AIIMS;पीडियाट्रिक इमरजेंसी में नई तकनीक के अनुप्रयोग की आवश्यकता
0 एम्स में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस संपन्न, देशभर के चिकित्सकों को प्रशिक्षण
रायपुर, पीडियाट्रिक इमरजेंसी के मामलों में ‘प्वाइंट ऑफ केयर अल्ट्रासोनोग्राफी’ (पोक्स) के बढ़ते अनुप्रयोग को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस संपन्न हुई। इस अवसर पर अल्ट्रासोनोग्राफी को इमरजेंसी के मामलों में अधिक से अधिक प्रयोग कर शीघ्र उपचार पर बल दिया गया।
एम्स के पीडियाट्रिक्स विभाग और छत्तीसगढ़ इमरजेंसी मेडिसिन एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कांफ्रेंस ‘इमरजेंसी मेडिसिन पीडियाट्रिक एडवांसेज एंड रिसेंट ट्रेंड्स’ का उद्घाटन करते हुए कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि बच्चों का आपातकालीन परिस्थितियों में उपचार काफी चुनौतिपूर्ण होता है क्योंकि बच्चें अपनी परेशानियों को ठीक से प्रकट नहीं कर पाते। ऐसे में पीडियाट्रिक इमरजेंसी चिकित्सकों का महत्व बढ़ जाता है कि वे लक्षणों के आधार पर बच्चों को तुरंत उपचार प्रदान करें।
उन्होंने इस दिशा में नई तकनीक के प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि इसका प्रशिक्षण सुदूर क्षेत्रों में तैनात मेडिकल अफसरों को भी दिया जाना चाहिए जिससे वे तुरंत बच्चों को उपचार प्रदान कर सके। इससे तृतीयक स्तर पर स्थित चिकित्सा संस्थानों में रोगियों की संख्या कम हो सकेगी। उन्होंने बाल रोग विशेषज्ञों से सभी बच्चों को सुरक्षित जीवन प्रदान करने का आह्वान किया।
पीडियाट्रिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल गोयल का कहना था कि पाक्स की मदद से बच्चों का उपचार अधिक प्रभावी और सटीक होता है। इससे रोग की सही पहचान करने में मदद मिलती है और तुरंत उपचार प्रारंभ किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एम्स के पीडियाट्रिक्स विभाग में आपातकालीन चिकित्सा की सारी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
एम्स के पीडियाट्रिक्स इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में प्रतिदिन औसतन 30 बाल रोगी पहुंचते हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे 14 वर्ष तक की आयु के होते हैं जिन्हें नेफ्रोटेक्सोसिटी, ट्रामा, जलने, दुर्घटनावश जहर खाने, कीड़ों के काटने, न्यूमोनिया और फेफड़ों में परेशानी की वजह से एडमिट किया जाता है। इनमें से 50 प्रतिशत को नियमित उपचार की जरूरत होती है।
कोर्स निदेशक डॉ. प्रेरना बत्रा का कहना था कि कांफ्रेंस की मदद से बाल रोग चिकित्सकों को नई तकनीक के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस बार आयोजित 10वीं कांफ्रेंस में प्रदान किए गए प्रशिक्षण से चिकित्सक पीडियाट्रिक इमरजेंसी सेवाएं अधिक विशेषज्ञता के साथ प्रदान कर पाएंगे।
कांफ्रेंस में ट्रांसफ्यूजन, कार्डियक इमरजेंसी, रीनल प्रबंधन, जीवन रक्षक उपायों सहित कई प्रमुख विषयों पर व्याख्यान आयोजित हुए। इसमें प्रो. गोयल के साथ डॉ. अतुल जिंदल, डॉ. वरूण आनंद और डॉ. संतोष राठिया भी आयोजन समिति में शामिल थे। फोरेंसिक मेडिसिन के विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्णदत्त चावली ने पीडियाट्रिक इमरजेंसी में मेडिकोलीगल विषयों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। इस अवसर पर पेपर प्रजेंटेशन और पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित हुई। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता और प्रशिक्षक डॉ. आमिर हुसैन, संजीव भोई, एम्स दिल्ली, भूपेश्वरी पटेल, एम्स, भोपाल रहे। 50 प्रतिभागी पीजी और फेलो छात्रों और 30 वक्ताओं और प्रशिक्षकों ने आयोजन में प्रतिभाग किया। उद्घाटन सत्र में अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक अग्रवाल और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रेनू राजगुरु ने भी भाग लिया।