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सिविल सर्विस डे!

संविधान में व्यवस्थापिका द्वारा केंद्र और राज्यो में  बनाये गए कानून को प्रभावी रूप जनहित  में प्रभावी बनाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) द्वारा हर सालअखिल भरतीय  स्तर पर परीक्षा आयोजित की जाती है। इसके माध्यम से आईएएस, आईपीएस औऱ आईएफएस सर्विस सहित इंडियन  एलाइड सर्विसेज के लिए योग्य व्यक्तियों का चयन  करती है।

 हर साल लगभग 700 से 1000 सफल परीक्षार्थी  चुने जाते है । इनमें से प्रथम 75 से 100 व्यक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित होते है जो आगे चल कर जिला पंचायत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी  औऱ अनुभवी हो जाने पर कलेक्टर, संचालक बनने के बाद आगे उपसचिव, सचिव बनते है। 

ऐसा माना जाता है कि देश के सबसे प्रतिभावान व्यक्ति इस प्रकार की परीक्षा में उतीर्ण होकर butter of the nation कहलाते है।हर जिले के कलेक्टर, सिविल सर्विसेज के मुखिया माने जाते है जिनके पास DM याने district magistrate का भी जिम्मा होता है। इनके कार्यकुशलता से जिले में सरकार की छवि बनती है, बिगड़ती है।

 भारत सरकार जनोन्मुखी योजनाओं को आम लोगो तक पहुँचाने में जो आईएएस अधिकारी अन्य की अपेक्षा बेहतर कार्य करते है उन्हें  उत्कृष्ट  अधिकारी के रूप में चयनित करने की भी प्रक्रिया भी इस देश मे है। प्रशासनिक अधिकारी , अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहे और अपनी छवि ऐसी बनाये जिससे उनके जनता के प्रति जवाबदेही रहे इसके लिए नेशनल सिविल सर्विसेज डे मनाया जाता है।

 सिविल सर्विसेज ड़े में पुरुषो के बजाय महिलाओं की उपस्थिति पर बात करना इसलिये लाज़िमी है क्योंकि उनके पास प्रबंधन का जन्मजात गुण है और वे बेहतर प्रशासक भी होती है। इससे भी जो बात उनके पक्ष में जाती है वह यह कि वे कदाचार के मामले में पुरुषो के बनिस्बत ज्यादा ईमानदार रहती है।

पुरुष  सत्तात्मक समाज मे विशेष कर भारत मे महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण दोहरा ही रहा है। उन्हें पुरुषो के समान न तो बेहतर अवसर मिलते न ही सुविधा लेकिन पिछले 25 सालों में भारतीय प्रशासनिक सेवा में आश्चर्यजनक रूप से महिलाओं ने  अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।  12 साल महिलाओं नेUPSC की परीक्षा में नंबर 1 पोजीशन पर खुद को स्थापित किया है। निरुपमा रॉय(1973),भावना गर्ग(1998),विजयलक्ष्मी बिदारी(2000), रुपए मिश्रा(2003)  मोना पृथि(2005), शुभ्रा  सक्सेना(2006), एस. दिव्यदर्शनी(2010),डॉ. स्नेहा अग्रवाल(2011), ऋतिका व्ही कुमार (2012), इरा सिंघल(2014),  टीना डाबी(2015),  नंदिनी के आर(2016)   औऱ श्रुति शर्मा(2021))  में प्रथम रेंक में रही है।  2021 में तो पहले तीन स्थान में श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल, और गामिनी सिंगला ने धूम मचा दिया था। भावना गर्ग औऱ रूपा मिश्रा ने पहले प्रयासमे ही  टॉपर बनी थी।  इन दोनों की उम्र भी बामुश्किल 22 वर्ष थी।

वर्तमान में  12077 आईएएस में 1694 महिलाएं है। जो केवल 14 प्रतिशत है। ये प्रतिशत भी पिछले 10 साल में सुधरा है। 2012 से 2014 के सालो में 792 महिलाएं आईएएस चयनित हुई है। अन्यथा चार्ल्स कार्नवालिस के द्वारा बनाये गए इस प्रशासनिक व्यवस्था में महिलाएं 2000 तक गिनी चुनी ही होती थी।  1947 से देशी भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था शुरू हुई थी।  गूगल में लाख खंगालने के बावजूद 1972 के पहले का रिकार्ड नही है लेकिन प्रथम महिला आईएएस के रूप में पद्मभूषण अन्ना राजम(  विवाह के बाद मल्होत्रा) का नाम जरूर है । वे 1951 में आईएएस हुई थी। पुरुषो में पहले आईएएस सत्येन्द्र नाथ टैगोर थे।

  मेरा फ़र्ज़ बनता था कि नेशनल सिविल सर्विसेज ड़े में महिलाओं  की प्रतिभा को सामने लाऊ क्योंकि बेटी पढ़ाओ  का नारा देने वाला समाज ये भी देखे कि घरेलू प्रबंधन में  माहिर महिला जिला पंचायत, जिला, विभाग भी सम्हाल सकती है।

स्तंभकार – संजय दुबे

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