कानून व्यवस्था

5 रु की रिश्वत !

 इस जमाने में जब 5रूपये  में एक हाफ चाय आती हो। नाश्ते के रूप में समोसा,आलुगुण्डा, भजिया  5 रू में न मिलता हो  तब कोई शासकीय कर्मचारी 5रूपये रिश्वत लेते पकड़ा जाए तो आप क्या कहेंगे? चोरी, बेईमानी या रिश्वत में  मूल्य का होना ही पर्याप्त माना जाता है। एक रूपये से करोड़ो रुपए तक की चोरी  अथवा रिश्वत के लिए कानून में अलग अलग धाराओं में सजा का     प्रावधान है। रिश्वत लेना सरकारी काम काज के एवज में अधिकृत रूप से सरकारी कर्मचारी के  द्वारा लिया जाने वाला धन अथवा वस्तु है। रिश्वत के मामले में  देने और लेने वालो के लिए सात साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है।

 देश में अधिकतम रिश्वत लेने की कितनी राशि है। इसमें तेलंगाना के किसरा के तहसीलदार द्वारा एक करोड़ दस लाख रुपए की रिश्वत लेने की जानकारी है। अब सबसे कम राशि की रिश्वत कितनी हो सकती है?  गुजरात राज्य के जामनगर जिले के मोरकंडा गांव में सरकारी योजनाओं के प्रमाण पत्र देने के लिए अधिकृत किया गया कंप्यूटर ऑपरेटर नवीनचंद्र निकुम को 5 रूपये की रिश्वत लेते हुए राज्य की एसीबी ने  गिरफ्तार कर लिया है।

 2013 से निकुम सरकारी प्रमाण पत्र देने के लिए  मोरकंडा ग्राम में नियुक्त था। प्रमाण पत्र देने के बदले 5 रूपये का मूल्य गुजरात  सरकार द्वारा निर्धारित था जिसमे 3 रुपए सरकार के खाते में जमा होते और 2 रुपए निकुम का कमीशन था। निकुम 5 रूपये के बदले 10 रूपये लिया करता था। इस संबंध में  ग्रामवासियों ने एसीबी में शिकायत की। एसीबी की टीम ने छापा मार निकुम को 5 रूपये रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया और गिरफ्तार भी कर  लिया। 

 इस बारे में गुजरात के डीजीपी समशेर सिंह का कहना है कि राज्य में किसी भी स्तर पर किसी भी राशि चाहे वह राशि न्यूनतम क्यों न हो रिश्वत को स्वीकृति नहीं है। निचले स्तर पर रिश्वत को बंद करना विभाग की जिम्मेदारी है। आयुष्मान कार्ड, राशनकार्ड अथवा जन्म अथवा मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए रिश्वत की मांग करना अथवा लेना शर्मनाक है।

 इस घटना से ये तो नसीहत मिलती है कि भ्रष्ट्राचार नहीं होना चाहिए, निचले स्तर पर 5 रुपए की रिश्वत लेते पकड़ना भी ठीक है लेकिन देश में  प्रथम श्रेणी के शासकीय अधिकारियो द्वारा रोजाना करोड़ो रुपए की रिश्वत योजनाबद्ध तरीके से मांगी  जा रही है ली जा रही है उसका क्या?  देश के अधिकांश लोग जानते और मानते है कि सरकारी काम काज बिना रिश्वत के नही होता है। इस धारणा को बदलने की जरूरत है।

स्तंभकार- संजयदुबे

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