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GREEN GOLD;आंधी-तूफान से हरा सोना का संग्रहण अस्त-व्यस्त, संग्राहकों को भारी नुकसान, 4 लाख परिवार तोडाई नहीं कर पाए

तेंदूपत्ता संग्रहण

नारायण भोई

रायपुर, छत्तीसगढ़ में हरा सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता की खरीदी में इस साल आंधी-तूफान के साथ बारिश ने खलल डाल दिया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों की मेहनत पर मौसम भारी पड़ रहा है। अब तक प्रदेश में करीब 10.84 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हुआ है जो लक्ष्य से करीब 6 लाख मानक बोरा कम है। पानी में भीगने तेंदूपत्ते की गुणवत्ता भी स्तरहीन हो गई है। इसका खामियाजा संग्राहकों को भुगतना पडेगा। मौसम की मार के चलते करीब 4 लाख परिवार तेंदूपता संग्रहण करने जंगल ही नहीं जा सके। जबकि सुरक्षा बलों के चलते बस्तर में भी तोडाई का अच्छा समय था।

छत्तीसगढ़ में वन विभाग के 902 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से 10,631 फड़ों में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य हो रहा है। तेंदूपत्ता  संग्रहण पारिश्रमिक दर को 4000 मानक बोरा से बढाकर 5500 रुपए कर किया गया है। प्रदेश में करीब साढे 16 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। अब तक की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 10 लाख से अधिक संग्राहक परिवारों ने करीब 10.84 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता फड़ों में बेचा है, जिसका मूल्य लगभग 596 करोड़ रुपये होता है। यह राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे संग्राहकों के खातों में जमा की जा रही है। इसके लिए सॉफ़्टवेयर में डाटा प्रविष्टि की प्रक्रिया ज़िला यूनियनों द्वारा प्रारंभ कर दी गई है।

मैदानी इलाकों के साथ सरगुजा में अभी तेंदूपत्ता संग्रहण जोरो पर

बस्तर -सरगुजा समेत मैदानी इलाकों के जंगलों में हर साल की तरह इस बार भी हजारों परिवार तेंदूपत्ता संग्रहण के काम में जुटे है। बस्तर में संग्रहण का काम समाप्ति पर है। पारिश्रमिक दर बढ़ने से संग्राहकों को बेहतर आमदनी की उम्मीद थी, लेकिन समय से पहले आई बारिश ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। मैदानी इलाकों के साथ सरगुजा में अभी तेंदूपत्ता संग्रहण जोरो पर है।

दुबारा खरीदी शुरु नहीं

इस बार तेंदूपत्ता संग्रहण की शुरुआत से ही मौसम बदलना शुरू हो गया था। खरीदी का काम जैसे ही एक-दो दिन चला अचानक बारिश ने दस्तक दे दी और समितियों को खरीदी रोकनी पड़ी। तब से अब तक कई जगहों पर दोबारा खरीदी शुरू नहीं हो पाई है। संग्राहक लगातार इंतजार में हैं और फड़ प्रभारी उन्हें भरोसा दे रहे हैं कि काम फिर से शुरू होगा। इसके बावजूद बदलते मौसम और लगातार बारिश के चलते अब ये उम्मीद भी कमजोर पड़ती जा रही है।

संग्राहकों को काफी नुकसान

दरअसल हर साल अप्रैल-मई में तेंदूपत्ता खरीदी होती है। बस्तर में सबसे पहले 20 से 25 अप्रैल के मध्य संग्रहण शुरु होता है जबकि सरगुजा में सबसे अंत में मई में होता है। लेकिन इस बार मौसम ने ऐसा रंग दिखाया कि संग्राहकों की पूरी मेहनत अधर में लटक गई है। वन विभाग के अधिकारियों ने भी इस वर्ष तेंदूपत्ता खराब होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि इस वर्ष तेंदूपत्ता मोटा हो गया है। जिस वजह से तेंदूपत्ता का नुकसान हुआ है और इस साल अन्य वर्षों के मुकाबले संग्राहकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बस्तर में खरीदी हुई प्रभावित 

बस्तर के वन अफसरों ने बताया कि बस्तर में पिछले कुछ दिनों से तेज अंधड़ के साथ जमकर बारिश हो रही है, वहीं कुछ जगह पर ओलावृष्टि भी हुई है। इसके कारण तेंदूपत्ता की गुणवत्ता खराब हुई है। यही कारण है कि विभाग द्वारा मौसम को देखते हुए रोक-रोक कर खरीदी की जा रही है। बस्तर के अंतर्गत चार वन मंडलों में से बीजापुर वन मंडल में सबसे बेहतर क्वालिटी का तेंदूपत्ता पाया जाता है। यहाँ खरीदी जरूर शुरू हो गयी थी, लेकिन बारिश की वजह से खरीदी रोक दी गयी। वहीं बारिश के कारण फड़ में सूख रहा तेंदूपत्ता भी पूरी तरह से खराब हो रहा है।

लक्ष्य से कम खरीदी

एक वन अफसर ने बताया कि इस साल बस्तर वनवृत के अंतर्गत वनमंडल सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और बस्तर में 2 लाख 70 हजार मानक बोरा खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। मई महीना बीतने को है लेकिन लक्ष्य के आसपास भी खरीदी नहीं हुई है। बेमौसम बारिश की वजह से संग्राहकों में भी मायूसी छाई है।

पत्ते रिजेक्ट करने से संग्राहक परेशान

जानकारी के मुताबिक 24 अप्रैल से सभी वन वृत्त में तेंदूपत्ता की खरीदी शुरू की गई। तेंदूपात्ता दर 5500 किये जाने से इस साल संग्राहको में काफी उत्साह था। बस्तर में पिछले 20 दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है। तेज अंधड़ और ओलावृष्टि होने से संग्राहको ने जिन पत्तों की तोड़ाई की, वह भी पूरी तरह से खराब हो रहे हैं। साथ ही मोटा पत्ता होने की वजह से विभाग इसे नहीं खरीद रहा है।

बस्तर में अधिकांश समितियों में विभागीय खरीदी

सुकमा जिले के रहने वाले ग्रामीण संग्राहको ने बताया कि गांव का गांव तेंदूपत्ता तोड़ाई करने के लिए इस साल उत्सुक था, लेकिन बारिश की वजह से तेंदूपत्ता की तोड़ाई नहीं हो पा रही है। साथ ही जो तोड़ाई हुई है, उसे विभाग के द्वारा रिजेक्ट कर दिया जा रहा है। ओलावृष्टि होने की वजह से पत्ते फट रहे हैं। ऐसे में विभाग के द्वारा छटाई में संग्राहको को काफी नुकसान हो रहा है। बता दें बस्तर में अधिकांश समितियों में विभागीय खरीदी की जा रही है।

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