राजनीति

अध्यादेश के खिलाफ रैली में केजरीवाल ने कहानी सुनाई; चौथी पास राजा, फर्जी डिग्री, नोटबंदी का जिक्र कर बोले- उनके दोस्त ने पहलवानों से छेड़छाड़ की

नईदिल्ली, आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली में रविवार को रैली की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा- आज यह अध्यादेश दिल्ली के लिए आया है कल बाकी राज्यों के लिए भी आएगा। हम रामलीला मैदान में इसी तानाशाही वाली सरकार को देश से निकालने के लिए आए हैं।

उन्होंने कहा- देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता। उनको बहुत अहंकार है। देश के अंदर जनतंत्र खत्म हो रहा है। इसी को तानाशाही, हिटलरशाही कहते हैं।

केजरीवाल ने एक चौथी पास राजा की कहानी सुनाई। बोले- इस कहानी में रानी नहीं है। कहानी सुनाते वक्त केजरीवाल ने नोटबंदी, फर्जी डिग्री का जिक्र किया। नाम लिए बगैर अडाणी और बृजभूषण केस के बारे में भी बोले। उन्होंने कहा- राजा के एक दोस्त ने अंतरराष्ट्रीय पहलवानों से छेड़छाड़ की।

महंगाई पर
भाषण में केजरीवाल ने महंगाई का जिक्र किया। वह बोले- महंगाई बढ़ रही है। पेट्रोल, दूध और सब्जियां महंगी हैं। LPG सिलेंडर की कीमत अब 1,000 रुपए से ज्यादा हो गई है। वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इसे कैसे नियंत्रित किया जाए। चौथी पास राजा को पता ही नहीं देश को कैसे चलाना है।

नोटबंदी पर
नोटबंदी को लेकर केजरीवाल ने पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि एक दिन वे कहते हैं, 2,000 रुपए का नोट आएगा, पांच साल बाद वे कहते हैं कि यह चला जाएगा। ये कैसे पीएम हैं, जिन्हें यह नहीं पता कि 2,000 रुपए का नोट रहेगा या जाएगा।

किसान आंदोलन पर
केजरीवाल ने इस रैली में किसान आंदोलन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राजा का एक दोस्त है जो किसानों पर गाड़ी चढ़ा देता है, लेकिन राजा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत हो गई। मगर राजा अपने अहंकार में रहता है।

पहलवानों का प्रदर्शन
दिल्ली सीएम ने कहा- राजा का एक और मित्र है, जो देश की अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार करता है, लेकिन राजा ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। राजा ने उससे दोस्ती नहीं तोड़ी।

अमीर दोस्तों पर
केजरीवाल ने मोदी का नाम लेकर कहा- मैं मुफ्त रेवड़ी बांट रहा हूं। अगर मैंने गरीबों को मुफ्त रेवड़ी दी, तो क्या समस्या है? आपने तो पूरे का पूरा रेवड़ा उठा के अपने दोस्तों को दे दिया। एयरपोर्ट, जमीन, माइंस सब दोस्त को दे दी।

केजरीवाल के अलावा कपिल सिब्बल ने भी इस रैली में हिस्सा लिया। उन्होंने केंद्र सरकार पर संविधान का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया। सिब्बल ने कहा- केंद्र में बैठी सरकार सारे अधिकार ब्यूरोक्रेट्स को देना चाहती है, वह दिल्ली के CM के पास कोई पावर नहीं रखना चाहते। यह किस तरह का मजाक है।

केजरीवाल की 12 साल बाद रामलीला मैदान में रैली
2011 में केजरीवाल ने रामलीला मैदान से जनता को संबोधित किया था। वह समय अन्ना आंदोलन का था। अब ठीक 12 साल बाद उन्होंने इस मैदान से किसी राजनीतिक रैली को संबोधित किया। हालांकि बीच-बीच में उन्होंने शपथ ग्रहण समारोहों को संबोधित किया है।

रैली से पहले BJP और AAP के बीच पोस्टर वॉर

महारैली को लेकर AAP ने दिल्ली में कई जगह पोस्टर लगवाए थे। जवाब में BJP ने भी पोस्टर लगाकर केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा। भाजपा ने केजरीवाल के बंगले में लगे 45 करोड़ रुपए को लेकर सवाल किए। वहीं पोस्टर में मनीष सिसोदिया और केजरीवाल को शराब का ठेकेदार बताया।

दिल्ली में केंद्र की तरफ से लाए गए अध्यादेश

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के खिलाफ कई सालों से तनातनी चली आ रही थी। दोनों में लड़ाई चल रही थी कि आखिर अफसर किसके आदेश पर काम करेंगे। CM केजरीवाल का कहना था कि सरकार को LG काम नहीं करने दे रहे हैं। वहीं, LG का दावा था कि राजधानी के कुछ फैसले मेरे अधिकार क्षेत्र में भी आते हैं। इस लड़ाई को लेकर आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।

AAP सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंची?

पहला मामला: दिल्ली में विधानसभा और सरकार का कामकाज तय करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम, 1991 है। केंद्र सरकार ने 2021 में इसमें बदलाव कर दिया। कहा गया- विधानसभा के बनाए किसी भी कानून में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा। सरकार किसी भी फैसले में LG की राय जरूर लेगी।

दूसरा मामला: दिल्ली में जॉइंट सेक्रेट्री और इस रैंक से ऊपर के अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकारों के मुद्दे पर सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव था। दिल्ली सरकार उपराज्यपाल का दखल नहीं चाहती थी। इन दोनों मामलों को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची।

11 मई: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिल्ली सरकार की सलाह पर LG काम करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा। 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उपराज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे।

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