कानून व्यवस्था

टीनएज प्यार पर HC ने कही बड़ी बात, अदालतें प्रेम को नहीं कर सकतीं कंट्रोल; बेल के मामले में सतर्कता जरूरी

नई दिल्ली ,एजेंसी ,  किशोरावस्था में प्रेम करने के बाद स्वजन की मर्जी के खिलाफ शादी करने का कदम उठाने के मामले में दुष्कर्म व पोक्सो के तहत दर्ज होने वाले मामलों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि किशोर प्रेम को अदालतों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है और न्यायाधीशों को प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर जमानत की खारिज या मंजूर करते समय सावधान रहना होगा। यह देखते हुए फिल्मों और उपन्यासों की रोमांटिक संस्कृति की नकल करने की कोशिश करने वाले युवा कानूनों और सहमति की उम्र की जानकारी से अनजान होते हैं।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि विशेष रूप से किशोरावस्था के प्रेम संबंधों के मामलों में उनकी वास्तविक जीवन स्थितियों की पृष्ठभूमि में छानबीन की जानी चाहिए ताकि उनके द्वारा लिए गए निर्णय को समझा जा सके।

अभियुक्तों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा असर

यह देखते हुए कि किशोर प्रेम के मामलों में निर्दोष लड़के और लड़कियां जेल या संरक्षण गृह में सड़ रहे हैं, अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में जेल में बंद करने से अभियुक्तों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। अदालत ने यह टिप्पणी भारतीय दंड संहिता की धारा-363 और 376 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा-छह के तहत लड़की के स्वजन द्वारा की गई प्राथमिकी पर आरोपित युवक को जमानत देते हुए की।

युवक काे 10000 के निजी मुचलके पर दी जमानत

अदालत ने कहा कि आरोपित व लड़की की शादी मई माह के अंत में होने की संभावना है। लड़की जोकि घटना के समय भले ही 16 साल की रही हो, लेकिन अब 18 साल से अधिक हो चुकी है। ऐसे में तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए आरोपित युवक काे दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर दो महीने के लिए जमानत दी जाती है।

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि लड़की सात सप्ताह की गर्भवती थी और उसका गर्भपात कराया गया था। डीएनए रिपोर्ट के अनुसार युवक बच्चे का जैविक पिता था। लड़की ने जहां सुनवाई के दौरान कहा था कि वह घटना के समय 18 साल थी, हालांकि उसके स्कूल के रिकार्ड के हिसाब से वह बालिग नहीं थी।

युवक से प्यार करती है लड़की

अदालत ने इस पर कहा कि लड़की ने दंड संहिता प्रक्रिया की धारा-161 व 164 के तहत लगातार कहा है कि वह अपनी मर्जी से लड़के के साथ गई थी। पीठ ने कहा कि अदालत इस पर नहीं जाना चाहती कि लड़की की उम्र घटना के दौरान 16 थी या 18, बल्कि अदालत नोट करती है कि युवती अपने बयान में सुसंगत रही है। साथ ही अदालत के सामने उसने कहा है कि वह युवक से प्यार करती है। जबकि वह इस बात से अनजान है कि देश का कानून ऐसी प्रेम कहानियों का समर्थन नहीं करता है।

अदालत ने यह भी कहा कि वर्तमान आरोपित कोई अपराधी न होकर किशोरी से प्यार करने वाला था और अपनी प्रेमिका के कहने पर कानून की बारीकियों से अनजान होने के कारण उसे दिल्ली से 2200 किलोमीटर दूर शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए ले गया था।

यह है पूरा मामला

लड़की की बहन ने 30 अप्रैल 2021 को पुलिस में अपनी बहन की गुमशुदगी दर्ज कराई और युवक पर आरोप लगाते हुए उसका मोबाइल नंबर पर पुलिस को उपलब्ध कराया। पुलिस ने जांच शुरू कर मोबाइल की लोकेशन निकाली तो उनके तमिलनाडु के चेन्नई में होने का पता चला। लड़की को पुलिस ने वहां से बरामद किया तो उसने बताया कि वह अपनी मर्जी से युवक के साथ आई थी।

स्वजन की शिकायत पर पुलिस ने युवक के खिलाफ दुष्कर्म व पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। मामले में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और युवक सात जून 2021 से न्यायिक हिरासत में जेल में बंद था। आरोपित ने अपनी दलील में कहा कि वह दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे। वहीं, अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि लड़की महज 16 साल की थी और उसकी सहमति का कोई औचित्य नहीं है, इसलिए जमानत याचिका खारिज की जाए।

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