चार मई शर्मशार हुई मानव सभ्यता….
वैसे तो मणिपुर में तीन महीनों से जो हो रहा है, वह बहुत ही शर्मनाक है, घर जला रहें हैं, मार पीट हो रही है, इनमे से एक शर्मसार करने वाली घटना है एक वैन में मां बेटे को जिंदा जला देना, और भी ऐसी कई घटनाएं जो हमारे सामने आई , कुछ तो पता ही नही चला, न ही खबर में आई कि हम जान सकें। अक्सर स्त्रियों के अपमान होने की खबरें भी आ रही थी। सरकार इसमें कोई संज्ञान नही ले रही हैं।
चार मई की घटना तो मानवता को शर्मसार करने की सभी हदों को पार कर दिया, मैं इस जगह वो वाक्य बयान नही कर सकती सारे देश वासियों को मालूम है कि, उन दोनो महिलाओं के साथ कैसा सलूक हुआ। हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ गई। ना हम मुगलों के राज में हैं, न ही अंग्रेज द्वारा शासित है, हमारा देश स्वतंत्र है, फिर इस देश के नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार कैसे हो सकता है। खासकर महिलाओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार ।
हम गर्व से कहते है हम इकिसवीं सदी के भारत के नागरिक हैं हमारा देश बहुत तरक्की कर चुका है , महिलाएं पढ़ लिख कर बहुत आगे बढ़ गई है । परंतु सच्चाई तो यही दिख रही है जहां भी किसी तरह का असंतोष या अराजकता हुई तो, पहले स्त्रियों को ही टारगेट किया जाता है। कहां है वे लोग जो लड़कियों के छोटे कपड़े और संस्कार पर बड़े बड़े पोस्ट दिया करते थे, आज उनके मुंह पर ताला क्यूं जड़ा है।
नौ जून की घटना ने सिद्ध कर दिया कि हम किसी सभ्य समाज से नही है। अभी भी पराधीन मानसिकता के मंद बुद्धि, जो अपने भले को समझ नही पा रहे हैं । चंद राजनेता के हाथो के गुलाम बने हुएं है। कहां हैं हमारे वो नेता जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे लगाते है। आज वे चुप क्यों है ? आगे आकर मणीपुर में स्त्रियों को संरक्षण क्यों नही दे रहे हैं? चाहे वे कुकी समाज हो ,या मैतेई समाज, हैं तो हमारे ही देश की स्त्रियां ?
किसी की मां, किसी की बहन या किसी की पत्नी, उनका इतना अपमान क्यों? और ऐसा हम कैसे कह सकते हैं कि, ऐसे सिर्फ एक ही घटना हुई है ,ये तो वायरल हो गया तो पता चला वरना ऐसी कितनी ही घटनाएं हो रही होंगी और हमें पता भी नही चला। कब तक… आखिर कब तक महिलाओं को ये दंश झेलना पड़ेगा ? और हमारे राजनेता विदेश की राजनीति को सुलझाने व्यस्त रहेंगे।
सुजाता