राजनीति

शंकराचार्य ने मतांतरण के लिए सरकार और राज्यपाल को बताया दोषी; कहा- हिंदू धर्म के थे ईसा मसीह

रायपुर, छत्तीसगढ़ में हो रहे मतांतरण को लेकर गोवर्धनमठ पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बड़ी बात कही है। शंकराचार्य ने कहा कि मतांतरण के लिए सरकार और राज्यपाल दोषी हैं। वे अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करते, इसलिए धर्मांतरण हो रहा है।

गुढ़ियारी निवासी समाजसेवी बसंत अग्रवाल के निवास पर एक पत्रकारवार्ता में शंकराचार्य ने कहा कि सेवा के नाम पर हिंदू को अल्पसंख्यक बनाने का काम हो रहा है, जिसके लिए हिंदू भी जिम्मेदार हैं। सामाजिक संस्थान भी दोषी हैं। प्रत्येक हिंदू परिवार के सदस्य एक रुपये और आस्था के लिए एक घंटे का समय निकालें। अपनी समस्या का समाधान मिलकर करें। एक समिति का गठन करके सांसद, विधायक, पार्षद को जोड़ें। सभी मिलकर योजना बनाएं।

हिंदू धर्म के थे ईसा मसीह

शंकराचार्य ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राेम में ईसा मसीह की प्रतिमा वैष्णव तिलक युक्त है। प्रतिमा को ढककर रखा गया है। जब 30 वर्ष पहले मैं शंकराचार्य बना था तो मेरे पास देश-विदेश का एक शिष्ट मंडल आया था। उन्होंने छानबीन करके यह निष्कर्ष निकाला कि ईसा मसीह 10 वर्ष की अवधि के एकांतवास के दौरान भारत में ही रहे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व संघ संचालक सुदर्शन सिंह मेरे पास बार-बार आते थे।

उन्होंने कहा फांसी के तख्त पर ईसा मसीह को लटकाया गया। लोगों ने समझा वे दम तोड़ देंगे लेकिन वे जीवित निकले और पैदल चलते-चलते भारत आए। जम्मू कश्मीर में ईसा मसीह की समाधि है। समाधि स्थल खंडित जैसा है लेकिन है। सच यह है कि भारत ईसा मसीह को बहुत प्यारा था।

नरसिंह राव के शासनकाल में मंदिर-मस्जिद बन गया होता

नरसिंह राव ने मेरे अपहरण और मरवाने का प्रयास किया था लेकिन साहस नही किया कि अयोध्या में मंदिर के साथ मस्जिद बना दें। राम मंदिर को लेकर उन्होंने कहा कि यदि मैंने हस्ताक्षर कर दिया होता तो नरसिंह राव के शासनकाल में ही अयाेध्या मेंं मंदिर बन गया होता। मंदिर के अगल-बगल या आमने-सामने मस्जिद भी बन गई होती। राम मंदिर को लेकर अभी प्रधामंनत्री नरेंद्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रेय ले रहे हैं।

नए मठाधीश मेरे परिचित नहीं

तीन मठों के मठाधीश के रायपुर आने की बात पर शंकराचार्य ने कहा, उन्हे मान्यता आप देंगे? कोई भी शंकराचार्य बनकर आएगा, उसे शंकराचार्य थोड़ी मान लेंगे। पूर्व में शंकराचार्य ने अपने जीवन काल में किसी को जीवित समय में शंकराचार्य घोषित नहीं किया। पुराने तो मेरे परिचित थे। नए मेरे परिचित नहीं हैं।

भगवान राम के नाम पर भाजपा और कांग्रेस की सियासत पर उन्होंने कहा, राजनीति राजधर्म का ही नाम है। परोपकार, सेवा, संयम, धर्म की सीमा है। धर्म की सीमा का अतिक्रमण कर राजनीति नहीं की जानी चाहिए, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। समाज को सुब़ुद्ध करने की आवश्कता है। विशेषकर बालगोपाल और युवक भी सुबुद्ध हो रहे हैं। हम लोग किसी राजनीतिक दल की बात नहीं करते लेकिन प्रवचन करते है। युवकों की मेधा शक्ति बुलंद हो रही है। ऐसे तैसे, ऐरे गैरे नत्थू खैरे राजनीति में सफल नहीं हो सकते।

16 जून को रायपुर में धर्म सभा

16 जून को शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज के 81वें प्राकट्य दिवस पर रायपुर में धर्म सभा का आयोजन किया जाएगा। आयोजक बसंत अग्रवाल ने बताया कि रावांभाठा मैदान में रूद्राभिषेक और 11 हजार लोगों की कलश यात्रा निकाली जाएगी।

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