REGITRY; एनजीडीआरएस सिस्टम से संपत्तियों की रजिस्ट्री बदहाल, हाउसिंग बोर्ड,आरडीए की रजिस्ट्री का सिस्टम अपडेट नहीं, भीड छंटी-राजस्व आय घटी
रायपुर, राज्य में रजिस्ट्री के लिए एनजीडीआरएस सिस्टम लागू किया गया है। मगर नए सिस्टम में अभी तक अपडेशन नहीं हुआ है। इस कारण हाऊसिंग बोर्ड के अलावा आरडीए की सम्पत्तियोंं की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है, अथवा काफी विलंब से हो रही है। हाउसिंग बोर्ड की सम्पत्तियों की रजिस्ट्री इसलिये नहीं हो रही है क्योंकि लीज डीड एवा सेल डीड के कागजात एक साथ बनाए जाते है। नए सिस्टम में यह शामिल नहीं है। इससे महीने भर से हाऊसिंग बोर्ड की सम्पत्तियों की नीलामी नहीं हो रही है। इससे पक्षकार परेशान है। फरवरी मार्च महीने में पंजीयन दफ्तरों में भीड छंट गई है।
फरवरी -मार्च में सम्पत्तियों की रजिस्ट्री के लिए पंजीयन दफ्तरों में आने वाली भीड को नजरअंदाज करते हुए जनवरी – फरवरी माह में एनजीडीआरएस सिस्टम लागू किया गया। यह सिस्टम अभी तक पूरी तरह से अपग्रेड नहीं हो पाया है। परिणाम स्वरूप लोग सम्पत्तियों की रजिस्ट्री के लिए पंजीयन दफ्तरों के चक्कर काट रहे है। यह स्थिति केवल राजधानी रायपुर की नहीं है। पूरे प्रदेश की हालत एक जैसी है। पक्षकार धक्के खा रहें है और राज्य सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है। प्रदेश में फरवरी -मार्च महीने में ही 40 फीसदी राजस्व प्राप्ति होती है। हाऊसिंग बोर्ड की सम्पत्तियों की रजिस्ट्री के लिए लाइन लम्बी हो गई है। दूरदराज से आए पक्षकार दो दो दफे लौट चुके है। परंतु अभी तक सिस्टम अपडेट नहीं हुआ है।
इधर रायपुर जिला पंजीयक आशुतोष कौशिक ने दावा किया है कि एनजीडीआरएस सिस्टम में आम नागरिकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बहुत सारी रियायतें दी गई है। वर्तमान में अपाइंटमेंट सिस्टम में दुरूपयोग को रोकने के लिए कई उपाय किए जा रहे है। अपाइमेंट में निर्धारित डीड कैटेगरी को परिवर्तित नहीं किया जा सकेगा। 5 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी चुकाने पर ही अपाइंटमेंट दिया जा सकेगा। इससे गलत अपाइंटमेंट को रोकने में मदद मिलेगी।
श्री कौशिक ने दावे केसाथ बताया कि वर्तमान में अपाइंटमेंट पूरी तरह सिटीजन पार्ट में है और सिटीजन को रियल टाइम में दिखता है। अभनपुर में विगत तीन वर्षों से एनजीडीआरएस सिस्टम चल रहा है और सफलतापूर्वक रजिस्ट्री हो रही है। नए सिस्टम से रजिस्ट्री की प्रक्रिया लागू होने से अपेक्षाकृत बहुत कम समय में हो रही है। नए सिस्टम में डाटा एंट्री पब्लिक पार्ट में होने के कारण पक्षकार के पहुंचते ही फोटो, बायोमैटिक के बाद कार्यवाही हो रही है। अब समय-सीमा के भीतर ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो रही है। इसके बावजूद भीड क्यों छंट गई है? इसका जवाब अफसरों के पास नहीं है।