राजनीति

POLITICS; बलौदाबाजार हिंसा पर खुफिया तंत्र नाकाम, भाजपा विधायक का आरोप- वर्दी पहने लड़कों ने की मारपीट

रायपुर, बलौदाबाजार की घटना राज्य की खुफिया तंत्र व इंटेलिजेंस पर सवाल खड़े कर रही है। वजह यह है कि न तो राज्य, न ही जिले के खुफिया तंत्र को ब़डे आंदोलन का पता चल सका। हजारों की भीड़ एसपी, कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच जाती हैं, लेकिन पुलिस को भनक नहीं लग पाती। सूत्रों के मुताबिक आंदोलन की तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही थी। भाजपा के आरंग विधायक ने भी यह अंदेशा जताया है कि हिंसा की इस घटना के पीछे भीड़ तंत्र में सुनियोजित साजिश के तहत असामाजिक तत्वों की साजिश हो सकती है।

बलौदाबाजार की घटना ने कई अन्य सवाल खड़े किए हैं। यह पहला मौका नहीं है जब बलौदाबाजार एसएसपी सदानंद कुमार ल एंड ऑर्डर कंट्रोल करने में नाकाम रहे हैं। इससे पहले नारायणपुर में मतांतरण विवाद को संभालने में वे नाकाम रहे हैं।

पिछले साल जनवरी 2023 को मतांतरण को लेकर हुए विवाद में पत्थरबाजी और लाठी डंडे चले थे, जिसमें तात्कालीन एसपी सदानंद कुमार खुद घायल हो गए थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बस्तर आइजी सुंदरराज पी. मौके पर पहुंचे थे। बलौदाबाजार की घटना के बाद इंटेलिजेंस अधिकारियों से भी मामले पर पूछताछ की जाएगी।

भाजपा विधायक का आरोप- वर्दी वालों ने की मारपीट

बलौदाबाजार के बसस्टैंड के पास भाजपा विधायक मोतीलाल साहू के भतीजे एकलव्य साहू, उनका कामकाज देखने वाले निलेश सिंह और वाहन चालक त्रिगट भोई से मारपीट का मामला सामने आया है। पुलिस की वर्दी पहने कुछ युवकों ने मारपीट की है। विधायक मोतीलाल साहू ने बताया कि ये लोग कामकाज के सिलसिले में बलौदाबाजार गए थे। वे अपनी कार से लोगों से यह पूछते हुए आगे बढ़ रहे थे कि विरोध थम गया या नहीं। जब जानकारी मिली कि सब कुछ शांत हो चुका है, तो आगे बढ़ते जा रहे थे। बसस्टैंड के पास पुलिस की वर्दी पहने युवकों ने रोककर सभी को उतारा और सीधे पिटाई करने लगे। उन्होंने कार को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। यह देखा जाना चाहिए कि इस घटना में कौन पुलिस वाले शामिल थे।

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