राजनीति

पंजाब के 5 बार सीएम रहे प्रकाश सिंह बादल का निधन; 95 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

चंडीगढ, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 95 साल की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया। शुक्रवार सुबह तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मोहाली के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वे 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। केंद्र सरकार दो दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा करेगी।

जून 2022 में भी सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। कुछ समय बाद अस्पताल से उनकी छुट्टी हो गई थी। सितंबर 2022 में फिर सेहत बिगड़ने के बाद उन्हें PGI चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया था।

पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से निष्क्रिय
बादल 2022 में पंजाब विधानसभा का चुनाव हार गए थे। यह उनके राजनीतिक करियर की पहली हार थी। अधिक उम्र के कारण वे चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन बेटे सुखबीर बादल के कहने और पंजाब में अकाली दल की दयनीय स्थिति को देखते हुए प्रकाश सिंह बादल चुनावी मैदान में उतरे थे।

सबसे कम उम्र के सरपंच और सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार
प्रकाश सिंह बादल ने साल 1947 में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। 1957 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे।

इसके अलावा वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वे सांसद भी चुने गए। 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने।

कैंसर से पत्नी की मृत्यु हुई तो छेड़ी मुहिम
24 मई 2011 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर बादल का कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद PGI में निधन हो गया था। तब सुरिंदर कौर 72 साल की थीं। सुरिंदर कौर गले के कैंसर से पीड़ित थीं। पत्नी के देहांत के बाद मुख्यमंत्री रहते हुए प्रकाश सिंह बादल ने कैंसर के खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी।

घर-घर में कैंसर के मरीजों को डायग्नोस करवाया गया था। इतना ही नहीं, सरकारी अस्पतालों में कैंसर के इलाज में तेजी बादल के कारण ही संभव हुई थी। सीएम रिलीफ फंड भी प्रकाश सिंह बादल ने शुरू करवाया था। जिसमें कैंसर के मरीजों की फाइल पास होने के बाद उन्हें फाइनेंशियल सहायता दी जाती थी, ताकि पीड़ित अपना इलाज करवा सकें।

PM मोदी भी पैर छूते थे; 76 साल का सियासी करियर, किसानों के समर्थन में पद्म विभूषण लौटाया

बादल देश की राजनीति के सबसे बुजुर्ग नेता था। सियासी तौर पर उनका रसूख इस कदर था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके पैर छूते थे। उन्होंने 75 साल का सफल राजनीतिक जीवन जिया।इस दौरान वह 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने लगातार 11 चुनाव जीते। पिछले साल वह अपनी सीट लंबी से चुनाव हार गए थे। हालांकि उसके बाद वह सियासी तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं रहे। केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों का विरोध हुआ तो शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण तक लौटा दिया था।

प्रकाश सिंह बादल का 75 साल का राजनीतिक करियर
20 साल की उम्र में सरपंच बनने के बाद, प्रकाश सिंह बादल करीब 75 बरस तक राजनीतिक जीवन में हमेशा राजनीति के केंद्र में रहे। पंजाब राज्य की राजनीति का उन्हें बाबा बोहड़ कहा गया, वहीं केंद्र में भी उनकी दहाड़ हमेशा ऊंची रही। जनसंघ व भाजपा की तरफ झुकी राजनीति के प्रमुख चेहरों में शुमार रहे। भाजपा ने भी उन्हें कभी नजरंदाज नहीं किया।

इसके बावजूद वे केंद्र की राजनीति में वे अधिक समय नहीं ठहरे। मार्च 1977 में केंद्र में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी की सरकार बनी, तो प्रकाश सिंह बादल उसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री बनाए गए। कुछ समय बाद लोकसभा में भी चुने गए। लेकिन केंद्र की राजनीति उन्हें पसंद नहीं आई। जून महीनों के बाद ही केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ दिया। उसके बाद वह पंजाब की राजनीति से बाहर नहीं निकले।

पहली चुनावी जीत के बाद गांव का नाम अपने साथ जोड़ा
प्रकाश सिंह बादल पहली बार बादल गांव के सरपंच चुने गए थे। तब उनकी उम्र थी, महज 20 साल थी। फिर बादल से उनके लिए अगला पड़ाव आया लंबी। सरपंच चुने जाने के कुछ समय बाद ही वे लंबी ब्लॉक समिति के प्रधान चुन लिए गए। प्रकाश सिंह ने बादल की तरह लंबी को भी हमेशा के लिए अपने से जोड़ लिया। पहली बार 1957 से लेकर 2017 तक 10 बार पंजाब विधानसभा में उन्होंने लंबी का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन 94 साल की उम्र में आखिरी चुनाव के दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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