कानून व्यवस्था

CRIME; दुर्ग में ननों की गिरफ्तारी का मामला, पीड़ित युवतियों ने खटखटाया महिला आयोग का दरवाजा

रायपुर, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कथित मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण का मामला फिर चर्चा में है। ननों की गिरफ्तारी और मानव तस्करी का मामला राज्य महिला आयोग में रखा गया। पीड़ित तीन युवतियों ने आरोप लगाया कि पिछले महीने जब दो ननों व एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। उस समय राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) थाने में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उनसे छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार किया था। पीड़ित युवतियों ने इस संबंध में राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया कि युवतियों की शिकायत के बाद आयोग ने 20 अगस्त को मामले की सुनवाई की थी। इसमें तीनों युवतियां मौजूद थी। हालांकि प्रतिवादी पक्ष इस दौरान उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद दुर्ग जिले और जीआरपी के पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर अगली सुनवाई में उपस्थित कराने के लिए कहा गया।

बजरंग दल ने की थी शिकायत

रेलवे पुलिस के मुताबिक, बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारी की शिकायत पर 25 जुलाई को जीआरपी ने कार्रवाई की थी। जीआरपी ने नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के साथ सुकमन मंडावी नाम के एक व्यक्ति को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। बाद में बिलासपुर जिले की एक विशेष अदालत से जमानत मिलने के बाद दो अगस्त को उन्हें दुर्ग केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया था।

युवतियों के अधिवक्ता फूलसिंह कचलाम ने बताया कि नारायणपुर जिले की निवासी 19 से 21 वर्ष की तीन युवतियों सुखमती मंडावी, ललिता उसेंडी और कमलेश्वरी प्रधान ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की है। उन्होंने कहा कि 25 जुलाई को नारायणपुर से दुर्ग पहुंची थी। वहां से काम करने के लिए उत्तर प्रदेश के आगरा शहर जाने वाली थीं।
उन्होंने बताया कि जब वे रेलवे स्टेशन पर थीं तब ज्योति शर्मा, रवि निगम तथा कुछ अन्य असमाजिक तत्वों ने उन्हें पकड़ लिया और उनसे गाली-गलौच की।

बजरंग दल पर धमकाने का आरोप

युवतियों ने शिकायत में कहा कि इसके बाद शर्मा, निगम और अन्य लोग उन्हें दुर्ग स्थित रेलवे पुलिस थाना ले गए और वहां उनसे छेड़छाड़ की और उन्हें दुष्कर्म की धमकी दी। पीड़ित युवतियों ने आरोप लगाया कि इस दौरान बजरंग दल के पदाधिकारियों ने उन्हें जातिसूचक गाली भी दी। युवतियों ने कहा कि वह अपनी मर्जी से और परिजनों की सहमति से काम करने के लिए आगरा जा रही थीं।

कचलाम ने बताया कि घटना के बाद युवतियां नारायणपुर अपने घर आ गई थीं और बाद में घटना की शिकायत उन्होंने नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक से और अनुसूचित जाति, जनजाति विशेष थाने में की लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पीड़ित युवतियों ने इसकी शिकायत महिला आयोग में की।अधिवक्ता ने बताया कि जीआरपी थाने में लगे सीसीटीवी फुटेज (25 जुलाई की) को भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि आयोग ने जीआरपी थाना प्रभारी समेत दो थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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