राजनीति

बिहार की राजनीति के 22 मुख्यमंत्री…….

 भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 में मुख्यमंत्री के बारे में उल्लेख है कि विधान सभा चुनाव में बहुमत प्राप्त पार्टी से चयनित व्यक्ति मुख्यमंत्री होगा। एक विधान सभा का कार्यकाल 5साल होगा| इस अवधि में मुख्यमंत्रियों की संख्या कितनी होगी ये परिस्थितिजन्य होगी। आमतौर पर बहुमत दल का चयनित मुख्यमंत्री 5 साल के लिए होते है लेकिन नीतीश कुमार का बिहार (अब अपने तीन कार्यकाल में 17 साल 125 दिन रह लिए है) अपने आप में अनोखा राज्य है। 1950 से लेकर 2024 के जनवरी महीने तक 74 साल में केवल 22 मुख्यमंत्रियों ने बिहार सम्हाला है। इनमे से पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह (11साल 05 दिन), लालू प्रसाद ( 7 साल 190 दिन), और नीतीश कुमार ( 17 साल 162 दिन) ही 5साल का कार्यकाल पूरा कर पाए है। राबड़ी देवी 4 साल 360 दिन (5साल में 5दिन कम) को भी मान ले तो केवल चार मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर पाए है।

 नीतीश कुमार भले ही 9वी बार शपथ लिए है लेकिन  निरंतरता के मामले में वे तीन बार के मुख्यमंत्री माने जाते है। पहली बार 7 दिन फिर दूसरी बार 8 साल 177 दिन और  तीसरी बार  22 फरवरी 2015 से आज तक याने 17 साल 162 दिन के मुख्यमंत्री है। वे लगातार शपथ ग्रहण ले लेकर मुख्यमंत्री बने हुए है। उनके अलावा भोला पासवान शास्त्री तीन बार (100 दिन, 13दिन और 222 दिन के लिए ) मुख्यमंत्री बने थे। जगन्नाथ मिश्र ( 2साल 219 दिन, 3 साल 67 दिन और 94 दिन) के लिए तीन बार मुख्य मंत्री बने। राबड़ी देवी भी तीन  बार मुख्यमंत्री बनी जिनमे उनका कार्यकाल क्रमशः 1साल 190 दिन ,359 दिन,4 साल 360दिन रहा।

 भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे जो दो बार बिहार के मुख्य मंत्री बने। लालू प्रसाद  भी दो बार मुख्य बने है। कर्पूरी ठाकुर पहली बार 163 दिन के लिए और दूसरी बार 1साल 301 दिन के लिए। कुल मिलाकर 2 साल 199 दिन रह कर भारत रत्न हो गए । ऐसे में  पवन कुमार चामलिंग,नवीन पटनायक, ज्योति बसु, गेगोंग अपांग, ललथनहलवा, और वीरभद्र सिंह जो 21 साल से अधिक समय तक मुख्य मंत्री रहे है। वे भविष्य में सॉलिड दावेदार माने जा सकते है। 

 आप अंदाजा लगा सकते है कि सीता की नगरी मिथिला भोजपुर और मगध जैसे राज्यों का सममिश्रित राज्य जहां तक्षशिला जैसा अध्ययन केंद्र रहा हो।जिस राज्य में गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी का जन्मस्थान हो  जहां बिम्बिसार और अजातशत्रु जैसे महान राज राज्य किए हो।वो राज्य जहां के चंपारण से देश की आजादी का बिगुल फूंका गया हो उस राज्य में 18 मुख्यमंत्री किन कारणों से अपना कार्यकाल पूरा नहीं किए  जबकि  1968 से 1971 के सालो में जनक्रांति दल के महामाया प्रसाद सिंह,शोषित दल के सतीश प्रसाद सिंह और सोशलिस्ट पार्टी के कर्पूरी ठाकुर के बाद 1988 तक कांग्रेस के मुख्य मंत्री बनते रहे। 

1988 में जनता दल और बाद में राष्ट्रीय जनता दल और समता पार्टी  ने ऐसा जातीय समीकरण बुना कि  बिहार में कांग्रेस का आखरी मुख्य मंत्री कौन था तो जगन्नाथ मिश्र को याद करना कठिन हो जाता है। जाते जाते ये बता दे कि बिहार में सबसे कम अवधि के लिए सतीश प्रसाद सिंह केवल 5दिन के लिए मुख्य मंत्री बने थे उनके बाद नीतीश कुमार का नाम आता है जो पहली बार केवल सात दिन के लिए मुख्य मंत्री बने थे। भोला पासवान शास्त्री 13 दिन के लिए मुख्य मंत्री बने थे। बिहार के एक मुख्य मंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल, मंडल आयोग के अध्यक्ष रहे और देश में जातीय समानता के लिए उन्ही के रिपोर्ट ने देश में हलचल मचा दी थी।

स्तंभकार-संजय दुबे

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