NAXALITE; कुख्यात माओवादी कमांडर किशन की पत्नी सुजाता ने किया सरेंडर, एक करोड़ का था इनाम, पांच भाषाओं की जानकार

जगदलपुर, छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल संगठन को एक और बड़ा झटका लगा है। नक्सलियों की सीसी मेंबर एक करोड़ रुपये की इनामी नक्सली सुजाता ने सरेंडर कर दिया है। नक्सली सुजाता ने तेलंगाना पुलिस के सामने हथियार डाल दिए हैं। आज शनिवार की दोपहर को तेलंगाना पुलिस ने प्रेसवार्ता कर इसका खुलासा किया।
दरअसल, नक्सली सुजाता दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की इंचार्ज थी। ये नक्सली कमांडर किशनजी की पत्नी है। किशन जी केंद्रीय कमेटी सदस्य व बंगाल का प्रभारी था। जिसे एक दशक पहले ग्रे हाउंड्स ने बेंगलूरु में मार गिराया था। वहीं सुजाता ने भी नक्सल संगठन छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया और सरेंडर कर दी है। सुजाता के साथ 3 और नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर लौट आए हैं।
तेलंगाना पुलिस ने बताया कि मृत माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की पत्नी सुजाता ने स्वास्थ्य कारणों और सरकारी नीतियों से प्रभावित होकर भाकपा (माओवादी) छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की इच्छा जतायी. सुजाता पिछले 43 वर्षों से अंडरग्राउंड थी तथा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के दक्षिण सब-जोनल ब्यूरो की प्रभारी समेत विभिन्न पदों पर थी. दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, दक्षिण छत्तीसगढ़ (बस्तर क्षेत्र) में माओवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार माओवादियों का सबसे मजबूत संगठन है.

सुजाता ने गिरफ्तारी की खबर का किया था खंडन
सूत्रों के मुताबिक, 17 अक्टूबर 2024 को सुजाता को तेलंगाना से गिरफ्तार करने की खबर सामने आई थी पर यह खबर अफवाह साबित हुई थी। क्योंकि खुद सुजाता ने ही इसका खंडन करते हुए कहा था कि उसकी गिरफ्तारी की खबर अफवाह है। कहा गया था कि वह इलाज कराने के लिये बस्तर से तेलंगाना गई थी, जहां पर उसे तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

बस्तर के जंगलों में बीता सुजाता का समय
डीके एसजेडसी के सचिव रामन्ना की मौत के बाद सुजाता को डीकेएसजेडसी का प्रभारी बनाया गया था। इसके पश्चात वर्तमान में वह साउथ सब जोनल ब्यूरो की प्रभारी के रुप में कार्यरत थी। सुजाता का अधिकांश समय बस्तर के जंगलों में बीता है। वह तेलंगाना और बंगाल में भी सक्रिय रह चुकी है। बस्तर में तर्रेम थाना के भट्टीगुड़ा, तुमलपाट व मीनागुट्टा के जंगलों में अक्सर देखी जाती थी। वह अपने परिवार की तीसरी बड़ी नक्सली थी, जिसे नक्सलियों का थिंक टैंक माना जाता था। यही कारण है कि उसे नक्सलियों की सर्वोच्च सेंट्रल कमेटी में शामिल किया गया था।
नक्सल संगठन में सुजाता के कई नाम
नक्सल संगठन में सुजाता के कई नाम प्रचलित हैं। उसे पद्मा, कल्पना, सुजाता, सुजातक्का, झांसीबाई कहा जाता है। बंगाल में उसे मैनीबाई के नाम से भी जाना जाता है। 12वीं तक पढ़ी सुजाता अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, ओडि़या, तेलुगु के साथ गोंडी, हल्बी बोली की जानकार है।
बड़े हमलों के पीछे सुजाता का दिमाग
बड़े हमलों के पीछे सुजाता का ही दिमाग रहा है। 2007 में एर्राबोर में 23 जवान बलिदान, अप्रैल 2010 में ताड़मेटला में 76 जवान बलिदान, 2010 में गादीरास में 36 की हत्या, झीरम में 2013 में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले में 31 की हत्या, 2017 ¨चतागुफा में 25 जवान, मिनपा में 17 जवान, टेकुलगुड़ेम में 21 जवान के बलिदान की घटनाओं के पीछे सुजाता ही रही है।
72 से अधिक मामलों में वह शामिल थी
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि सुजाता का आत्मसमर्पण, बस्तर में लागू की जा रही मजबूत और बहुआयामी माओवादी विरोधी रणनीति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। सक्रिय पुलिसिंग प्रयासों के साथ-साथ सरकार का विकास और कल्याण पर विशेष ध्यान, माओवादियों के प्रभाव को कमजोर करने और उनके जनाधार को खत्म करने में निर्णायक रहा है। प्रतिबंधित एवं निषिद्ध भाकपा (माओवादी) संगठन की वरिष्ठ केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता, दंडकारण्य विशेष ज़ोनल समिति के दक्षिण उप-ज़ोनल ब्यूरो की प्रभारी थी। उसके ऊपर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था और बस्तर रेंज के विभिन्न जिलों में दर्ज 72 से अधिक मामलों में वह शामिल थी।

माओवादी नेता किशन ने सौंपा था बंगाल का प्रभार
सुजाता माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की विधवा है। वह किशनजी के साथ ही वह बंगाल से बस्तर पहुंची थी। किशनजी को बंगाल का प्रभार दिए जाने के बाद कुछ वक़्त वह बंगाल में भी थी। किशनजी के साल 2011 में मारे जाने के बाद उसने बस्तर को अपना ठिकाना बना लिया था।