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COURT;अधिवक्ता को कोर्ट ने भेजा जेल, लगाया तगड़ा जुर्माना, झूठी FIR दर्ज कर अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर 10 साल की सजा

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लखनऊ,  विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट विवेकानंदशरण त्रिपाठी की अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. झूठी एफआईआर दर्ज कर अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर अधिवक्ता लाखन सिंह को कुल 10 साल 6 महीने की कैद और 2.51 लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई है.

फैसले में कहा गया कि झूठे मुकदमों की फैक्ट्री बना रखे दोषी लाखन सिंह ने SC/ST एक्ट के नाम पर 20 झूठे केस दर्ज करा कर कई लोगों को सालों तक कानूनी परेशानियों में घसीटा. कोर्ट ने यह निर्णय बार काउंसिल ऑफ यूपी, डीएम और सीपी लखनऊ को भेजने के निर्देश दिए हैं.कोर्ट के इस फैसले से दोषी वकील को बार से निलंबित किया जा सके और यदि उसे किसी झूठे केस के आधार पर सरकारी राहत राशि दी गई हो तो वह वसूली जाए.

विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम) विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि “अधिवक्ता जैसे जिम्मेदार पेशे को कलंकित किया गया है और न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर किया गया है।” अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे कृत्य आपराधिक न्याय प्रणाली के मूल सिद्धांतों पर सीधा आघात करते हैं – “इससे अच्छा है कि सौ दोषी छूट जाएं, लेकिन एक निर्दोष को सजा न हो।”

लाखन सिंह के खिलाफ कई आपराधिक मामले: तथ्यों के अनुसार लखनऊ के सेक्टर 13 विकास नगर में रहने वाले अधिवक्ता लाखन सिंह ने अपने पेशे का दुरुपयोग करते हुए एससी/एसटी एक्ट में लगभग 20 झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं. इसमें कई लोग वर्षों तक कानूनी प्रक्रिया से होकर गुजरे हैं. कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए सजा सुनाई.

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