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क्या अनिल कपूर ने “झकास”शब्द का पेटेंट कराया है !

अनिल कपूर के चित्र, उनके कुछ फिल्मी नाम, उनके द्वारा बोले गए संवाद के व्यावसायिक उपयोग पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। “झकास” जैसे आम प्रचलित शब्द का भी उपयोग अनिल कपूर से सहमति (फोकट में तो देंगे नहीं) लेना होगा।ये निर्णय उच्च न्यायालय दिल्ली का है इसलिए विधिक अपील की गुंजाइश तो है। संभवतः किसी ख्याति प्राप्त व्यक्ति के चित्र का व्यावसायिक उपयोग उसके विधिक सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है लेकिन किसी व्यक्ति के संवाद बोलने का ढंग, उसके फिल्मी संवाद, उसके फिल्मी नाम पर तो उस व्यक्ति का अधिकार नही है और न ही किसी व्यक्ति को रोका जा सकता है कि वह नाम या संवाद नही बोल सकता है। 

फिल्मों में संवाद, पटकथा लेखक लिखते है। उन संवादों को सुनने के लिए निर्माता बाकायदा थियेटर में दर्शकों से पैसे  वसूलने के लिए प्रदर्शन का अधिकार बेच देते है।  बेची गयी वस्तु चाहे वह फिल्म क्यो न हो ? खरीदे जाने के बाद उस पर सार्वजनिक अधिकार हो जाता है। क्या श्रेया घोषाल , अर्जित सिंह अपने गाये गाने के किसी औऱ के गाये जाने पर रोक लगा सकते है? नही, इसी प्रकार “झकास” शब्द किसी भी व्यक्ति का एकाधिकार नही है। अनिल  कपूर से पहले  लोग बोलचाल की भाषा में झकास कहते सुने गए है।

अनिल कपूर के फिल्मी नाम जैसे लखन, ये उनका पेटेंट नहीं है। लखन शब्द लक्ष्मण के लिए अपभ्रंश के रूप में उपयोग होता है। मजनूं, आदिकाल में लैला के ऐतिहासिक प्रेमी का नाम है। नायक, उनकी फिल्म हो सकती है लेकिन हर फिल्म में अलग अलग लोग नायक होते है। मि इंडिया ( आजकल का  विवादास्पद शब्द) न जाने कितने शहरों में सबसे हैंडसम व्यक्ति  के लिए होने वाली स्पर्धा का नाम है। ये शब्द अनिल कपूर के पर्सनालिटी राइट्स नही हो सकते है। अनिल कपूर  नाम भी उनका पेटेंट  नहीं है।  न जाने कितने अनिल कपूर देश मे होंगे।  पंजाब, दिल्ली के मतदाता सूची मे आसानी से नाम  देखे जा सकते है।

 फ़िल्म जगत के अनेक ऐसे कार्यक्रम है जिनमे इन कलाकारों की मिमिक्री किया जाता है और ऐसा करने वाले कलाकार को बाकायदा धनराशि मिलती है। क्या अनिल कपूर ने बीते 30 सालों में ऐसे कलाकारों के खिलाफ न्यायालय गए? अनिल कपूर को केवल उनकी फ़ोटो का उपयोग उनकी सहमति के बगैर प्रचार करने के लिए नही किया जा सकता है लेकिन नाम, संवाद, औऱ मिमिक्री पर रोक नही लग सकती है। झकास………….

स्तंभकार-संजयदुबे

Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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