कानून व्यवस्था

अब ट्रस्टों की चालाकी नहीं चलेगी, एक दूसरे को डोनेशन देना पड़ेगा भारी, आयकर विभाग की रहेगी नजर

रायपुर, आयकर की नजर अब बड़े-बड़े पूंजीपतियों आम करदाताओं के साथ ही धार्मिक, पारमार्थिक व सामाजिक संस्थाओं पर हो गई है। आयकर विभाग (Income Tax Department) अब सामाजिक कार्य करने वाले इन ट्रस्टों की आमदनी पर भी कड़ी नजर रखेगी। बताया जा रहा है कि एक अप्रैल से आयकर विभाग द्वारा धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के लिए नया रिटर्न और आडिट फार्म जारी किया है। पहले जो ट्रस्ट व संस्थाएं दो पेज की आडिट रिपोर्ट दाखिल करती थी, वह अब 20 पेज की आडिट रिपोर्ट भरेंगे।

नया फार्मेट 10(बी) व 10(बीबी) आयकर दान, गुप्त दान, ट्रस्ट व ट्रस्टियों से लेकर खर्च और दूसरे ट्रस्ट को किए गए दान की छोटी से छोटी जानकारी मांगी जा रही है। इसके साथ ही ट्रस्टों के बीते कई वर्षों का रिकार्ड खंगालने और खानापूर्ति में गलती होने पर ट्रस्टों पर संपत्ति के अनुपात में भारी टैक्स लगाने का अधिकार भी आयकर को है। बताया जा रहा है कि ट्रस्ट व संस्थाओं को 31 अगस्त तक नए प्रारूप में रिटर्न और 30 सितंबर तक आडिट रिपोर्ट जमा करानी होगी। कर विशेषज्ञ दिनेश तारवानी ने बताया कि अब ट्रस्टों द्वारा चालाकी करने पर उन्हें टैक्स भरना पड़ेगा। आयकर नियमों का पालन करना उनके लिए जरूरी है।

अब नहीं चलेगा डोनेशन का खेल

नए नियम के अनुसार शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक, परमार्थिक ट्रस्ट के लिए जरूरी है, कि वह अपनी आय का 85 प्रतिशत हिस्सा सालभर में खर्च करें। ये संस्थाएं 15 प्रतिशत बचा सकती है। यह देखा जा रहा था कि संस्थाओं द्वारा 85 प्रतिशत हिस्सा खर्च न होने पर दूसरे ट्रस्ट को दान देकर अपनी औपचारिकता पूरी कर ली जा रही थी। लेकिन अब बजट में किए गए संशोधन के अनुसार ट्रस्ट द्वारा 85 प्रतिशत खर्च न होने पर वह दूसरे ट्रस्ट को डोनेशन दे सकते है,लेकिन वह डोनेशन केवल 85 प्रतिशत ही माना जाएगा। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि अगर किसी ट्रस्ट की आमदनी 100 रुपये है,तो उसे सालभर में 85 रुपये खर्च करने होते थे। लेकिन ट्रस्ट द्वारा 70-75 रुपये ही खर्च हो पाते थे,ऐसी स्थिति में ट्रस्ट डोनेशन देकर अपना 85 प्रतिशत खर्च पूरा करती थी। लेकिन अब नए नियमों के अनुसार ट्रस्टों की यह चालाकी करने पर उसे टैक्स भरना होगा।

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