POLITICS; जो कभी छोड़कर गए थे, वही बचाएंगे BJP की लाज, नतीजों में N फैक्टर की चर्चा क्यों?
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नईदिल्ली, लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद सबकी नजर सरकार के गठन पर है. भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है. सरकार बनाने के लिए उसे जदयू और टीडीपी की जरूरत होगी. उधर, कांग्रेस भी इन दोनों दलों की ओर आशा भरी निगाह से देख रही है. उसे उम्मीद है कि दोनों पार्टियों के नेता पुरानी बातों को याद कर भाजपा का साथ छोड़ देंगे और इंडिया गठबंधन से मिलकर सरकार बनाएंगे. दलील दी जा रही है कि दोनों नेता पहले भी भाजपा का साथ छोड़कर जा चुके हैं. इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में आवाज भी बुलंद की है. नतीजों में N फैक्टर की भी चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं कि N फैक्टर आखिर है क्या?
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बात, 2018 की है, जब चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा से वर्षों पुराना गठबंधन खत्म कर लिया था. भाजपा और टीडीपी 1998 से एक साथ थे और साथ मिलकर सरकार भी चलाई. चंद्रबाबू अटल जी की सरकार में मंत्री भी रहे. लेकिन अचानक उन्होंने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर भाजपा का साथ छोड़ दिया और विपक्षी खेमे में चले गए. 2019 में टीडीपी कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी लड़ी, लेकिन भारी हार हुई. इस बार चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा के साथ एक बार फिर गठबंधन किया. उन्हें लोकसभा और विधानसभा दोनों जगह फायदा हुआ. उनकी पार्टी लोकसभा में 16 सीटें जीतती हुई दिख रही है. वहीं विधानसभा चुनाव में उन्होंने क्लीन स्वीप किया है.अब चंद्रबाबू नायडू इस चुनाव में किंंगमेकर बनकर उभरे हैं. उन्हीं के दम पर भजपा सरकार बनाती दिख रही है.
एनडीए से नाता तोड़कर अलग हो गए थे नीतीश
ठीक इसी तरह की कुछ कहानी नीतीश कुमार की है. नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी. वह अपने कोटे की सभी सीटें जीतती हुई दिख रही है. जेडीयू को 15 से 16 सीटें मिल सकती हैं. नीतीश कुमार 1998 से लेकर 2013 तक बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के साथ रहे, लेकिन 2014 में पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नाम को आगे बढ़ाया तो एनडीए से नाता तोड़कर अलग हो गए थे. विपक्षी गठबंधन बनाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. लेकिन लोकसभा चुनाव से चंद महीने पहले वे फिर भाजपा में आ गए. अब यही दलील देकर कांग्रेस उनसे साथ आने की अपील कर रही है. एनडीए की धुरी नीतीश और नायडू हैं, अगर ये खिसके तो सारा खेल बिगड़ जाएगा. इसीलिए बीजेपी नेतृत्व उन्हें साधे रखने में जुटी है. दोनों के नाम में N शब्द है, इसलिए इस शब्द की भी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है.