कला-साहित्य

COLUMN; सनातन पर तनातनी………

धीरेन्द्र शास्त्री, कथा वाचक है, प्रदीप मिश्रा कथा वाचक है, दोनो के नाम के सामने पंडित भी है। पंडित है तो जाहिर है कि वेद पुराण,रामायण, महाभारत से जुड़ी हुई कथाएं सुनाएंगे।  इन ग्रंथों का प्रचार प्रसार करने में दोनों पंडित देश विदेश में ऑन डिमांड है। विद्वता की कीमत हमेशा से रही है। राजा महाराजों के काल में भी अपने अपने धर्मो के प्रकांड व्यक्तियों को दरबार में रखा जाता था। हिन्दू राजा रहे तो पंडितों, मुस्लिम सुल्तान रहे तो मौलवी जगह पाए । ईसाई किंग रहे तो फादर जगह पाए। निष्कर्ष ये निकलता है कि जिसकी सत्ता रही उनके धर्म गुरुओं  की पूछ परख रही।
भारत या हिंदुस्तान में पिछले सोलह सालों से केंद्र में भारतीय जनता पार्टी का राज्य है। 21 राज्यों में उनके या समर्थित पार्टी के मुख्यमंत्री है। भाजपा ने  बावरी मस्जिद विध्वंस और राम मंदिर निर्माण में खुलकर अपनी उपस्थिति  दर्शाई जिसका परिणाम भी सामने है। भाजपा ने हिंदुत्व का कार्ड खेला, भगवा रंग को चिन्हित किया। अपने बीते कार्यकाल में गैर मुस्लिम होने  की लकीर भी खींची। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे किसी भी संसदीय या विधान सभा चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया। देश में विभाजन के बाद सांप्रदायिक तौर पर दो  वर्ग बना इससे कोई इंकार नहीं है। इनमें भले ही बाहरी तौर पर सौहार्दता के लाख कोशिशें की गई लेकिन दोनों संप्रदाय के भीतरी मन में खटास है जिसका अब सार्वजनीकरण होने लगा है।
भाजपा की ये सोची समझी योजना होगी और है भी कि देश में सनातन धर्म या हिंदुत्व को  बढ़ावा मिलना चाहिए। एक जमाने में ये काम शिव सेना के निर्माता  बाला साहेब ठाकरे किया करते थे । ठाकरे शिव सेना को  महाराष्ट्र के अलावा हिंदी भाषी क्षेत्रों में भी बढ़ा रहे थे।उनके कार्य को भाजपा ने अपने हाथ में लिया और राम मंदिर का निर्माण कार्य को राष्ट्रीय विषय और आस्था का केंद्र बना दिया।
हिंदुत्व को बढ़ाने में  साधु संतों को प्रत्यक्ष रूप से सम्मान देने, सार्वजनिक रूप से हिन्दू देवी देवताओं  के मंदिरों को प्रतिष्ठित किया गया। हिंदू त्योहारों की महत्ता को इतना व्यापक कर दिया गया है कि देश में गणेश शिव, राम, कृष्ण, हनुमान, दुर्गा,काली के  उत्सवों में आयोजन देखते बनता है। भागवत का आयोजन साल भर का आयोजन हो गया है।तीर्थ स्थल को देश के हवाई रेल सड़क मार्ग से  जोड़कर पहुंच को सरल कर दिया गया है। देश के प्रतिष्ठित धार्मिक स्थानों में आवास भोजन की व्यवस्था को सहज बना दिया गया है। देखा जाए तो  ये सभी काम बीते पंद्रह साल में हुए है।
हिंदुत्व का जोर हो और हिंदू धर्म प्रचारकों को बढ़ावा दिया जाना सनातन धर्म का प्रचार प्रसार है। इस देश  शिव,राम, कृष्ण,  हनुमान सहित सभी देवी देवताओं के बारे में आकर्षक अभिव्यक्ति  के साथ बाते सुनना लोगों को अच्छा लगता है।  ये आज नहीं पहले भी प्रचलन में था लेकिन  इनका सार्वजनीकरण पर रोक थी, अब नहीं है।  राम भद्राचार्य, धीरेन्द्र शास्त्री, प.प्रदीप मिश्रा मोरारी बापू, देवकीनंदन ठाकुर, अनिरुद्धाचार्य, अमोलक लीला दास,साध्वी कृष्ण प्रिया सहित जया किशोरी और  नये रूप में कुमार विश्वास ऐसे नाम है जो  लाखों लोगों को सम्मोहित करने की क्षमता रखते है। इनके अलावा सैकड़ों साधु साध्वी है जिनके अपने अनुयाई है। समग्र प्रयास से देश में हिंदुत्व या सनातन धर्म को प्रश्रय मिल रहा है।
विशुद्ध राजनीति से सरोकार रखने वालों को धर्म निरपेक्षता को निभाना मजबूरी है लेकिन भाजपा इससे परे है वे जाहिर तौर पर धर्म सापेक्ष है। व्यक्ति, केवल मतदान के समय मतदाता होता है।विचारधारा के चलते किसी पार्टी का समर्थक ,विरोधी होता है लेकिन जब  बात धर्म की आती है तो वह अपने धर्म का समर्थक होता है। इस बात को भाजपा ने समझा है और यही उनकी सफल नीति भी है। 

स्तंभकार- संजयदुबे

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