AIIMS;घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता और बढ़ते प्रदूषण से फंगल इंफेक्शन
0 एम्स में माइक्रोबायोलॉजी की दो दिवसीय कार्यशाला
रायपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित कार्यशाला ‘क्लिनिको माइकोलॉजिकल अपडेट-अनकवरिंग द अननॉन’ के दूसरे दिन देश के प्रमुख माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने नागरिकों में घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता और बढ़ते प्रदूषण के कारण फंगल इंफेक्शन को चुनौतीपूर्ण बताया। विशेषज्ञों का कहना था कि फंगल इंफेक्शन के निरंतर परिवर्तित होने के कारण प्रभावी ड्रग मॉलीक्यूल्स पर शोध और डिसइंफेक्शन की नई विधियों को अपनाने की आवश्यकता है।
एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग और छत्तीसगढ़ एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि और देश के प्रमुख क्लिनिकल माइकोलॉजिस्ट प्रो. (डॉ.) अरुणालोकी चक्रबर्ती, पूर्व माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष, पीजीआई चंडीगढ़ ने ‘इंडियाज फंगल एपिडेमिक -ए कॉल फॉर विजिलेंस’ विषय पर भारत में बढ़ते फंगल इंफेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। उनका कहना था कि कैंडीडा ओरिस जैसे फंगल देश के मेट्रो शहरों में तेजी से फैल रहे हैं। इसका प्रमुख कारण लोगों में घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता और बढ़ता प्रदूषण है। इससे वातावरण में नमी, दूषित जल और अस्वच्छता के कारण फंगल इंफेक्शन निरंतर फैल रहा है।
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद आईसीयू में रहने वाले रोगियों को भी फंगल इंफेक्शन की चुनौती का सामना करना पड़ा। फंगस के कॉलोनाइजेशन, क्रास कंटामिनेशन, फ्लोकोनाजोल केटोकोनाजोल के प्रति दवाइयों के प्रभावी न होने की वजह से नए मॉलीक्यूल्स पर शोध और इंफेक्शन को नियंत्रित करने की नई विधियों को अपनाने की आवश्यकता है। डॉ. शिवप्रकाश रुद्रमूर्ति, पीजीआई चंडीगढ़ ने ‘अपडेट्स इन मैनेजमेंट ऑफ फंगल इंफेक्शन’ पर व्याख्यान में फंगल इंफेक्शन, माइकोसिस और फंगल केराटाइटिस (आंख का संक्रमण) को चिन्हित करने में बायोमार्कर्स के अनुप्रयोग पर जोर दिया।