
रवि भोई
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल की सक्रियता के मायने
आमतौर पर राज्यों के राज्यपाल को राजभवन की चौहद्दी में सक्रिय देखा जाता है और जब केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार हो तो राज्यपाल की भूमिका सीमित हो जाती है। छत्तीसगढ़ भाजपा शासित राज्य है और केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, ऐसे में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका का राजभवन से निकलकर जिलों और ब्लाकों में पहुंचना चर्चा का विषय बन गया है। राज्यपाल डेका पिछले दिनों महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लाक में पहुंचकर लोगों से चर्चा की। कहते हैं राज्यपाल एक जगह दौरे में शिक्षक की भूमिका में भी नजर आए। राज्यपाल ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय जाकर प्रोफेसरों की बैठक ली।राज्यपाल ने बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का भी निरिक्षण किया। ऐसा पहली बार हो रहा है कि बिना किसी आयोजन के राज्यपाल सीधे विश्वविद्यालय पहुँच रहे हैं। राज्यपाल जिलों के दौरों में जिला प्रशासन की बैठक भी ले रहे हैं। राज्यपाल के लगातार राजभवन से निकलने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल टिप्पणी भी कर चुके हैं। हाल ही में राज्यपाल रमेन डेका ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू,केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी और अन्य नेताओं से मुलाक़ात की है। अब राज्यपाल का दौरा राजनीति का हिस्सा है या उनका शौक, यह तो समय बताएगा। फिलहाल तो लोग रमेन डेका को एक्टिव राज्यपाल मान रहे हैं ।
राष्ट्रीय पदाधिकारी बनने की दौड़ में
कहते हैं कि छत्तीसगढ़ भाजपा के कुछ नेताओं ने राष्ट्रीय टीम में जगह पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है। चर्चा है कि इन नेताओं ने मान लिया है कि अब राज्य में उनका कोई भला नहीं होना है। राज्य में अपनी दाल नहीं गलते देख इन नेताओं ने दिल्ली की तरफ रुख करने का फैसला किया है। खबर है कि एक सांसद, दो पूर्व मंत्री और एक नेत्री ने राष्ट्रीय टीम में जगह पाने के लिए ताकत लगानी शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि 18 से 20 जुलाई के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा हो जाएगी। अनुमान है कि राष्ट्रीय टीम में छत्तीसगढ़ को एक उपाध्यक्ष और एक महामंत्री का पद मिल सकता है। अभी छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय टीम में सरोज पांडे हैं। सरोज पांडे जगतप्रकाश नड्डा की टीम में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। अब देखते हैं किस-किस की किस्मत चमकती है।
गुस्से में निगम अध्यक्ष
सरकार ने कुछ ही महीने पहले भाजपा नेताओं को निगम-मंडलों में अध्यक्ष बनाया है, पर चर्चा है कि एक निगम अध्यक्ष का अपने प्रबंध संचालक से पटरी नहीं बैठ पा रहा है। बताते हैं प्रबंध संचालक साहब अध्यक्ष को कोई भाव नहीं दे रहे हैं। प्रबंध संचालक न तो अध्यक्ष से मिलने जाते हैं और न ही उनकी बैठक में उपस्थित रहते हैं। प्रबंध संचालक के रवैये से निगम की अध्यक्ष दुखी और परेशान हैं। खबर है कि निगम की अध्यक्ष अपनी व्यथा लोगों को सुनाने लगीं हैं। जुम्मे-जुम्मे निगम की कुर्सी संभाले अध्यक्ष को प्रबंध संचालक का रुख भा नहीं रहा है और वे जल्दी ही अपनी पीड़ा ऊपर बताने वाली हैं। अब लोगों को सरकार के रुख और फैसले का इंतजार है।
पूर्व मंत्री भूमिका की तलाश में
कहते हैं एक पूर्व मंत्री सरकार में इंट्री करने की कोशिश में कामयाब नहीं होते देखकर अब संगठन में जिम्मेदारी की तलाश में लग गए हैं। चर्चा है कि पूर्व मंत्री पिछले कुछ महीनों में संगठन के एक बड़े पदाधिकारी से मिलकर उन्हें अपनी इच्छा से अवगत करा चुके हैं। अब देखते हैं पूर्व मंत्री को संगठन में क्या जिम्मेदारी मिलती है। जमीनी कार्यकर्ता से मंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले नेताजी एक जमाने में बड़े पावरफुल थे। सरकार और संगठन दोनों में पकड़ थी। समय के साथ सबकुछ बदल गया। खबर है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही छत्तीसगढ़ प्रदेश ईकाई का पुनर्गठन हो जाएगा। कुछ पदाधिकारी निगम-मंडल के अध्यक्ष बन गए हैं, उनकी जगह नई नियुक्ति होनी है। इसके अलावा कुछ नए चेहरों को किरणदेव की टीम में शामिल किया जाएगा। माना जा रहा है कि जुलाई में ही तस्वीर साफ़ हो जाएगी।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में नई केमेस्ट्री
