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आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों में अब ग्रामीण बच्चों को मिलेगा प्रवेश; सात नए स्कूल खुलेंगे

रायपुर, स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिलने से निराश छात्रों के लिए अच्छी खबर है। सरकार इस शिक्षा सत्र से सात नए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल शुरू करने की योजना बना रही है। इसके लिए स्कूलों का नाम तय कर दिया गया है। रायखेड़ा, बरबंदा, गोगांव, चंदखुरी, खरोरा, खोरपा और गनियारी के स्कूलों को स्वामी आत्मानंद स्कूल की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। स्कूलों में जरूरी सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। नए स्कूल खुलने से आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को फायदा मिलेगा।

जिले में खुलेंगे सात नए स्वामी आत्मानंद स्कूल

पहली से आठवीं तक हर कक्षा में 50 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। नवमी से 12वीं तक हर कक्षा में 80 छात्रों को प्रवेश मिलेगा। सरकार ने बजट में भी 101 नए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की घोषणा की है। राज्य बनने के बाद पहला ऐसा मौका है जब नए सरकारी स्कूल खोलने के लिए 870 करोड़ का भारी-भरकम बजट का प्रविधान रखा गया है। इस बजट को एक साल में ही खर्च करना है। नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों मेें बिल्डिंग, हाईटेक क्लास, प्रैक्टिकल लैब और खेल-खेल में पढ़ाई के हर संसाधन होंगे।

पीएमश्री में 211 स्कूल चयनित

केंद्र सरकार भी शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में जुटी है। केंद्र ने प्रधानमंत्री स्कूल फार राइजिंग इंडिया (पीएमश्री) योजना शुरू की है। इसके तहत स्कूलों को नई शिक्षा नीति के तहत डेवलप किया जा रहा है। पहली सूची में छत्तीसगढ़ से 211 स्कूलों का चयन किया गया है। इनमें रायपुर जिले के 11 स्कूल शामिल है। केंद्रीय टीम आकर स्कूलों का परीक्षण करेगी, इसके बाद स्कूलों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।

निजी स्कूलों में प्रवेश होने लगा कम, आरटीई पर हुआ असर

स्वामी आत्मानंद स्कूल खुलने से राजधानी समेत प्रदेशभर के निजी स्कूलों में लगतार छात्रों की संख्या कम होने लगी है। इसका असर शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) से होने वाले प्रवेश पर भी पड़ा है। पिछले साल तक प्रदेश में आरटीई की लगभग 80 हजार सीटें थीं, जो इस शिक्षा सत्र में घटकर लगभग 50 हजार हो गई है। निजी स्कूलों को पहली कक्षा में 15 फीसद सीटें आरटीई के लिए आरक्षित होती हैं। पहले निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए काफी मारामारी मची रहती थी, अब आसानी से प्रवेश हो रहा है। स्थिति यह है कि निजी स्कूल वालों ने प्रचार-प्रसार का बजट बढ़ा दिया है।

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