राज्यशासन

डॉ.नशीने बोली -धरती को हरा भरा रखने का संकल्प लें; कृषि महाविद्यालय में मनाविश्व पर्यावरण दिवस 

नारायणपुर, डॉ. रत्ना नशीने अधिष्ठाता एवं कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना की अध्यक्षता में कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, नारायणपुर में 5 जून 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय में सभी स्वयंसेवकों को अधिष्ठाता ने धरती को हरा भरा रखने का संकल्प दिलाया।साथ ही पर्यावरण को सुरक्षित, संरक्षित एवं संतुलित बनाने की आदत को स्वयं में विकसित किए जाने की हिदायत दी गई।

डॉ. नशीने ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपने आस पास के आवरण: पर्यावरण की न केवल सुरक्षा करनी है अपितु जन सामान्य में पर्यावरण की जागरूकता व महत्व को भी प्रचारित-प्रसारित करना है। उन्होंने सभी को ‘विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘लें धरती को हरा भरा रखने का संकल्पत’ वाक्य को आत्मसात  करने को कहा। 

डॉ. अनिल दिव्य सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र ने बताया कि जल, वायु एवं मृदा प्रदूषण तो हम जानते हैं और इसके उचित निपटारण के लिए भी प्रतिबद्ध हैं किन्तु इसके अन्यत्र हम प्रकाश प्रदूषण के लिए भी सजग रहना पड़ेगा क्योंकि प्रकाश प्रदूषण से पक्षियों की निद्रा, प्रजनन प्रभावित हो रही है और उनकी प्रजातियां भी विलुप्त हो रही हैं, हमें अपनी प्राथमिकता में प्रकाश उपयोग के मितव्ययता को भी शामिल करना होगा।

 डॉ. जीवनलाल नाग ने बताया कि किस प्रकार से पिछले 2 दशकों में धारा को वृक्षाविहीन कर दिया गया है जिसके कारण वर्षा में आशातीत न्यूनता एवं पर्यावरण की समृद्धि में भी अपरदन हुआ है, हमें शीघ्रतम कोई निवारण ढूंढ़ने की आवश्यकता है। श्री किशोर मण्डल के द्वारा बच्चों को पर्यावरण की घटकों एवं हमारे गलत आदतों का मृदा पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव के बारे में व्याख्यान दिया गया। 

कार्यक्रम में रंगोली, पोस्टर, नारे इत्यादि प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं जिसमे महाविद्यालय के स्वयंसेवकों के द्वारा बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया गया।कार्यक्रम में कौशल्या यादव, नुपुर बर्मन, रश्मि बघेल, काजल, नवीन, तामेश्वर, धनीराम, कीर्ति यादव, जागृति, योगिता, देवव्रत, नरोत्तम, शिवानी, राधिका, हितु, अदिति पाण्डेय, तरुण, विष्णु इत्यादि स्वयंसेवक शामिल हुए। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर महाविद्यालय प्रांगण में अधिष्ठाता एवं स्वयंसेवक छात्रों के द्वारा आम, कटहल, इमली, मुनगा, नींबू, अमरूद इत्यादि पौधों का रोपण किया गया तथा रोपित पौधों को संरक्षित करने का प्रण किया गया।

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