AIIMS;’नेक्सट जेनरेशन सिक्वेंसिंग’ की मदद से प्रदान करें अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक सेवाएं
0 एम्स में बीएसएल-3 लैब का कार्य प्रगति पर, माइक्रोबायोलॉजी की पांच दिवसीय कार्यशाला का समापन
रायपुर, मेडिकल माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, बायोटेक्नोलॉजिस्ट और मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट को कोविड-19 के बाद पैदा हुई नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के तत्वावधान में ‘नेक्सट जेनरेशन सिक्वेंसिंग’ पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें देशभर के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
समापन समारोह को संबोधित करते हुए कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने बताया कि एम्स की राज्य स्तरीय वीआरडी लैब को बीएसएल-3 में अपग्रेड करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद वीआरडी लैब अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक सुविधाओं से लैस हो जाएगी। इसकी मदद से कोविड-19 के बाद पैदा हो रही नई चुनौतियों का आसानी के साथ सामना किया जा सकेगा। उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी विभाग के चिकित्सकों को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से अन्य लैब के चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को भविष्य की चुनौतियों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
विभागाध्यक्ष डॉ. अनुदिता भार्गव ने बताया कि नेक्सट जेनरेशन सिक्वेंसिंग की मदद से संक्रमण फैलाने वाले माइक्रोआर्गनिज्म के संपूर्ण जिनोम की पहचान करने में चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को काफी मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि एनजीएस एक महंगी और विशेषज्ञता वाली तकनीक है जिसकी वजह से यह अभी कुछ ही स्थानों पर उपलब्ध है।
पांच दिवसीय कार्यशाला में चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को प्रमुख रूप से न्यूक्लियर एसिड एक्सट्रेक्शन, टार्गेट इनरिचमेंट, फ्लो सेल्स की लोडिंग और विभिन्न सॉफ्टवेयर की मदद से डेटा का विश्लेषण करने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसमें देशभर में स्थित विभिन्न एम्स और अन्य चिकित्सा संस्थानों के 24 चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कार्यशाला में अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक अग्रवाल और अधिष्ठाता (शोध) प्रो. सरिता अग्रवाल ने भी भाग लिया।