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मौसम; देश में 5 अप्रैल तक बारिश-आंधी की भविष्यवाणी, छत्तीसगढ में ओलावृष्टि की चेतावनी

 नईदिल्ली, मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में लू और चिलचिलाती गर्मी से राहत मिल सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ, चक्रवाती परिसंचरण और एक ट्रफ का बनना आने वाले दिनों को मौसम को खुशनुमा बनाने वाला है। IMD ने 5 अप्रैल तक भारत के कई हिस्सों में बारिश की भविष्यवाणी की है।

मौसम विभाग की माने तो एक पश्चिमी विक्षोभ को निचले और मध्य क्षोभमंडल स्तरों में ईरान और पड़ोस के ऊपर एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में देखा जा सकता है। आईएमडी ने कहा, ‘अगले दो से तीन दिनों के दौरान इसके पूर्व की ओर बढ़ने की संभावना है।’ इसके अलावा, एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम राजस्थान और निचले क्षोभमंडल स्तरों में बना हुआ है।

पिछले 24 घंटे में दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वोत्तर भारत, उत्तर तमिलनाडु, दक्षिण छत्तीसगढ़, तटीय ओडिशा, गुजरात के कुछ इलाकों और उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में हल्की से मध्यम वर्षा और गरज के साथ बौछारें पड़ी हैं। वहीं, सिक्किम और आंध्र प्रदेश के दक्षिण तट पर भारी बरसात दर की गई। इसके अलावा पंजाब, राजस्थान, गुजरात, आंतरिक तमिलनाडु और पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में हल्की बारिश हुई।

मौसम का पूर्वानुमान

– मध्य प्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में अगले 24 घंटों के अंदर बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है।

– अगले 7 दिनों के दौरान तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और आंध्र प्रदेश में छिटपुट और मध्यम बरसात हो सकती है।

– 28 मार्च तक अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में बारिश की गतिविधियां जारी रह सकती हैं।

– मौसम विभाग ने कहा कि उत्तर, मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों में आंधी और बारिश के कारण अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना है।

– अगले 3 दिनों के दौरान पूर्वोत्तर, पूर्व और आसपास के प्रायद्वीपीय भारत में बारिश के साथ आंधी और ओलावृष्टि की संभावना है।

– दिल्ली और आसपास के इलाकों में हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश जारी रहेगी।

देश भर में मौसम प्रणाली सिस्टम

स्काईमेट वेदर के अनुसार, एक नया पश्चिमी विक्षोभ अफगानिस्तान और आसपास के क्षेत्र में देखे जाने की संभावना है। चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर बना है। इसके अलावा, तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़ और आंतरिक ओडिशा से गुजरते हुए रायलसीमा से झारखंड तक निम्न दबाव की रेखा बनी है।

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