RSS; ’75 साल मतलब उम्र हो गई’…क्या इस साल झोला लेकर चल पड़ेंगे पीएम मोदी, किसकी ओर है मोहन भागवत का इशारा?
मोदी

नई दिल्ली, 2014 में जब से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार बनी है, पार्टी ने एक अघोषित परंपरा विकसित की है। परंपरा यह है कि 75 वर्ष के हो जाने पर इसके नेता रिटायरमेंट ले लेते हैं। पार्टी के कई पूर्व सांसदों, राज्यपालों को इसी वजह से न तो टिकट मिला और ना ही उनका कार्यकाल बढ़ाया गया। बीजेपी के वैचारिक संगठन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में इसी विचार के तहत एक ऐसी टिप्पणी कर दी है, जिसे पीएम मोदी के रिटायरमेंट से जोड़ा जा रहा है। भागवत ने कहा है कि ’75 साल मतलब उम्र हो गई’। संयोग से इसी साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 75 वर्ष के होने वाले हैं।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने क्या कहा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने सुझाव दिया है कि नेताओं को 75 साल पूरे होने पर रिटायर हो जाना चाहिए। संयोग से खुद भागवत भी इसी साल 75 साल के होने वाले हैं। 9 जुलाई को उन्होंने नागपुर में आरएसएस के एक विचारक दिवंगत मोरोपंत पिंगले को समर्पित एक किताब के विमोचन के मौके पर कहा, ‘जब आप 75 के हो जाते हैं, इसका मतलब है कि अब आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों को रास्ता देना चाहिए।’ उन्होंने ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस’नाम के पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि एक बार पिंगले ने कहा था, ’75 वर्ष के होने के बाद अगर आपको शॉल देकर सम्मानित किया जाता है, इसका मतलब है कि आपको अब रुक जाना चाहिए, आपकी आयु हो चुकी है; हट जाइए और दूसरों को आगे आने दीजिए।’
“हम तो फकीर आदमी हैं झोला लेके चल पड़ेंगे”
बात मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के करीब एक महीने बाद की है। उस समय देश में विरोधी खेमे ने पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। नोटबंदी की वजह से गरीबों को होने वाली मुश्किलों का रोना रोया जा रहा था। इसी दौरान 3 दिसंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्रे मोदी यूपी के मुरादाबाद में ‘परिवर्तन रैली’ को संबोधित करने पहुंचे। प्रदेश 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हो रहा था। पीएम मोदी ने नोटबंदी को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अभियान बताते हुए अपने विरोधियों पर यह कहकर निशाना साधा कि “हम तो फकीर आदमी हैं झोला लेके चल पड़ेंगे जी”। दरअसल, वह कह रहे थे कि वह तो राष्ट्र सेवा कर रहे हैं और इसके लिए वह हर अंजाम भुगतने के लिए तैयार हैं, लेकिन भ्रष्टाचारियों को छोड़ने वाले नहीं हैं।
‘आरएसएस का काम ही यही है इशारा करना’
ऐसे समय में मोहन भागवत किसकी ओर इशारा कर रहे हैं, यह राजनीतिक जिज्ञासा का विषय बन गया है। संघ प्रमुख की टिप्पणी को लेकर आरएसएस के एक वरिष्ठ विचारक और संघ से भाजपा में आए पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम नहीं जाहिर होने देने की गुजारिश करते हुए बताया, “संघ का काम ही यही है इशारा करना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समय-समय पर अपना यह उत्तरदायित्व निभाता रहता है।” मतलब, कहीं न कहीं सर संघचालक अपने लिए और पीएम मोदी दोनों के लिए यह इशारा कर सकते हैं।
‘सही समय आने पर मोदी खुद करेंगे फैसला’
जब यही सवाल संघ से भाजपा में आ चुके पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से किया गया तो उन्होंने भी नाम नहीं बताने की शर्त पर पहले तो यह कहा कि “मोहन भागवत जी ने वही कहा है, जो सनातन संस्कृति है।” लेकिन, कुरेदने पर बोले कि “नरेंद्र मोदी भी उतने ही प्रामाणिक स्वयंसेवक हैं, जितने कि मोहन भागवत। हां, भागवत अभी सर संघचालक हैं और मोदी जी ने उनकी बातों को आदेश माना तो वह ऐसा कर सकते हैं। लेकिन, पीएम मोदी खुद ही सक्षम हैं और उन्हें लगेगा कि ऐसा करने का यह सही समय आ चुका है तो वह स्वयं ऐसा करने में सक्षम है और इसके लिए उन्हें भागवत की सलाह की आवश्यकता नहीं है।