राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

 क्या बढ़ेंगे सिंहदेव के विभाग ?

सरकारी तौर पर भी स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव अब उप मुख्यमंत्री बन गए हैं। याने भूपेश मंत्रिमंडल में उनकी हैसियत घोषित रूप से नंबर दो हो गई है। अब चर्चा विभाग को लेकर है। टी एस सिंहदेव के पास अभी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के साथ वाणिज्यिक कर (जीएसटी) है। कहा जा रहा है कि पद के साथ टी एस सिंहदेव को कुछ विभाग भी मिलेंगे। विभाग को लेकर कयासों का बाजार गर्म है। कहते हैं टी एस सिंहदेव का पसंदीदा विभाग वित्त है। 2018 में मंत्रिमंडल के बाद विभागों के बंटवारे में वे वित्त विभाग चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्त अपने पास रख कर उन्हें बड़ा विभाग पंचायत एवं ग्रामीण विकास दे दिया था , जिसे उन्होंने जुलाई 2022 में लौटा दिया। राजनीतिक हल्कों में ख़बरें चल रही हैं कि उप मुख्यमंत्री के नाते टी एस सिंहदेव को गृह विभाग दिया जा सकता है, लोगों का कहना है कि ताम्रध्वज साहू गृह विभाग छोड़ना नहीं चाहते। नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में गृह मंत्री के पास भले खास पावर नहीं है , पर ‘तमगा’ तो बड़ा है। भूपेश सरकार के पास अब खेलने के लिए तीन महीने ही बचे हैं , ऐसे में खिलाड़ी बदलने की गुंजाइश दिखती नहीं हैं। भले ही हल्ला -गुल्ला कुछ भी हो। ताश के पत्तों की तरह विभागों को कुछ उलट -पुलट किया जा सकता है।

धनेन्द्र साहू मंत्री बनने के इच्छुक

कहते हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धनेन्द्र साहू संगठन में कोई जिम्मेदारी संभालने की जगह सरकार में मंत्री पद चाहते हैं। चर्चा है कि पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य नेताओं की बैठक में धनेन्द्र साहू को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर सहमति हो गई थी, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं बताए जाते हैं। धनेन्द्र साहू को संगठन और सरकार दोनों में रहने का अनुभव है। वे छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और जोगी मंत्रिमंडल के सदस्य भी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद राज्य के कई नेता अपने या अपने रिश्तेदारों के लिए पद ले चुके हैं, पर जिन इक्के-दुक्के नेताओं ने अभी तक पद नहीं लिया है, उसमें धनेन्द्र साहू शामिल हैं। कहा जा रहा है कि साहू समाज को संदेश देने के लिए धनेन्द्र साहू की टोपी में कलगी लगाने की कोशिश की जा रही है। अब देखते हैं क्या होता है ?

छत्तीसगढ़ पर पीएम -एचएम की खास नजर

कहते हैं छत्तीसगढ़ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ख़ास नजर है। दोनों हर हाल में राज्य में 2023 में भाजपा की सरकार चाहते हैं। इस रणनीति के तहत ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को सह-चुनाव प्रभारी बनाया गया है। प्रदेश प्रभारी के नाते ओम माथुर को चुनाव की कमान सौंपना वाजिब लगता है , लेकिन मनसुख मंडाविया का नाम चौकाने वाला है। नरेंद्र मोदी ,अमित शाह की तरह मनसुख मंडाविया भी गुजरात से हैं। कहा जा रहा है कि कई खेमों में बटी छत्तीसगढ़ भाजपा को मनसुख मंडाविया के माध्यम से मोदी-शाह नियंत्रित करेंगे। खबर है कि विधानसभा चुनाव तक मनसुख मंडाविया हफ्ते में दो दिन छत्तीसगढ़ में डेरा डालेंगे। वहीं अमित शाह भी अगले कुछ महीनों में एक-दो हफ्ते के अंतराल में रायपुर लैंड करते रहेंगे। अमित शाह 5 और 6 जुलाई को रायपुर में थे। अब 14 जुलाई को उनके फिर रायपुर आने की खबर है।

रमनसिंह को तव्वजो

कहा जा रहा है कि भाजपा 2023 का विधानसभा चुनाव भले डॉ रमन सिंह के चेहरे पर न लड़े, लेकिन मैदान में आगे वही रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गोपनीय बैठक में जिस तरह से तीन बार के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को महत्व मिला है, वह एक संकेत है। नरेंद्र मोदी के सरकारी कार्यक्रम में मंच में डॉ रमन सिंह को स्थान मिला और आमसभा में भी। अमित शाह ने भी राज्य की चुनावी रणनीति पर डॉ रमन सिंह से चर्चा की। अमित शाह ने आदिवासी नेता के तौर पर पूर्व सांसद रामविचार नेताम को बैठक में अनुमति दी, वहीं कहते हैं डॉ रमन सिंह की इच्छा पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को अमित शाह की गोपनीय बैठक में बुलाया गया। डॉ रमन सिंह के विरोधियों को बैठक में शामिल होने के लिए इंतजार करते रहना पड़ा।
क्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे ?

छत्तीसगढ़ समेत कुछ राज्यों में विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही कराए जाने की चर्चा है। हल्ला है कि लोकसभा का चुनाव मई 2024 से कुछ महीने पहले कराया जा सकता है, ऐसे में छत्तीसगढ़,राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में नवंबर 2023 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को आगे बढ़ाया जा सकता है। इन राज्यों में कुछ महीनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात भी चर्चा में है। ओडिशा विधानसभा का चुनाव लोकसभा के साथ ही होता है। हरियाणा विधानसभा का चुनाव भी आम चुनाव के साथ कराए जाने की ख़बरें उड़ रही हैं। हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर 2024 तक है। चुनाव के समय को आगे-पीछे करने पर लोकसभा चुनाव के साथ सात राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हो सकते हैं।कहते हैं खर्च में बचत के लिए ऐसा सोचा जा रहा है, लेकिन यह सब राजनीतिक गुणा-भाग पर निर्भर करेगा। देखते हैं आगे क्या होता है ?

राज्य में ईडी के अगले कदम का इंतजार

ईडी ने शराब घोटाले में रायपुर के जिला कोर्ट में 13 हजार पन्ने का चालान पेश किया और इस घोटाले में शामिल लोगों के बारे में 300 पेज से अधिक का चार्जशीट भी दायर किया है। चालान और चार्जशीट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, वहीं अब ईडी के अगले कदम का इंतजार भी किया जा रहा है। माना जा रहा है कि कोर्ट में चालान और चार्जशीट पेश करने के बाद अब ईडी फ्री हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में ईडी कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है।

चुनावी साल में आक्रोशित कर्मचारी

चुनावी साल में राज्य के कर्मचारी महंगाई भत्ते और अन्य मांगों को लेकर नाराज चल रहे हैं। सात जुलाई को मंत्रालय और संचालनालय समेत अन्य दफ्तरों के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। मांगें पूरी न होने पर वे एक अगस्त से फिर हड़ताल पर जाने के मूड में हैं। कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के एक दिन पहले सरकार ने 5 फीसदी महंगाई भत्ता तो बढ़ाया , लेकिन बात बनी नहीं। चुनावी साल में कर्मचारी और दूसरे लोग अपनी मांगों के लिए सरकार पर दबाव तो बनाएंगे ही, पर ऐसे समय में मध्यस्थता कराने वालों की बड़ी भूमिका होती है , जिससे सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे। पर इस सरकार में मध्यस्थता कराने वालों की कमी नजर आ रही है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

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