कानून व्यवस्था

ACCIDENT; अपनी गलती और अपनी मौत

कालम

राजधानी रायपुर में दो दिन पहले एक संभावना से भरी युवती तान्या रेड्डी की ट्रक दुर्घटना में अकाल मौत हो गई।  इस दुर्घटना से एक परिवार के एक सदस्य की रिक्तता हो गई जिसकी भरपाई करना आसान नहीं है। सड़क हादसे में होने वाली मृत्यु न केवल पीड़ादायक होती है बल्कि समाज को शासन के परिवहन विभाग के लापरवाही के प्रति आक्रोशित करने वाला होता है।स्वाभाविक  आक्रोश का सामाजिक राजनैतिक प्रतिरोध ऐसी घटनाओं से होता है, होना भी चाहिए, क्योंकि  दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति कम हो सके।
ये मान लेना कि सड़कों पर हादसे नहीं होंगे ये बेमानी बाते है। देश में होने वाली सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतें या घायल होने वाले की संख्या में समय के साथ इजाफा होते जा   रहा है। परिवहन विभाग को तोहमत देना आसान है क्योंकि जिम्मेदार विभाग है जिसके कर्मियों को सड़क पर खड़े होकर व्यवस्था को बनाए रखना है। यातायात नियमों का पालन करवाना है। चालकों को चाहे वे पैदल चल रहे हो, हल्के या भारी वाहन चला रहे हो, इनको अनुशासित चालक बनाने का जिम्मा हम सभी ने  परिवहन विभाग को सौंप दिया है।हमारी जिम्मेदारी क्या है? इस बात का कोई सरोकार नहीं है।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि देश भर में सड़कों के स्तर में जबदस्त बदलाव आया है।शानदार चौड़ी सड़के वाहनों की गति को बढ़ाने  में सहायक हुई है।आधुनिक वाहनों के चलते  गति में वृद्धि भी हुई है।इसका अर्थ ये नहीं होता कि गति नियंत्रण खो दिया जाए। उठाकर देखे तो अधिकतम सड़क दुर्घटना वाहनों के चालकों के द्वारा अनियंत्रित गति के कारण हुई है। इन दुर्घटनाओं  के होने वाले समय  और मरने वालों के बारे में जानकारी है कि अधिकांश दुर्घटनाएं रात बारह के बाद हुई है और मरने वाले ज्यादातर युवक है और उनकी उम्र तीस साल से कम है। इनके साथ कभी कभी युवतियों की मृत्यु की खबरें आती है लेकिन वे चालक नहीं होती है, साथ में सामने या पीछे की सीट पर बैठी होती है।
सड़क दुर्घटना का दूसरा सबसे बड़ा कारण गलत दिशा से ओवरटेक करना है। गंतव्य में पहुंचने की जरुरत  से ज्यादा बेसब्री देखी जाती है । तान्या रेड्डी ने भी ट्रक को गलत साइड से ओवरटेक किया था।यदि वे नियम से ओवरटेक करती तो मुझे आज ये लेख नहीं लिखना पड़ता।यातायात विभाग का स्पष्ट  नियम है कि ओवरटेक दाएं दिशा से करे लेकिन इसका उल्लंघन सबसे अधिक होता है।सोचिए कि तान्या शोध छात्रा थी, मुड़ते समय  उन्होंने  दिशा और अपने वाहन की गति का आंकलन नहीं किया,ट्रक को अनदेखा कर जान गवां बैठी।जब पढ़े लिखे लोग ऐसी गुस्ताखी करेंगे तो जो लोग पढ़े लिखे नहीं है उनसे कैसे उम्मीद की जा सकती है?
 सड़क दुर्घटना का तीसरा बड़ा कारण मोबाइल फोन का वाहन चलाने के समय उपयोग करना है। हेलमेट  लगने और स्कार्फ बांधने के बाद कंधे के सहारे से मोबाइल अटका कर बात करना दो पहियां वाहनचालकों की  सामान्यआदत हो गई है। ज्ञात रहे मस्तिष्क दो काम सुनना और देखना समान रूप से नहीं कर सकता। सुनने पर ज्यादा ध्यान देने से दृष्टि ओझल होती है।ऐसे में दुर्घटना की संभावना बढ़ेगी ही। परिवहन विभाग वाले ऐसे लोगों को पकड़ते है, जुर्माना करते है लेकिन क्या मोबाइल का उपयोग कम हो रहा है? नहीं,
महिलाओं का दो पहियां वाहन चालन कमोबेश ज्यादा असुरक्षित है।एक तो चेहरे को धूप, गर्दा से बचाने के लिए स्कार्फ बांधती है तो आंख का सामान्य विजन भी प्रभावित हो जाता है।दाएं बाएं का दिखना कम हो जाता है जिसके चलते अनुमान से  वाहन मोड़ने पर पीछे से आते वाहन से टकराने और दुर्घटना होने की संभावना होती है ।तान्या रेड्डी भी स्कार्फ बांधे हुए थी।गलत दिशा से ओवरटेक और स्कार्फ के कारण ट्रक दिखा ही नहीं, परिणीति एक संभावना का अंत हो गया। हममें से अधिकांश वाहन चालक तान्या रेड्डी ही है बस  अवसर हमारी लापरवाही की  प्रतीक्षा में है। किसी मोड़ पर गलती करने पर घायल होना या मौत के मुंह में जाना लिखा ही है, तो  दौड़ाइए तीव्र गति के वाहन,करिए गलत दिशा से ओवरटेक, करिए वाहन चालन के समय मोबाइल से बाते, मौत घात लगाए बैठा है।

  स्तंभकार- संजयदुबे

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