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5 साल में देश के एक नंबर की सार्वजनिक वितरण प्रणाली 1 से 18 नंबर पर कैसे आ गई?

छत्तीसगढ़ के वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष डा रमन सिंह 2003 से 2018 तक छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य मंत्री थे। उनके राज में प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में  कम्प्यूटर  का शानदार उपयोग कर राशन कार्ड धारकों को  हर महीने चांवल सहित अन्य सामग्री देने की व्यवस्था की गई थी। 

ये प्रणाली अद्भुद थी। सेंट्रल अलॉटमेंट के लिए खाद्य संचालनालय को  जिम्मेदारी दी गई कि दो महीने पूरा कोटा दिया जाए और तीसरे महीने बीते दो महीने में बचत को घटा कर तीसरे महीने बचा कोटा दिया जाए। इस व्यवस्था के लिए राज्य के हर राशन दुकानों के द्वारा घोषणा पत्र जमा किया जाता था।

2018में सत्ता परिवर्तन के बाद संचालनालय के एक अधिकारी ने  सत्तारूढ़ पार्टी के लाभ के लिए सारे नियम कायदे को ताक में रख दिया। राशन दुकानों में चांवल शक्कर सहित अन्य खाद्यान बचे होने के बाद भी हर महीने पूरा अलॉटमेंट दिया जाता रहा। महज साढ़े तीन साल में प्रदेश की 13 हजार राशन दुकानों में से 5 हजार राशन दुकानों के घोषणा पत्र में  600करोड़ रुपए का खाद्यान्न केवल कागज में रह गया। जिन राशन दुकानों के गोदाम सिर्फ 250-300 क्विंटल क्षमता के थे उनमें 500 से 1500 क्विंटल चांवल  बचा दिखा।

 वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष डा रमन सिंह  ने प्रमाणित रूप से दस्तावेजी साक्ष्य के साथ मार्च 2023में विधानसभा में मुद्दा उठाया था। पूर्व खाद्य मंत्री  उत्तरविहीन थे और अपने सरकार के कार्यकाल में हुए घोटाले को दबाने के लिए फर्जी आंकड़े पढ़ दिए।राज्य सरकार से न्याय न मिलने पर डा रमन सिंह ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिख कर जांच की मांग की।

खाद्य संचालनालय के अधिकारी केंद्र को भी फर्जी आंकड़े देकर  बचने की कोशिश कर रहे थे।इसका खुलासा खाद्य अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रमेश चंद्र गुलाटी ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय खाद्य मंत्रालय को लिख कर अगस्त 2023में  देकर जांच की मांग की थी। गुलाटी ने पत्र में  बचत राशन घोटाले के लिए अपर  संचालक राजीव कुमार जायसवाल को जिम्मेदार बताते हुए उन्हें हटा कर जांच की मांग की है।

 बताया जाता है की बचत राशन घोटाला बड़े ही सुनियोजित ढंग से किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में छत्तीसगढ़ सार्वजानिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण)आदेश 2017 बनाया था। इस आदेश में राशन दुकानों में स्टॉक और वितरण रजिस्टर का प्रारूप  खाद्य संचालक  संचालनालय द्वारा बनाया जाना था। 5साल तक इस कार्यालय ने प्रारूप नहीं बना कर दिया जिसके कारण किसी भी राशन दुकान में स्टॉक और वितरण रजिस्टर  नहीं रखा गया।  ये सब घोटाले को जन्म  देने के लिए किया गया था।

 13हजार राशन दुकानों में से जिन राशन दुकानों बचत घोटाला हुआ है  उसको दबाने के लिए जो खेल किया जा रहा है  उसकी जानकारी मुख्य मंत्री विष्णु देव साय सहित उप मुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा  को दिया जा चुका है।  बताया गया है कि राशन बचत घोटाले को छुपाने के लिए 13हजार राशन दुकानों के घोषणा पत्र को विभाग के पोर्टल से हटा दिया गया है।

*जिन राशन दुकानों में हजारों क्विंटल चांवल शक्कर का घोटाला हुआ है उन्हे बिना किसी लिखित आदेश के बाजार से चांवल शक्कर खरीद कर रखने का गोपनीय मौखिक आदेश दिया गया।  सरकारी आदेश में केवल नागरिक आपूर्ति निगम ही चांवल आदि प्राप्त किया जा सकता है। गुलाटी का कहना है कि किसी भी राशन दुकान जहां बचत घोटाला हुआ है वहां फर्जी खरीदी की गई है। न तो क्वालिटी युक्त चांवल खरीदा गया है और न ही बिल ही लिया गया है। सारा फर्जीवाड़ा है। 

जब रिकवरी कर ली गई थी तो उस खाद्यान्न शक्कर का कोटा संचालनालय से घटाया जाना था वह नहीं घटाया गया हैं और लगातार पूरा कोटा दिया गया है। राशन दुकानों  से घोटाले किए गए चांवल शक्कर के लिए आर आर सी ही जारी किया जा सकता था।उसमे आज तक कोई वसूली की गई है। केवल कागजी फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। केंद्र सरकार के खाद्य मंत्रालय को 22 राशन दुकानों के विरुद्ध एफ आई आर की जानकारी दी गई है।किसी में भी गिरफ्तारी नही हुई है।

जिन राशन दुकानों को बर्खास्त या निलंबित किया जाना बताया गया है उनका संबंध घोटाले से नहीं है। रमेश चंद्र गुलाटी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी है और घोटाले के मामले को जन जन तक पहुंचा कर घोटाले करने वाले  अधिकारी की गिरफ्तारी तक संघर्ष करने की बात कही है।

स्तंभकार -संजय दुबे

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