कानून व्यवस्था

फैसला सुरक्षित; अफसरों की पेशी पर गाइडलाइन दे सकता है सुप्रीम कोर्ट, केंद्र का सुझाव-असाधारण मामले में ही कोर्ट बुलाएं

नईदिल्ली, सुप्रीम कोर्ट सरकारी अफसरों की कोर्ट में पेशी को लेकर गाइडलाइन दे सकता है। 16 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि असाधारण मामलों में ही किसी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कोर्ट बुलाया जाना चाहिए। सोमवार (21 अगस्त) को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वो इस बात पर भी विचार करेंगे कि कोर्ट में पेश होने के दौरान किसी अधिकारी की ड्रेस कैसी होनी चाहिए। कोर्ट ने ये कमेंट इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए किया।

ये है मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश का पालन ना करने पर उत्तर प्रदेश के दो IAS अधिकारी- शाहिद मंजर अब्बास रिजवी और सरयू प्रसाद मिश्रा को हिरासत में लेने का निर्देश दिया था। 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने सरकारी अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में SOP दाखिल कर विचार के लिए कुछ सुझाव दिए थे। कोर्ट ने SOP को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

बड़े अफसरों को तलब करने पर रुक जाते हैं दूसरे काम
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि SOP के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जिनमें सरकार हमें बता रही है कि रिव्यू कैसे किया जाना चाहिए। हम इस मुद्दे पर खुद गाइडलाइन तैयार कर सकते हैं।

वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार की ये मंशा कभी नहीं रही। हम बस ये कहना चाहते हैं कि मुख्य सचिव जैसे बड़े अफसरों को तलब करने की जरूरत नहीं है। इससे दूसरे सब काम रुक जाते हैं।

अफसर को VC के जरिए पेशी की छूट मिलनी चाहिए
केंद्र सरकार ने कोर्ट में अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिए थे। उसमे कहा गया था कि सरकारी मामलों से संबंधित कार्यवाही में सरकारी अधिकारियों को केवल असाधारण मामलों में ही बुलाया जाना चाहिए, ना कि नियमित रूप से।

अगर किसी केस में संबंधित सरकारी अधिकारी के पास अदालत में उपस्थित होने के अलावा और कोई विकल्प ना हो तो ऐसी स्थिति में उसे पहले से पर्याप्त समय देते हुए नोटिस दिया जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट को उन्हें पहले विकल्प के रूप में वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के जरिए पेश होने की छूट देनी चाहिए। इसके लिए वीसी का लिंक तय सुनवाई से कम से कम एक दिन पहले संबंधित अधिकारी को दिए गए मोबाइल नंबर या ई-मेल ID पर SMS और ई-मेल या वॉट्सऐप द्वारा भेजा जा सकता है।

अफसर के केजुअल ड्रेस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए
SOP में कहा गया है कि कोर्ट में पेश होने वाले सरकारी अधिकारी की ड्रेस और एजुकेशन क्वालिफिकेशन पर कमेंट करने से बचना चाहिए। सरकारी अधिकारी कोर्ट के अधिकारी नहीं हैं और उनके कैज़ुअल ड्रेस में कोर्ट में पेश होने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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