राजनीति

विधानसभा चुनाव; रायपुर दक्षिण में कांग्रेस का दक्षिणायन,उत्तर में उत्तरायन की ओर

रायपुर, विधान सभा चुनाव में पहले प्रत्याशी की घोषणा कर भाजपा प्रचार-प्रसार में काफी आगे बढ गई है। रणनीति के तहत भाजपा का चउनाव प्रचार भी चल रहा है। जब्कि कांग्रेस प्रत्याशी चयन में ही उलझी रही।रायपुर उत्तर सहित राज्य के सात विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा भी बाकी है। कान्ग्रेस के प्रत्याशियों का विरोध भी हो रहा है। ऐसे में भाजपा को राजधानी की चारों सीटों से उम्मीद बढ गई है।

राजनीतिक रणनीतिकारों की माने तो रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी को कमजोर आंका जा रहा है। 2018 के कांग्रेस के आंधी में  रायपुर दक्षिण को छोड़कर शेष 3 सीटों में भाजपा के प्रत्याशी औंधे मुंह गिरे थे।  एक केबिनेट मंत्री राजेश मूणत भी हार का मुंह देखे लेकिन रायपुर दक्षिण में बृजमोहन अग्रवाल अपराजेय योद्धा के रूप में खड़े रहे।

1990 से लेकर अब तक  कांग्रेस के 7 प्रत्याशी पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से पराजित हो चुके है जिसमें  स्वरूप चंद जैन से लेकर  कन्हैया लाल अग्रवाल भी शामिल है। सबसे बड़ी बात ये है कि कांग्रेस भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ हर विधानसभा चुनाव में नया प्रत्याशी उतारते रही है। इस बार महंत रामसुंदर दास को नया प्रत्याशी बनाया गया है।

जानकारों का कहना है कि देश में जिस तरह से सनातन धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण हो रहा है उससे ये माना जा रहा है कि मतदाता भाजपा की तरफ झुकेंगे। बृजमोहन अग्रवाल की जड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़ी हुई है। उनके लिए रायपुर दक्षिण में ब्राह्मण मतदाताओं का जुड़ाव ज्यादा है। संभावना ये भी थी कि कांग्रेस किसी ब्राह्मण प्रत्याशी प्रमोद दुबे पर दांव खेल सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ । क्योकि रायपुर पश्चिम एवं रायपुर ग्रामीण से ब्राह्मण वर्ग से विकास उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया गया है।

पिछले चुनाव में यहां से पराजित प्रत्याशी  कन्हैया लाल अग्रवाल जो बीते 5 साल छाया  विधायक बनकर घूमते रहे और टी एस सिंहदेव के लिए समर्पित रहे । उनको हाईकमान ने सक्षम नही माना। कल पैराशूट प्रत्याशी के विरोध में कन्हैया अग्रवाल ने कांग्रेस भवन में  विरोध के पोस्टर भिजवा कर गुस्सा दिखाया लेकिन उनको मुख्यमंत्री की नापसंदगी का खामियाजा भुगतना पड़ गया। दरअसल  छोटे छोटे मुद्दे को लेकर प्रशासन में  कन्हैया अग्रवाल की इमेज का नुकसान कांग्रेस को हो रहा था। जानकारों का मानना है कि गोलबाजार  एरिया में कथित अवैध कारोबार में बढ़ोतरी के चलते मुख्यमंत्री खफा थे। 3 गैस कंपनियों के अवैध रेगुलेटर बिक्री में संदिग्ध भूमिका को लेकर कन्हैया अग्रवाल की शिकायत दिल्ली हाईकमान तक पहुंची थी जो टिकट कटने का कारण बनी।

रायपुर दक्षिण से महंत रामसुंदर दास को कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने पर रायपुर दक्षिण से भाजपा के उम्‍मीदवार बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, कांग्रेस के पास कोई दूसरा उम्मीदवार नहीं है, जिसे वे दूसरी बार चुन सकें और इसलिए वे हर चुनाव में एक नया चेहरा लाते हैं। महंत जी पिछले एक साल से जांजगीर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने उनको रायपुर भेज दिया। जनता ने कांग्रेस को खारिज कर दिया है।

इधर रायपुर उत्तर विधानसभा में भी कांग्रेस अपना प्रत्याशी चयन नहीं कर पा रही है। उत्कल एवं सिंधी बाहुल्य यह विधानसभा क्षेत्र हर बार नए प्रत्याशी को मदद करता है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा चुनाव हार गई थी। तब यह सीट भाजपा के पास थी। काग्रेस के कुलदीप जुनेजा ने यह सीट भाजपा से हथियाई थी लेकिन अब उन्हीं की टिकट आधार में है। यहां पर कई लोगों ने दावेदारी की है।

जानकारों का दावा है कि रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से टिकट की दौड में प्रमुखता से विधायक कुलदीप जुनेजा समेत अजीत कुकरेजा एवं डॉक्टर राकेश गुप्ता शामिल है। इसी त्रिकोण में रायपुर उत्तर विधानसभा की टिकट फंस गयी है । यहां से भाजपा ने समाजसेवी पुरंदर मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने धुआंधार प्रचार भी शुरू कर दिया है। अभी तक वार्ड मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं की बैठक हो चुकी है जबकि विधानसभा क्षेत्र के सभी समाज प्रमुखों से भेंट मुलाकात कर वे आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं। कुल मिलाकर भाजपा प्रत्याशी पुरंदर मिश्रा कांग्रेस से काफी आगे निकल चुके हैं।

वैसे तो प्रचार प्रसार में रायपुर की चारों सीटों में भाजपा आगे है। राजधानी की चारों सीटों में धान के मुद्दे का प्रभाव कम है। क्योंकि यहां खेती बाडी नहीं है। इसलिए धान का बडा मुद्दा नहीं रहेगा । साथ ही नगर निगम की समस्याओं से राजधानी के लोग रोजाना दो-चार हो रहे है। ऐसे में भाजपा को राजधानी से ज्यादा अपेक्षाएं है।

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