कानून व्यवस्था

लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद महिलाएं दर्ज करा रहीं FIR; इलाहाबाद HC की ट‍िप्‍पणी

प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं को कानूनी संरक्षण प्राप्त है। वह पुरुषों को आसानी से फंसाने में कामयाब हो जाती हैं, अदालतों में बड़ी संख्या में इस तरह के मामले में आ रहे हैं, जिनमें लड़कियां या महिलाएं आरोपित के साथ लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद झूठे आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज कराकर अनुचित लाभ उठाती हैं। कोर्ट ने कहा, ऐसे मामलों में न्यायिक अधिकारियों को सतर्क रहना चाहिए। वे जमीनी हकीकत पर नजर रखें और उचित फैसला लें।

वाराणसी के शख्‍स की जमानत अर्जी पर ट‍िप्पणी    

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने वाराणसी के ओम नारायण पांडेय की जमानत अर्जी पर की है। कोर्ट ने कहा कि समय आ गया है कि अदालतें ऐसे जमानत आवदेनों पर विचार करते समय बहुत सतर्क रहें। कानून पुरुषों के प्रति बहुत पक्षपाती है। प्राथमिकी में कोई भी बेबुनियाद आरोप लगाना और किसी को भी ऐसे आरोपों में फंसाना बहुत आसान है। कहा, इंटरनेट मीडिया, फिल्मों, टीवी शो आदि के माध्यम से खुलेपन का फैशन या चलन फैल रहा है। इसका अनुकरण किशोर लड़के और लड़कियां कर रहे हैं।

लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद…

भारतीय सामाजिक और पारंपरिक मानदंडों के विपरीत और लड़की के परिवार के सम्मान और लड़की के सम्मान की रक्षा के नाम पर दुर्भावनापूर्ण रूप से झूठी एफआईआर दर्ज की जा रही है। कोर्ट ने कहा क‍ि कुछ समय या लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद लड़के और लड़की के बीच किसी मुद्दे पर विवाद हो जाता है। पार्टनर का स्वभाव समय के साथ दूसरे पार्टनर के सामने उजागर होता है और जब उन्हें एहसास होता है कि उनका रिश्ता जीवन भर नहीं चल सकता, तो परेशानी शुरू हो जाती है।

किशोरों में जागरूकता का स्तर बढ़ाने में इंटरनेट मीडिया, फिल्में आदि का असर और नुकसान अपेक्षाकृत कम उम्र में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। निर्दोषिता की पारंपरिक धारणा ने मासूमियत के असामयिक नुकसान को जन्म दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप किशोरों का अप्रत्याशित विचलित करने वाला व्यवहार सामने आया है। जिस पर कानून ने पहले कभी विचार नहीं किया था। कोर्ट ने कहा, कानून एक गतिशील अवधारणा है और ऐसे मामलों पर बहुत गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

नाबालिग के साथ शादी का वादा कर यौन संबंध बनाने का आरोप

याची के खिलाफ वाराणसी के सारनाथ थाने में यौन उत्पीड़न सहित पॉक्सो के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। आरोप है कि उसने नाबालिग के साथ शादी का वादा कर यौन संबंध बनाए। याची के अधिवक्ता ने कहा कि दोनों ने अपनी मर्जी से संबंध बनाए थे। क्योंकि, पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान प्राथमिकी के आरोपों का पूरी तरह से समर्थन नहीं करता है। कोर्ट ने कहा क‍ि आजकल प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अदालतों में विशेषज्ञों या पुलिस थानों के मुंशी द्वारा तैयार लिखित आवेदन देना अनिवार्य है, जो कि हमेशा जोखिम भरा होता है।

झूठे निहितार्थ का खतरा जैसा की वर्तमान मामले में है। विशेषज्ञ दंडात्मक कानून के प्रत्येक प्रावधान की सामग्री से अवगत है। वे आरोपों को इस तरह से शामिल करते हैं ताकि आरोपित को आसानी से और जल्दी जमानत भी न मिल सके। कोर्ट ने कहा कि अगर थाना प्रभारियों द्वारा लिखित रूप में रिपोर्ट दर्ज की जाए और विशेषज्ञ की भूमिका को बाहर रखा जाता है तो झूठे मामलों में कमी आएगी।

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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