POLITICS; अब रिश्तेदार -नातेदार नहीं बनेंगे MP , VP, SP, PP

देश में जन प्रतिनिधियों की लंबी फेरहिस्त है। लोक सभा राज्य सभा में सांसद, विधान सभा में विधायक है। त्रिस्तरीय निकाय व्यवस्था में जिला, जनपद और नगर पंचायत है। शहरी क्षेत्र में नगर निगम,पालिका और पंचायत है। सबसे महत्वपूर्ण संस्था ग्राम पंचायत है जहां सरपंच और पंच निर्वाचित होते है।
देश में 781 सांसद और 4123 विधायकों के पद को छोड़ कर सारे नगरीय और ग्रामीण निकायों में 33फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए कानूनी रूप से किया गया है। मोटामोटी देश में शहरी और ग्रामीण निकायों में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतों में लगभग 42 लाख जनप्रतिनिधि निर्वाचित होते है। मनोनयन भी है लेकिन इनकी संख्या सीमित है। 42 लाख का तैंतीस प्रतिशत लगभग 14 लाख होती है। ये संख्या महिलाओं के लिए सुरक्षित है।
जन प्रतिनिधि निर्वाचित होते है तो जाहिर है सारे कामकाज का देख रेख नहीं कर सकते है। ऐसी स्थिति में विकल्प खुलता है – प्रतिनिधि बनाने का। देश में सांसद से लेकर पंच प्रतिनिधि बनाने का शौक है, दिखावा है, प्रचलन है। इन प्रतिनिधियों को सांसद प्रतिनिधि, सरपंच प्रतिनिधि (SP), विधायक प्रतिनिधि (VP), महापौर प्रतिनिधि (MP)अध्यक्ष प्रतिनिधि, पंच प्रतिनिधि (PP) शब्द सभी स्थानों में आसानी से सुनने को मिलते है। विशेषकर महिलाओं के पति ही उनके सर्वाधिकार सुरक्षित व्यक्ति होते है। इस कारण प्राकृतिक सिद्धांत के अनुसार प्रथम अधिकार स्वयंमेव ट्रांसफर हो जाता है।
पिछले चौतीस सालों में प्रतिनिधि परम्परा इतनी बड़ी समस्या हो गई कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा और मानवाधिकार आयोग ने भी हस्तक्षेप कर निर्धारित कर दिया है कि निर्वाचित जन प्रतिनिधि के रिश्तेदार, नातेदार प्रतिनिधि नहीं बन सकेंगे। इस व्यवस्था में महिला जन प्रतिनिधि टारगेट में है क्योंकि अधिकांश पति ही अपनी जन प्रतिनिधि पत्नी के प्रतिनिधि बन जाते है। ये लोग निकाय की सभा में भाग लेते है, यहां तक हस्ताक्षर भी करते है,सील तो हमेशा साथ रहती है।
छत्तीसगढ़ में इस आशय का आदेश जारी कर दिया गया है। इसके चलते महिलाओं सहित ऐसे पुरुष प्रतिनिधि जो शिक्षित नहीं है वे अपने रिश्तेदार नातेदार को प्रतिनिधि नहीं बना सकेंगे। रिश्तेदार का अर्थ पति,पत्नी, मां बाप, भाई बहन, चाचा चाची, मौसा मौसी, फूफा बुआ, मामा मामी, साला साली, सहित इन सबकी संतान शामिल है। सामाजिक व्यवस्था में तीन पीढ़ी तक आपसी विवाह नहीं होते है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट और मानव अधिकार आयोग के आदेश का प्रभाव इतने पीढ़ी तक जाना माना जा सकता है।
अब बारी आती है किन्हें प्रतिनिधि बनाया जा सकता है?
रिश्तेदार और नातेदार को छोड़कर अन्य में सजातीय या पड़ोसी अथवा अगर किसी राजनैतिक पार्टी से सरोकार रखते हो तो पार्टी स्वयं संज्ञान लेकर अपने चौदह लाख कार्यकर्ताओं को एडजस्ट कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट और मानव अधिकार आयोग “अन्य” शब्द की व्यवस्था दी भी है। अगले साल न जाने कितने MP, SP,PP बदल जाएंगे।
देश में निर्वाचित जन प्रतिनिधि
1.सांसद- लोकसभा में 543, राज्यसभा में 238
2.विधायक 4123
3.जिला पंचायत अध्यक्ष 630
4.जनपद पंचायत 6904
5.ग्राम पंचायत 2 लाख 68 हजार
6.ग्रेटर नगर निगम 04
7.नगर निगम 269
8.नगर पालिका 1772
कुल निर्वाचित जन प्रतिनिधि 42लाख
स्तंभकार- संजय दुबे




