धाम के रहने वाले हैं. गुरु खुशवंत साहेब के पिता सतनामी समाज के धर्मगुरु बाल दास साहेब पहले भाजपा में थे. 2013 के चुनाव उन्होंने भाजपा के पक्ष में जमकर काम किया था. सतनामी समाज का प्रभाव राज्य की 10 विधानसभा सीटों पर है. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और कांग्रेस के दिग्गज नेता और मंत्री शिव डहरिया को हजार-दो हजार नहीं, बल्कि 16538 मतों के अंतर से पराजित किया.
कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप लगा पिता लौटे भाजपा में
2018 के चुनाव से पहले बाल दास कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन 22 अगस्त 2023 को कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने उनके पुत्र गुरु खुशवंत साहेब को आरंग विधानसभा सीट से मंत्री शिव डहरिया के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था.
16 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से हासिल की जीत
आरंग विधानसभा सीट में सतनामी समाज की बहुलता है. खुशवंत साहेब सतनामी समाज के धर्मगुरु के बेटे हैं. उनकी समाज में अच्छी पकड़ है. क्षेत्र में भी वह काफी सक्रिय है. नतीजा गुरु खुशवंत साहेब को 94039 वोट मिलें. जबकि कांग्रेस के शिव डहरिया को 77501 वोट मिले. खुशवंत साहेब ने 16538 वोटों से जीत हासिल की.
गुरु खुशवंत साहेब
पिता– राजगुरु धर्मगुरु गुरु बालदास साहेब (गुरुगद्दीनसीन गुरुद्वारा भंडारपुरीधाम)
राष्ट्रीय अध्यक्ष-अखिल भारतीय सतनाम सेना
जन्म तिथि–27 मार्च 1989
वैवाहिक स्थिति–अविवाहित
शैक्षणिक योग्यता :- ग्रेजुएट इंजीनियरींग (मेकेनिकल) पोस्ट ग्रेजुएट – मास्टर इंजीनियरिंग (टर्बो मशीनरी)
विधायक राजेश अग्रवाल का राजनीतिक सफर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रिमंडल में स्थान हासिल करने वालों में 2018 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल भी शामिल हैं. राजेश अग्रवाल एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के करीबी हुआ करते थे, लेकिन समय ने ऐसी करवट ली कि 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सिंहदेव को कांटे की टक्कर में महज 94 मतों के शिकस्त देकर पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरी.
व्यवसाय से राजनीति में आए विधायक राजेश अग्रवाल
स्वर्गीय चांदी राम अग्रवाल के पुत्र राजेश अग्रवाल लखनपुर के रहने वाले हैं. राजनीति में कदम रखने से पहले उन्होंने कारोबार में अपना नाम कमाया. अंबिकापुर में उन्होंने और उनकी पत्नी ने मिलकर निजी व्यापारिक गतिविधियों को आगे बढ़ाया. व्यवसाय से जुड़े रहने के दौरान ही उनका रुझान राजनीति की ओर बढ़ा. दिग्गज कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव के लिए लंबे समय तक कार्यकर्ता के तौर पर जुड़े रहे.
सिंहदेव की छांव से परे भाजपा में मिली पहचान
राजनीति में राजेश अग्रवाल को सही पहचान 2018 में मिली, जब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर भाजपा का हाथ थामा. भाजपा ने उनकी योग्यता को समझा और पनपने का पूरा मौका दिया. जल्द ही उन्हें सरगुजा जिला कार्यकारिणी के सदस्य नियुक्त किया गया, इसके बाद पार्टी संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने लगे. मेहनत और समर्पण का नतीजा रहा कि भाजपा ने उन्हें अंबिकापुर जैसी प्रतिष्ठित सीट से प्रत्याशी बनाया.
पहले ही चुनाव में किया सबसे बड़ा राजनीतिक उलटफेर
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी के रूप में अंबिकापुर सीट से मैदान में उतारा गया. यह सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का गढ़ मानी जाती थी. कड़े मुकाबले में राजेश अग्रवाल ने कुल 90,780 वोट हासिल कर सिंहदेव को 94 मतों के बेहद मामूली अंतर से हराया. यह जीत छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर साबित हुई.