कहते हैं नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत और पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव की केमेस्ट्री मिल गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अलग लाइन में चल रहे हैं तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की धारा भी अलग बह रही है। नेता प्रतिपक्ष महंत, सिंहदेव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में हैं। बताते हैं भूपेश बघेल और दीपक बैज, सिंहदेव के पक्ष में नहीं हैं। आदिवासी नेता को हटाकर सामान्य वर्ग के नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में न तो बघेल हैं और न ही बैज। इस कारण नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का मामला लटका पड़ा है। महंत और सिंहदेव एक आदिवासी और एक अनुसूचित जाति वर्ग के नेता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का फार्मूला दिया है,पर जो भी फैसला होगा, बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही होगा। ऐसे में अभी दीपक बैज के चलते रहने की संभावना है और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता अपनी ढ़पली अपना राग बजाते दिखेंगे। जैसा कि भूपेश बघेल संगठन को बिना सूचना दिए ही एक विधायक के न्यौते पर रायगढ़ में पेड़ कटाई का विरोध करने चले गए।
मुख्यमंत्री साय का साहसिक कदम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दिखने और बोलने में भले ही सरल लगते हों, पर फैसला तो कड़ा लेते हैं। यह साबित हो गया शराब घोटाले में शामिल 22 आबकारी अधिकारियों के निलंबन से। आमतौर पर आबकारी विभाग के अफसर दुधारू गाय की तरह होते हैं। सरकार आबकारी या फिर राजस्व संग्रहण से जुड़े विभागों के अफसरों पर सख्त कदम उठाने से बचती है। मुख्यमंत्री साय ने आबकारी विभाग को ही सुधारने की नहीं ठानी,शिक्षा विभाग के कायाकल्प का कदम उठाया। स्कूलों का युक्तियुक्तकरण कर वोट बैंक की चिंता किए बगैर शिक्षकों को व्यवस्थित किया। युक्तियुक्तकरण को लेकर कहीं-कहीं शिक्षक नाराज भी हुए, पर उन्होंने परवाह नहीं की।
तकनीकी विश्वविद्यालय को कब मिलेगा वीसी
छत्तीसगढ़ के ट्रिपल आईटी को लंबे इंतजार के बाद डायरेक्टर मिल गया। लोग चर्चा कर रहे हैं कि राज्य के स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय को कुलपति कब मिलेगा? भिलाई स्थित तकनीकी विश्वविद्यालय में कुलपति का पद पिछले करीब आठ माह से रिक्त है। आमतौर पर छह माह के भीतर कुलपति की नियुक्ति हो जाती है। कहते हैं नए कुलपति की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी बन गई है, पर उसके बाद का मामला आगे नहीं बढ़ पाया है। तकनीकी विश्वविद्यालय के अधीन राज्य के सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कालेज आते हैं।
नमक सप्लाई की जुगत में लगे लोग
कहते हैं छत्तीसगढ़ की सरकार आदिवासी जिलों में मुफ्त वितरण के लिए जल्दी ही करोड़ों रुपए का नमक खरीदने वाली है। चर्चा है कि राज्य में नमक सप्लाई करने वाले जुगत बैठाने में लग गए हैं। बताते हैं इसके लिए कुछ बिचौलिये भी सक्रिय हो गए हैं। खबर है कि सरकार बस्तर जिले के लिए करीब 40 करोड़ रुपए का और सरगुजा के लिए 35 करोड़ रुपए का नमक खरीदने वाली है। कहा जा रहा है कि खरीदी के लिए अभी नीति बनी नहीं है। इस कारण बिचौलिये अपनी-अपनी गोटी फिट करने में लग गए हैं।
स्थायी डीजीपी पर कब होगा फैसला
छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी के लिए संघ लोक सेवा आयोग से पैनल आए करीब दो महीने हो गए हैं, पर अभी तक सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है, ऐसे में चर्चा होने लगी है कि छत्तीसगढ़ में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति कब होगी। नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद छह महीने अशोक जुनेजा एक्सटेंशन पर डीजीपी रहे, फिर अरुणदेव गौतम कार्यकारी डीजीपी बने। पूर्णकालीक डीजीपी के इंतजार में गौतम साहब के कंधे पर छत्तीसगढ़ की कानून-व्यवस्था का भार है। अब गौतम साहब पूर्णकालीक डीजीपी बनते हैं या हिमांशु गुप्ता। या फिर पवनदेव या जीपी सिंह की लाटरी लग सकती है, इस पर कयासबाजी चल रही है।
नरेश गुप्ता का तीर
भाजपा नेता नरेश गुप्ता ने शराब घोटाले में उलझे 22 आबकारी अधिकारियों पर ऐसा तीर मारा कि सभी के सभी निलंबित हो गए। नरेश गुप्ता ने इन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए शासन-प्रशासन और विभिन्न एजेंसियों में शिकायत की थी। नरेश गुप्ता के ट्वीट के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 22 आबकारी अधिकारियों को एक झटके में निलंबित कर दिया। शराब घोटाले में ईओडब्ल्यू ने 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश कर दिया है। अब माना जा रहा है कि निलंबित आबकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)