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गांधी के पास डिग्री न होने के बयान पर तुषार गांधी बोले- जाहिलों को राज्यपाल बनाएंगे तो यही होगा

नई दिल्ली,एजेंसी,  महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल एलजी मनोज सिन्हा के इस दावे को खारिज कर दिया कि राष्ट्रपिता के पास एक भी विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं थी.

तुषार गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘महात्मा गांधी के पास मैट्रिक की दो डिग्रियां हैं. पहली अल्फ्रेड हाई स्कूल राजकोट से है और ऐसी दूसरी डिग्री लंदन की है. उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से संबद्ध एक लॉ कॉलेज, इनर टेंपल से कानून की डिग्री का अध्ययन और परीक्षा उत्तीर्ण की और साथ ही लैटिन और फ्रेंच में एक-एक डिप्लोमा प्राप्त किए हैं. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को शिक्षित करने के लिए यह जानकारी दी जा रही है.’

 मीडिया से बात करते हुए तुषार गांधी ने सिन्हा के बयान पर कहा, ‘जाहिलों को राज्यपाल बना देंगे तो यही नतीजा होगा. उनके पास लॉ की डिग्री थी, लेकिन इसकी एन्टॉयर लॉ डिग्री जरूर नहीं थी. जैसी मोदी जी के पास पॉलिटिकल साइंस की एन्टॉयर लॉ डिग्री है.’ उन्होंने आगे कहा कि बापू ने अपनी शिक्षा से लेकर जीवन से जुड़ी हर बात अपनी आत्मकथा में लिखी है. इसकी एक प्रति मैं मनोज सिन्हा को भेज दूंगा, ताकि वे अपनी समझ बढ़ा सकें.

उल्लेखनीय है कि मनोज सिन्हा ने बीते 24 मार्च को आईटीएम ग्वालियर में डॉ. राम मनोहर लोहिया स्मृति व्याख्यान में एक कार्यक्रम के दौरान गांधीजी की शैक्षिक योग्यता के बारे में बात की थी.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उन्होंने कहा था, ‘यह भ्रांति है कि गांधी जी के पास कानून की डिग्री थी. क्या आप जानते हैं कि उनके पास एक भी विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं थी? उनकी एकमात्र योग्यता हाई स्कूल डिप्लोमा थी. उन्होंने कानून का अभ्यास करने की योग्यता प्राप्त की, लेकिन उनके पास कानून की डिग्री नहीं थी. उनके पास कोई डिग्री नहीं थी, लेकिन वह कितने पढ़े-लिखे थे.’

उन्होंने कहा था, ‘गांधी ने देश के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन जो कुछ भी हासिल हुआ, उसका केंद्र बिंदु सत्य था. उनके जीवन के तमाम पहलुओं पर गौर करें तो उनके जीवन में सत्य के अलावा कुछ भी नहीं था. चाहे कितनी भी चुनौतियां हों, महात्मा गांधी ने कभी भी सत्य का परित्याग नहीं किया और अपनी अंतरात्मा की आवाज को पहचाना. नतीजतन, वह राष्ट्रपिता बने. ’सिन्हा की टिप्पणी की निंदा करते हुए तुषार गांधी ने ट्वीट किया, ‘मैंने बापू की आत्मकथा की एक प्रति राजभवन जम्मू को इस उम्मीद के साथ भेजी है कि अगर उपराज्यपाल पढ़ सकते हैं तो वह खुद को शिक्षित करेंगे.’

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