कानून व्यवस्था

CRIME;शराब और कोयला घोटाले में दो पूर्व मंत्री,पूर्व विधायक,पूर्व सीएस, IAS अफसरों समेत शताधिक लोगों पर एंटी करप्शन ब्यूरो में FIR, प्रशासनिक-राजनीतिक हल्कों में कोहराम

रायपुर, छत्तीसगढ़ में शराब और कोयला घोटाले से संबंधित मामले में ईडी ने एक बड़ी एफआईआर रायपुर स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में दर्ज कराई है। इससे सरकारी एवं राजनीतिक हल्कों में हलचल मच गई है। दो पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व सीएस, आईएएस अफसरों सहित 100 से अधिक लोगों पर एंटी करप्शन ब्यूरो में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। चावल घोटाले समेत दो और मामलों में भी एफआईआर की तैयारी कर ली गई है।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक ईडी ने तीन पूर्व मंत्रियों, कुछ पूर्व विधायकों, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित आईएएस, एक रिटार्यड आईएएस, कई कांग्रेस नेताओं सहित 100 अधिक लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई है। इनमें जो नाम सामने आए हैं उनमें सौम्या चौरसिया, रानू साहू, समीर बिश्नोई, अनिल टुटेजा, यश टुटेजा, विवेक ढांड ,पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व विधायक, यूडी मिंज, पूर्व विधायक गुलाब कमरों का नाम भी शामिल है। इसके साथ ही कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, कांकेर के पूर्व विधायक शिशुपाल, पूर्व विधायक चंद्रदेव राय, पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह इदरीश गांधी, पूर्व सीएम के मित्र विजय भाटिया का नाम भी नाम शामिल बताया गया है।

2161 करोड़ का शराब घोटाला

विभागीय सूत्रों के मुताबिक शराब घोटाले में ईडी ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के जरिये आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ। साल 2017 में अच्छी मंशा से आबकारी नीति में संशोधन कर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्प एलटीडी (CSMCL) के जरिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के सरगना अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया। उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिये भ्रष्टाचार किया। इस दौरान 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। ED ने अपनी चार्जशीट में 3 स्तर का घोटाला बताते हुए इसे अ, ब, स भाग में बांटा है।

भाग अ के तहत CSMCL के MD अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट करना था, जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडिकेट का हिस्सा बन गए थे। देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था, जिसे त्रिपाठी डिस्टिलर और सप्लायर से कमीशन लेकर एक्सेलशीट तैयार करते, किससे कितना कमीशन आया, उसे अनवर ढेबर को दिया जाता था।

भाग ब के तहत अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने देशी शराब और अंग्रेजी शराब ब्रांड के होलोग्राम बनाकर बेहिसाब शराब CSMCL की दुकानों में बेचीं, जिससे राज्य को सीधे तौर पर राजस्व का नुकसान हुआ। भाग स में डिस्टिलर और ट्रांसपोर्टर से एनुअल कमीशन शामिल होना बतया गया है। सिडिकेट के जरिये CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।

शराब घोटाले में ये है आरोपी

ईडी ने शराब घोटाला मामले में कार्रवाई करते हुए 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के कारोबारी भाई अनवर ढेबर, CSMCL के MD रहे अरुणपति त्रिपाठी, शराब कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित और अरविन्द सिंह को गिरफ्तार किया गया है, जो अभी जेल में हैं। लोवर कोर्ट में ईडी के बनाए गए सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की हो चुकी है।

540 करोड़ रुपये का कोल घोटाला

विभागीय सूत्रों के मुताबिक कोयला घोटाले की जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं। ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में करीब 540 करोड़ रुपये का कोयला घोटाला हुआ है। इस पैसे का उपयोग राजनीतिक खर्च, बेनामी संपत्तियों को बनाने और अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया है. ईडी ने अपनी जांच में यह भी कहा है कि छत्तीसगढ़ में कोल लेवी के लिए अधिकारियों, व्यापारियों और राजनेताओं का एक कार्टेल था, जो कोयला परिवहन के जरिए प्रति टन 25 रुपये की वसूली में शामिल था. प्रदेश में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले के लिए 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली की जा रही थी।

कोयला घोटाले में पहला चार्ज शीट पिछले साल नौ दिसंबर को दायर किया गया था, जिसमें आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, व्यवसायी सुनील अग्रवाल, सूर्यकांत तिवारी और उनके रिश्तेदार लक्ष्मीकांत तिवारी को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया था। मामले के ये सभी आरोपी को गिरफ्तार कर ईडी ने जेल भेज दिया है।

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