राजनीति

POLITICS;’चाय को एक चाय बेचने वाले से बेहतर कौन जानता है’, असम में बोले पीएम- ‘पूर्वोत्तर ने मुझे अपना ब्रांड एम्बेस्डर चुना’

असम

गुवाहाटी,एजेंसी, असम के चाय बागान के आदिवासी समुदाय के विशाल सामूहिक ‘झुमोर बिनंदिनी’ लोकनृत्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में आयोजित किया गया। पीएम मोदी ने चाय के जरिये असम से अपने गहरे रिश्ते को बयान करते हुए कहा कि चाय की खुशबू और रंग को एक चाय बेचने वाले से बेहतर कौन जानता है?

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर ने मुझे अपने सर्वश्रेष्ठ ब्रांड एम्बेस्डर के रूप में चुन लिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को गुवाहाटी में सरुसजाई स्टेडियम में असम सरकार की ओर से ‘झुमोर बिनंदिनी’ कार्यक्रम में भाग लिया, जो यहां के चाय उद्योग के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है।

पीएम मोदी के यहां पहुंचने पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और प्रतिभागियों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि इस जबरदस्त तैयारी में चाय के बागानों की खुशबू और खूबसूरती है और जैसे आपका चाय बागान संस्कृति से एक विशेष रिश्ता है, वैसे ही मेरा भी चाय बागानों से एक विशेष रिश्ता है। जब आप सभी कलाकार इतनी बड़ी संख्या में झुमोर नृत्य प्रस्तुत करेंगे तो यह अपने आप में एक रिकार्ड बन रहा है।

पीएम ने परंपरागत वाद्ययंत्र ढूमसा भी बजाया

इस अवसर पर पीएम मोदी ने असम का परंपरागत वाद्ययंत्र ढूमसा भी बजाया, जिसे आमतौर पर चाय बागान में काम करने वाले आदिवासी किसान बजाते हैं। राज्य की चाय जनजातियों के पारंपरिक लोकनृत्य झुमोर के अभूतपूर्व प्रदर्शन में असम के 27 जिलों के करीब नौ हजार नर्तक और संगीतकारों ने भाग लिया। इस आयोजन से विश्व रिकार्ड स्थापित करने और वैश्विक मंच पर असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने की उम्मीद है।

चाय उद्योग की 200वीं वर्षगांठ

असम के चाय उद्योग की 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर होने वाले इस कार्यक्रम में दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा झुमोर नृत्य का प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं असम के काजीरंगा में रुकने वाला, दुनिया को उसकी जैव विविधता के बारे में बताने वाला पहला प्रधानमंत्री हूं। हमने कुछ ही महीने पहले असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी दिया है।

अलग-अलग देशों के 60 से अधिक राजदूत पहुंचे असम

पीएम ने का कि असम के लोग अपनी भाषा के इस सम्मान का इंतजार दशकों से कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ये भव्य आयोजन असम के गौरव से जुड़े हैं और भारत की समृद्ध विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं। विभिन्न देशों के 60 से अधिक राजदूत असम का अनुभव लेने के लिए यहां आए हैं। असम के चराइदेव मोइदाम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इस मान्यता को प्राप्त करने में भाजपा सरकार के प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button