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हिस्से में आया सिर्फ 1 टेस्ट…..

दीपिका पादुकोण की पहली फिल्म  “ओम शांति ओम” में एक डायलॉग था- “एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो,रमेश बाबू।” अगर इस डायलॉग को भारतीय टेस्ट क्रिकेट के संदर्भ में संशोधित किया जाए तो लिखना पड़ेगा “एक टेस्ट की कीमत तुम क्या जानो बाकी बाबू”। जी हाँ, भारतीय टेस्ट क्रिकेट में मुकेश कुमार 308 वे खिलाड़ी के रूप में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में उतरे है। मुकेश कुमार और सूर्य कुमार यादव  के हिस्से में एक -एक टेस्ट है औऱ इनसे उम्मीद भी है कि एक टेस्ट से ज्यादा खेल सकते है इसलिए इन्हें  केवल एक टेस्ट खेलने वालों के क्रम में नहीं रख रहे है।

1932 से भारत टेस्ट क्रिकेट खेल रहा है। अब तक खेले गए टेस्ट में 308 खिलाड़ी अब तक अपना भाग्य आजमाये है। इनमें से 47 खिलाड़ी ऐसे रहे है जिनके हिस्से में केवल 1 टेस्ट या इकलौता टेस्ट ही दर्ज है। आप इन्हें सौभाग्यशाली भी मान सकते है क्योंकि ये लोग  भले ही एक टेस्ट खेले है लेकिन हज़ारों रणजी ट्रॉफी मैच खेलने वाले उन खिलाड़ियों से ऊपर है जो अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टेस्ट नहीं खेल सके। आपको सरफराज खान का नाम याद होगा ही जो बीते तीन साल से बेहतरीन बल्लेबाज़ी कर रहे है लेकिन टेस्ट के द्वार बंद है। राजिंदर गोयल ने रणजी ट्रॉफी में 637 विकेट लिए लेकिन टेस्ट केप नही पहन सके।

      इकलौता टेस्ट खेलने की परंपरा भारत के टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के साथ ही शुरू हो गयी थी। लाल सिंह पहले खिलाड़ी बने जिनके हिस्से में केवल एक टेस्ट आया।  1933 के साल में एल पी जय, रुस्तम जमशेदजी औऱ लालाराम भी एक ही टेस्ट खेल पाए। 1949 में मधुसूदन रेगे,मोंटू बनर्जी औऱ शूट बनर्जी भी इकलौते टेस्ट के साक्षी बने।1952 के साल में चार खिलाड़ी हीरालाल गायकवाड़, शाह न्यालचंद, बाल दानी औऱ विजय राजिन्दरनाथ भी एक टेस्ट खेल कर फिर वापसी नही कर पाए।

 एम जे गोपालन, यादवेंद्र सिंह(1934), खेमशेद मेहरहोम जी बाका जिलानी(1936) के बाद 12 साल गुजर गए।1948 में कंवल राम सिंह, केकी तारापोर के हिस्से में फिर एक बार इकलौता टेस्ट आया। सदाशिव पाटिल, नारायण स्वामी(1955), चंद्रकांत पाटणकर(1956) अपूर्व सेनगुप्ता, अरविंद आप्टे(1959) मनू सूद(1960) राजिंदर पाल(1964) रमेश सक्सेना(1967) अजित पई(1969),  केनिया जयंतीलाल(1971)  के बाद अगले दस साल तक एक टेस्ट खेलने वाले नही रहे।

 1981 में युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह भी इस जमात में शामिल हो गए उनके साथ टी ई श्रीनिवासन का नाम भी इसी साल जुड़ा। अजय शर्मा, राशिद पटेल(1988) एम वेंकटरमण, सलिल अंकोला(1989) गुरुशरण सिंह(1990) सुब्रतो बनर्जी(1992) विजय यादव(1993) रॉबिन सिंह(1998) रॉबिन सिंह(जूनियर)(1999)  सबा करीम(2000) राहुल संघवी औऱ इकबाल सिद्दकी(2001) भी एक टेस्ट ही खेल पाए।

 2001 से 2012 का साल दमदार खिलाड़ियों का साल था जिनका प्रदर्शन स्थाई रहा जिसके चलते 11 साल तक एक टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी नही हुए। विनय कुमार(2012) कर्ण शर्मा(2014) नमन ओझा(2015) थंगारासु नटराजन(2021)  में एक टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी है। सूर्य कुमार यादव और मुकेश कुमार  2023 में टेस्ट में पदार्पण करने के बाद फिलहाल एक एक टेस्ट खेले है। इनमें सूर्य कुमार यादव के हिस्से में उम्र भी नहीं है और टेस्ट टीम में अभी जगह नहीं दिख रही है। वक़्त बताएगा कि वे एक से अधिक टेस्ट खेल पाते है अथवा नहींं।

स्तंभकार -संजयदुबे

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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