दिलचस्प है विधायक गजेंद्र यादव का पार्षद से मंत्री तक का सफर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नए मंत्रियों में एक नाम गजेंद्र यादव का है. दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण वोरा को शिकस्त दी थी. विधायक बनने से पहले गजेंद्र यादव ने राज्य मुख्य आयुक्त स्काऊट-गाइड के रूप में छत्तीसगढ़ को स्काऊट-गाइड में नई पहचान दिलाई. यही नहीं उनके नाम अविभाजित मध्यप्रदेश के सबसे कम उम्र के पार्षद होने का रिकार्ड है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े बिसरा राम यादव के पुत्र गजेंद्र यादव ने वर्ष 1996 में साइंस कालेज दुर्ग में बीएससी की पढ़ाई के दौरान अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत करते हुए स्व ताराचंद साहू के लोकसभा चुनाव में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में जमीनी स्तर पर काम किया. उनकी सक्रियता को देखते हुए भाजपा ने उन्हें वार्ड अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी. अध्यक्ष के रूप में वर्ष 1998 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी रहे हेमचंद यादव के लिए काम किया.
पांच बार के पार्षद व पूर्व उपमहापौर को हराकर आए चर्चा में
भाजपा ने वर्ष 1999 में दुर्ग नगर निगम चुनाव में उन्हें कचहरी वार्ड से प्रत्याशी बनाया. चुनाव में गजेन्द्र ने पांच बार के पार्षद व पूर्व उपमहापौर रहे खेमलाल सिन्हा को हराकर पार्षद निर्वाचित होने के साथ शहर की राजनीति में चर्चे में आए. वे वर्ष 2005 तक पार्षद रहे. राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन शिक्षामंत्री मेघाराम साहू ने वर्ष 2005 में यादव को स्काऊट गाइड का राज्य सचिव नियुक्त किया, इसके बाद पार्टी ने उन्हें वर्ष 2009 में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी दी.
स्काउट-गाइड में दिलाई प्रदेश को नई पहचान
गजेन्द्र यादव वर्ष 2015 में स्काऊट-गाइड के राज्य आयुक्त नियुक्त किए गए. उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य स्काऊट गाइड ने पर्यावरण, कला, संस्कृति, यातायात जागरूकता, सामाजिक उत्तरदायित्व के कार्य करते महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए एक अमिट छाप छोड़ी. पर्यावरण के क्षेत्र में जिले के ग्राम कोड़िया देऊरझाल में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुख्य आतिथ्य में 1 लाख 53 हजार पौधे रोपे गए. इसी प्रकार यातायात सुरक्षा जागरूकता की दृष्टि से 10 हजार 622 बच्चों को प्रशिक्षित किया गया.
पिछड़ा वर्ग समागम में सभी समाज को किया एकजुट
अरुण साव के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद गजेंद्र यादव को उन्होंने भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया. इस दायित्व का बखूबी निर्वहन करते हुए बहुत कम समय में पिछड़ा वर्ग के विभिन्न समुदायों की समस्याओं की ओर पार्टी का ध्यान आकृष्ट कराया. पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर पिछड़ा वर्ग मोर्चा का उन्होंने समागम आयोजित किया. पहली बार दुर्ग में इस आयोजन के माध्यम से उन्होंने सभी समाज के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया.
अरुण वोरा को 50 हजार मतों के अंतर से हराया
गजेंद्र यादव ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण वोरा को लगभग 50 हजार वोटों से हराया. गजेंद्र यादव को जहां 96 हजार 651 वोट मिले, वहीं अरुण वोरा को 48 हजार 376 मतों पर ही संतोष करना पड़ा. इस तरह से गजेंद्र यादव ने 48275 वोटों के अंतर से जीत हासिल की.
गजेन्द्र यादव
पिता- बिसरा राम यादव
माता-स्व. कौशल्या बाई यादव
जन्मतिथि- 15/06/1978
शिक्षा- MA राजनीतिक शास्त्र