राजनीति

छत्तीसगढ़ में जीत- हार के मायने………

 छत्तीसगढ़ की जनता एक बार भाजपा के साथ खड़े दिख रही है।  2014में 11, 2019और 09और अब 2024 में 10सीट में भाजपा की जीत तो यही बयां करती है। सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा के केंद्रीय संगठन ने 2014के जीते ग्यारह प्रत्याशियो को 2019में टिकट नहीं देकर, नए प्रत्याशी उतार दिए थे।2024में भी विजय बघेल(दुर्ग)और संतोष पाण्डेय(राजनांदगांव)को छोड़ सभी  नए नौ  प्रत्याशियों को  उतारा ।ये प्रयोग भी सफल रहा और इस बार  दस प्रत्याशी विजयी रहे।

 कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनंदगांव से भाजपा के संतोष पाण्डेय के सामने खड़ा किया गया था। माना जा रहा था कि भूपेश बघेल जीत सकते है क्योंकि राजनांदगांव लोकसभा अंतर्गत  आने वाले विधानसभा में कांग्रेस का बीते विधान सभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन रहा था। राजनीति में अगर मगर परिणाम घोषित होने से पहले तक चलते है। भूपेश बघेल ,संतोष पाण्डेय से 44 हजार414 वोट से हार गए। भूपेश बघेल  राजनांदगांव और रायपुर लोकसभा क्षेत्र से पराजित होने वाले प्रत्याशी बन गए है।भूपेश बघेल, पाटन विधान सभा क्षेत्र से  एक बार विधायक चुनाव  भी हार चुके है।भतीजे विजय बघेल ने हराया था, ये बात भी है कि भतीजे विजय बघेल को पिछले विधान सभा चुनाव में भूपेश बघेल हरा दिया।विजय बघेल 2019में दुर्ग से सांसद रहे और 2024में एक बार फिर 4लाख 38हजार वोट कांग्रेस के राजेंद्र साहू को हरा कर  जीत दर्ज कर लिए है। 

 भूपेश बघेल सरकार के मंत्री रहे  शिव डहरिया,ताम्र ध्वज साहू और कवासी लखमा को कांग्रेस ने जांजगीर चांपा , महासमुंद और बस्तर लोकसभा से प्रत्याशी बनाया था। कवासी लखमा  वर्तमान में विधायक भी है लेकिन बस्तर में वे  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैंज की नाक नही बचा पाए। कवासी लखमा को भाजपा के  महेश कश्यप ने 55.245 वोट से पराजित किया।  भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव बस्तर का ही प्रतिनिधित्व करते है। भाजपा की बस्तर से जीत ने किरण देव का कद बड़ा किया है।कांग्रेस के दूसरे मंत्री जी ताम्र ध्वज साहू जी पिछले चुनाव में  विधायक चुनाव हारे थे उनको महासमुंद लोकसभा से उतारा गया था। भाजपा की रूप कुमारी चौहान ने ताम्र ध्वज साहू को1.45लाख वोट के अंतर से हरा दिया। महज छह महीने में ताम्रध्वज साहू विधान सभा और लोक सभा चुनाव हारने वाले प्रत्याशी बन गए ।

ऐसी ही हार का सामना जांजगीर चांपा में विधान सभा चुनाव में पराजित डा शिव डहरिया को करना पड़ा। भाजपा की कमलेश जांगड़े ने शिव डहरिया को 60 हजार वोट से पराजित किया। कांग्रेस के एक  विजयी और एक पराजित विधायक  क्रमशः देवेंद्र यादव और विकास उपाध्याय को बिलासपुर और रायपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनाया गया, दोनो कुछ नहीं कर सके। बिलासपुर से देवेंद्र यादव  भाजपा के तोखन साहू से 1.62 लाख वोट से हार गए। विकास उपाध्याय की किस्मत सबसे ज्यादा खराब रही। उनको रायपुर में भाजपा के आठ बार के विधायक और चार बार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के सामने खड़ा कर दिया गया था। 5.75 लाख के भारी अंतर से विकास उपाध्याय को हार का चेहरा देखना पड़ा । प्रमोद दुबे, विकास उपाध्याय के हार से संतोष कर सकते है कि रायपुर लोक सभा से सबसे अधिक अंतर से हारने वाले प्रत्याशी अब नहीं है।

 कोरबा ऐसी सीट थी जिसमे वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत का सामना दुर्ग लोकसभा से कभी सासंद रही सरोज पांडे से था। सरोज पांडे को बाहरी प्रत्याशी होने का खामियाजा भुगतना पड़ा और छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डा चरण दास की पत्नी ज्योत्सना महंत से 43 हजार वोट से हार स्वीकारना पड़ा।

रायगढ़ और सरगुजा और कांकेर में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने नए प्रत्याशियों पर दांव लगाया। भाजपा का दांव सफल रहा और तीनों सीट पर उनके प्रत्याशी जीत गए। रायगढ़ से भाजपा के राधे श्याम राठिया ने कांग्रेस की डा मेनका देवी सिंह  को 2.40 लाख वोट के अंतर से हराया। सरगुजा में भाजपा के  चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस के शशि सिंह को 64 हजार वोट से हराया। कांकेर की सीट मतगणना के शुरू से लेकर अंत तक उतार चढ़ाव वाली रही। आखिरकार भाजपा के भोजराम नाग 1884 वोट से ले- देकर जीत ही गए।

नरेंद्र मोदी को प्रदेश के मुख्य मंत्री विष्णु देव साय और भाजपा अध्यक्ष किरण देव के प्रति आभारी होना चाहिए कि देश में  भाजपा की सरकार बनाने में ,दस सीट का महत्वपूर्ण योगदान दिया है। छत्तीसगढ़ से भाजपा और कांग्रेस ने  तीन तीन महिलाओं को उतारा था। भाजपा की कमलेश जांगड़े,और रूप कुमारी चौहान ने पुरुष प्रत्याशियों को पराजित किया। कोरबा सीट में दो महिलाएं ज्योत्सना महंत और सरोज पांडे प्रत्याशी थी। कांग्रेस की ज्योत्सना महंत अपनी सीट बचाने में सफल रही।

स्तंभकार-संजयदुबे

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