कानून व्यवस्था

COURT;भ्रष्ट अफसर को 5 साल की सजा,37 लाख कमाए और 1 करोड़ से ज्‍यादा खर्च कर डाले

भ्रष्टाचार

अंबिकापुर, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में विशेष न्यायाधीश ममता पटेल की अदालत ने नागरिक आपूर्ति निगम सूरजपुर जिले के तत्कालीन सहायक प्रबंधक रविंद्रनाथ सिंह (63) को पांच वर्ष कारावास तथा 10 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर उसको छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इस मामले में रविंद्रनाथ सिंह का भतीजा सुधीर कुमार सिंह भी नामजद आरोपी है। उसके विरुद्ध फरारी में ही अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है। आरोपी सुधीर कुमार सिंह के विरुद्ध स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।

यह था पूरा मामला

अतिरिक्त लोक अभियोजक विवेक सिंह ने बताया कि एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सूरजपुर जिले में पदस्थ नागरिक आपूर्ति निगम के तत्कालीन सहायक प्रबंधक रविंद्रनाथ सिंह के अंबिकापुर बौरीपारा स्थित निवास पर छापा मारा था। आरोप था कि उसने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की और आपराधिक षडयंत्र रचते हुए सह आरोपी की संपत्ति बताने का दुष्पप्रेरण किया। इसी आधार पर उसके भतीजे सुधीर कुमार सिंह कनिष्ठ सहायक नागरिक आपूर्ति निगम को भी नामजद आरोपी बनाया गया। उसे फरार घोषित कर एंटी करप्शन ब्यूरो ने अदालत में रविंद्रनाथ सिंह के विरुद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था।

आय से 165 प्रतिशत अधिक संपत्ति प्रमाणित

प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि सहायक प्रबंधक की सभी ज्ञात स्रोतों से कुल आय 37 लाख 83 हजार की होती है। जबकि उक्त अवधि में उन्होंने एक करोड़ चार लाख 72 हजार 703 रुपये व्यय किया। इस प्रकार कुल 66 लाख 24 हजार 759 रुपये की संपत्ति का कोई हिसाब नहीं दिया जा सका। यह ज्ञात स्रोतों से कुल आय का 175 प्रतिशत अधिक होता है। इसमें 10 प्रतिशत का लाभ देने के बाद भी आय से 165 प्रतिशत अधिक संपत्ति का इनके द्वारा किसी प्रकार का कोई हिसाब प्रस्तुत नहीं किया जा सका। इसे अनुपातहीन संपत्ति की श्रेणी में माना गया है।

न्यायालय ने कहा

न्यायालय ने कहा है कि आय से अधिक संपत्ति भ्रष्टाचार को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। अतः आरोपी को अधिकतम दण्ड से दण्डित किया जाए। आरोपी की ओर से यह तर्क किया गया कि यह विचारण में नियमित रूप से उपस्थित होता रहा है, उसका पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है,इसलिए उसे कम से कम दण्ड से दण्डित किया जाए। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि अभियुक्त द्वारा प्रारंभ से ही अपने स्वजन के नाम पर संपत्ति अर्जित करने अपने विभाग को सूचना ना देने और अनुपातहीन संपत्ति को अपने स्वजन की संपत्ति बताकर वैध संपत्ति साबित करने हेतु किए गए संदेहास्पद प्रयासों को देखते हुए पर्याप्त दण्ड दिए जाने से ही न्यायिक उद्देश्यों की पूर्ति होना संभव प्रतीत होता है। अभियुक्त रविन्द्रनाथ सिंह को न्यायायलय ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) (ई) सहपठित धारा 13(2) के तहत् पांच वर्ष के कठोर कारावास एवं 10,000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।

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