कानून व्यवस्था

सीजी पीएससी फर्जीवाड़ा-जवाब पेश करने शासन को मिली 10 दिन की मोहलत

बिलासपुर, सीजी पीएससी 2021-22 फर्जीवाड़ा और नियुक्ति रद करने की मांग को लेकर पूर्व गृहमंत्री व विधायक ननकी राम कंवर की जनहित याचिका पर गुरुवार को डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 16 अक्टूबर की तिथि तय कर दी है।

पूर्व में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा था कि मामले की अगली सुनवाई जब तक नहीं हो जाती, तब तक जिन व्यक्तियों पर आरोप लगा है और उनकी नियुक्ति नहीं हुई है। उन्हें अंतिम रूप नहीं दी जाएगी। वहीं, जिनकी नियुक्तियां हो चुकी हैं, उनकी नियुक्ति पर यथास्थिति न्यायालय के आदेश के अधीन रहेंगी।

छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग वर्ष 2021-22 भर्ती में हुई गड़बड़ी काे लेकर पूर्व गृहमंत्री व रामपुर के विधायक ननकी राम कंवर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जनहित याचिका दायर की है। दायर याचिका में पीएससी द्वारा भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए 18 चयनित उम्मीदवारों की सूची भी कोर्ट के समक्ष पेश की है। जिसमें पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के आधा दर्जन के करीब रिश्तेदार डिप्टी कलेक्टर सहित अन्य पदों पर चयनित हुए हैं।

इसके अलावा राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव अमृत खलखो के बेटी व बेटे, मुंगेली के तत्कालीन कलेक्टर एल्मा के बेटे,कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे,बस्तर नक्सल आपरेशन डीआइजी की बेटी सहित ऐसे 18 लोगों की सूची पेश करते हुए आरोप लगाया है कि यह सभी नियुक्तियां प्रभाव के चलते पिछले दरवाजे से कर दी गई है। उन उम्मीदवारों के भविष्य के साथ धोखा किया गया है जिनकी नियुक्ति होनी थी। पिछले दरवाजे से की गई नियुक्तियों को रद करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।

मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान चयनित उम्मीदवारों ने अपने अधिवक्ता के जरिए हस्तक्षेप याचिका पेश की है। हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि पांच प्रतियोगियों की नियुक्ति हो चुकी है। ऐसे में नियुक्ति रोकना सही नहीं होगा। इस पर कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को इस याचिका के अंतिम फैसले से बाधित रखा है। साथ ही शेष उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है।

यह संयोग बहुत गलत है

जनहित याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारी का बेटा शीर्ष पद पर चयनित हो सकता है। लेकिन इस तरह का संयोग बहुत गलत और दुखद है। टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारी से पूछा था कि क्या ये सारी नियुक्तियां हो चुकी हैं। ज्वाइनिंग दी जा चुकी है। राज्य शासन के विधि अधिकारी ने बताया कि अब तक पांच चयनित उम्मीदवार की ही ज्वाइनिंग हुई है।

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