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गजब; एक लंगूर के इशारे पर 9 साल तक चली ट्रेनें, काम में कभी नहीं मिली गलती, रेलवे पगार में पैसे के साथ देता था बीयर

नई दिल्‍ली. बंदर और लंगूर काफी होशियार होते हैं. ये इंसान की नकल बखूबी करते हैं. हमारे देश में कई रेलवे स्‍टेशनों पर लंगूर को बंदरों को भगाने के लिए रखा जाता है. उन्‍हें बाकायदा पगार भी दी जाती है. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी की दुनिया में एक लंगूर रेलवे में सिग्‍नलमैन की नौकरी भी कर चुका है. नौ साल तक इस लंगूर ने सिग्‍नल बदलने का काम किया और अपने पूरे कार्यकाल में उसने एक भी गलती नहीं की. इस लंगूर का नाम था जैक (Jack The Baboon). दक्षिण अफ्रीका की एक रेलवे कंपनी उसे प्रतिदिन के हिसाब से 20 सेंट और हर सप्‍ताह बीयर की आधी बोतल देती थी. यह लंगूर केपटाउन शहर के पास स्थित उइटेनहेज रेलवे स्‍टेशन पर काम करता था.

दरअसल, 1880 के दशक में जेम्स एडविन वाइड (James Edwin Wide) नाम का एक व्‍यक्ति रेलवे सिग्नलमैन के रूप में उइटनेज रेलवे स्‍टेशन पर काम करता था. एक हादसे में उसकी दोनों टांग कट गई. इसके बाद उसने लकड़ी के नकली पैर लगवाएं. लेकिन, उसे घर से कार्यस्‍थल तक आने और वहां काम करने में काफी परेशानी हो रही थी. एक दिन जब वह बाजार गया तो उसने देखा कि एक लंगूर बैलगाड़ी चला रहा था जिसमें सामान भरा था. वह बाजार में सामान सप्‍लाई कर रहा था. उस लंगूर को वाइड ने खरीद लिया. उसने नाम रखा जैक.

बहुत होशियार था जैक
जेम्स वाइड ने लंगूर को अपना निजी सहायक बना लिया और उसे ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी. कुछ दिन में ही जैक घर के काम करने लगा. वह जेम्‍स को छोटी ट्राली में बैठाकर रेलवे स्‍टेशन लाता और वापस ले जाता. जेम्‍स जो भी काम करता, उसे जैक बड़ी गौर से देखता था और कुछ समय में ही उसे सीख जाता. कुछ दिन तक जेम्‍स के साथ रेलवे स्‍टेशन पर रहने के दौरान वह सिग्‍नलिंग के सारे काम सीख गया. वाइड ने लंगूर को इतने अच्छे तरीके से प्रशिक्षित किया कि वह सभी कामों में निपुण हो गया और एक सिग्‍नलमैन का पूरा काम करने लगा.

यात्री ने कर दी शिकायत
एक दिन एक ट्रेन के यात्री ने खिड़की से देखा कि एक लंगूर सिग्नल पर गियर्स बदल रहा था. उसे यह बात बहुत अखरी. उसने रेलवे कंपनी के अधिकारियों से इसकी शिकायत कर दी. रेल अधिकारी जब मामले की जांच को गए तो वो ये देखकर चकित रह गए कि लंगूर जैक एक प्रशिक्षित सिग्‍नलमैन की तरह ही काम कर रहा था. ये देखकर उन्‍होंने उसका टेस्‍ट लिया. जैक परीक्षा में पास हो गया.

बना दिया सिग्‍नलमैन
जैक गाड़ी की सीटी से लेकर हर एक लीवर को अच्‍छे से जानता था. वह बहुत मेहनत और सतर्कता से काम करता था. उसकी इसी क्षमता को देखते हुए रेलवे कंपनी ने जैक को रेलवे में सिग्‍नलमैन (Jack The Signalman ) बना लिया. उसे प्रति दिन 20 सेंट और साप्ताहिक बीयर की आधी बोतल का भुगतान किया जाने लगा. 1881 से लेकर 1990 तक जैक ने सिग्‍नलमैन के तौर पर काम किया. खास बात यह रही कि इस अवधि में उसने एक भी गलती नहीं की. 1890 में तपेदिक से उसकी मौत हो गई.

म्‍यूजियम में रखी है खोपड़ी
जैक की मृत्‍यु के बाद उसकी खोपड़ी को दक्षिण अफ़्रीकी शहर ग्राहमस्टाउन के अल्बानी संग्रहालय रख दिया गया. संग्रहालय में यह खोपड़ी आज भी रखी है. इसके अलावा उइटेनहेज रेलवे स्टेशन की एक दीवार को जैक और उसके साथी जेम्स वाइड को समर्पित किया गया है.

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